रायपुर

हसदेव में पेड़ों की कटाई के लिए फिर लगी फोर्स, मजदूर मशीन लेकर खदान में रुके
08-Sep-2022 4:23 PM
हसदेव में पेड़ों की कटाई के लिए फिर लगी फोर्स, मजदूर मशीन लेकर खदान में रुके

दूसरी ओर तिरंगा और लाठी लेकर रात दिन पहरा दे रहे आदिवासी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर 8 सितंबर।
हसदेव अरणय के परसा कोल ब्लॉक के दूसरे चरण के लिए एक बार फिर पेड़ों की कटाई की तैयारी शुरू होने से आंदोलन कर रहे आदिवासियों में रोष फैल गया है। वे महिलाओं और बच्चों के साथ लाठियां लेकर प्रस्तावित खदान के पास डटे हुए हैं और पुलिस फोर्स खदान के भीतर रुकी हुई है।

आंदोलन स्थल पर डटे हसदेव बचाओ आंदोलन के एक संयोजक उमेश्वर आर्मो ने बताया कि मंगलवार को करीब तीन सौ की संख्या में पुलिस बल ने घाटबर्रा में घुसने की कोशिश की। जब ग्रामीणों का विरोध हुआ तो उन्होंने परसा कोल ब्लॉक के फेस वन से एक नया रास्ता मजदूरों से तैयार करवाया लेकिन आंदोलनकारी वहां भी पहुंच गए हैं। मौका देखते ही पुलिस की मदद से कंपनी के लोग पेड़ों की कटाई शुरू करने की तैयारी में है।

पुलिस फोर्स के साथ पेड़ों की कटाई के लिए करीब 35 मशीनों को भी लाकर रख दिया गया है। पेड़ों की कटाई में फेस वन में काम कर रहे मजदूरों के अलावा छत्तीसगढ़ से बाहर के भी मजदूरों को बुलाया गया है। इस समय भी पुलिस बल और मजदूरों को खदान के भीतर रोक कर रखा गया है।

आर्मो ने कहा कि हसदेव के जंगलों से पेड़ों की कटाई किसी भी कीमत पर नहीं होने दी जाएगी। गांव के लोग रात दिन यहां पहरा दे रहे हैं। उन्होंने हाथ में तिरंगा और संविधान की प्रतियां ले रखी हैं, जिसमें जंगल पर आदिवासियों के अधिकार को सर्वोपरि बताया गया है।

रायपुर में बैठक, आंदोलन तेज करने का फैसला
इधर रायपुर में छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के लिए जंगल की कटाई की पुन: तैयारियों की तीखी निंदा की है तथा इसके खिलाफ जन प्रतिरोध आन्दोलन शुरू करने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने पेड़ों की कटाई का फैसला ऐसे समय में लिया है जब 2 मार्च 2022 से ही हसदेव में हरिहरपुर गाँव में स्थानीय लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है। राज्य की विधानसभा ने भी सर्वसम्मति से हसदेव की सारी खदानों को रद्द करने का संकल्प पारित किया था। इस प्रस्ताव के बावजूद वनों की कटाई की पुन: तैयारी दिखाती है कि इस सरकार पर कॉर्पोरेट दबाव हावी है और सरकार अडानी के पक्ष में लाखों पेड़ों की कटाई के लिए तैयार है।

बयान में कहा गया है कि अब यह कटाई उस पेसा कानून के भी खिलाफ़ है, जिसके बारे में सरकार ने यह प्रचारित किया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय किसी भी प्रकार का निर्णय लेने के लिए सशक्त एवं स्वतंत्र है, जबकि स्थानीय आदिवासी समुदाय इस खनन के खिलाफ खड़ा है। बयान में कहा गया है कि यही समय है जब कांग्रेस सरकार पेसा कानूनों की सर्वोच्चता को साबित करने का साहस दिखाए।

गौरतलब है कि हसदेव अरण्य में एक दशक से आदिवासी समुदाय अपने जल, जंगल ,जमीन को खनन से बचाए रखने आन्दोलनरत है। रायपुर की बैठक में हसदेव बचाओ अभियान, बिलासपुर से प्रथमेश मिश्रा, साकेत तिवारी, बी.आर.कौशिक, चन्द्र प्रदीप वाजपेयी,  श्रेयांश बुधिया, एस. वर्मा, ग्रीन आर्मी रायपुर से गुरदीप टुटेजा, प्रसिद्ध रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू, रायपुर एवेंजर से समीर वेंस्यानी, इसके साथ ही रायपुर से प्रियंका उपाध्याय, ओमेश बिसेन, एस आर नेताम एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन से बिजय भाई, संजात पराते और आलोक शुक्ला शामिल हुए।
 


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