महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 14 फरवरी। महानदी का पानी कम होते ही किसानों ने इसकी रेत में रसीले तरबूज, खरबूज, करेले, ककड़ी और अन्य प्रकार की सब्जी भाजी की खेती शुरू कर दी है। महासमु्न्द की इस खेती-बाड़ी से निकलकर तरबूज और खरबूज प्रदेश के अलावा देश के कोने कोने तक पहुंचता है। इस तरह फार्म हाऊस के बाद अब जिले के लोग भी नदी में होने वाली सब्जियों का स्वाद चख पाएंगे।
रायपुर-महासमुन्द की सीमा पर स्थित महानदी में किसान सब्जी भाजी की खेती करने में जुट गए हैं। यहां पर सब्जियों के अलावा तरबूज-खरबूज की खेती होती है जिसका स्वाद प्रदेश के साथ देशभर के लोग चखते हैं। प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल के चार माह में यहां खेती कर किसान हजारों रुपए की आय प्राप्त करते हैं। जानकारी के मुताबिक महानदी में घोड़ारी, बरबसपुर के अलावा रायपुर जिले के आरंग ब्लॉक के ग्राम पंचायत पारागांव के भी करीब 50-60 किसान हर साल परम्परागत खेती करते आ रहे हैं। घोड़ारी के किसान जोगी निषाद ने बताया कि तीन गांव को मिलाकर करीब दो सौ किसान महानदी के करीब एक किमी के दायरे में खेती करते हैं। इसमें वे तरबूज, खरबूज के साथ ही टमाटर, बरबट्टी, खीरा, ककड़ी और करेला की फसल लगाते हैं।
ज्ञात हो कि किसान दिसम्बर महीने से फसल लगाने की तैयारी में जुट जाते हैं। एक माह में बाड़ी तैयार कर फसल लगाते हैं। अप्रैल माह तक किसान तीन-चार बार फसल बेचते हैं। इन चार माह की खेती से किसानों को हजारों की आमदनी होती है।
पिछले कई वर्षों से खेती कर रहे जोगी निषाद ने बताया कि चार माह यहां खेती होती है। जिसमें प्रत्येक किसानों को 40-50 हजार रुपए की आय होती है। उत्पादक इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 53 में महानदी पुल पर अस्थाई दुकान लगाकर बेचते हैं जिसे मार्ग में चलने वाले राहगीर खरीदते हैं। राहगीरों को यहां तरबूज, खरबूज के अलावा ताजा सब्जी भाजी भी मिल जाती है।
गौरतलब है कि महानदी में लगने वाले तरबूज और खरबूज की फसल जिले के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों तक पहुंचती है। शअरी जोगी ने बताया कि रायपुर के थोक विक्रेता यहां से खरीदी कर अन्य प्रदेशों में निर्यात करते हैं। इससे उनकी तरबूज खरबूज की पूछ परख अन्य प्रदेशों में भी है।