महासमुन्द

खेतों में खड़ी फ सल-पोर्टल में बंजर भूमि
26-Nov-2025 4:16 PM
खेतों में खड़ी फ सल-पोर्टल में बंजर भूमि

धान बेचने से वंचित होने की आशंका, किसानों का धरना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 26 नवंबर। खेतों में खड़ी फसल को पोर्टल में बंजर भूमि बताने के बाद धान बेचने से वंचित होने की आशंका से रकबा सुधार की मांग को लेकर कल महासमुंद तहसील कार्यालय परिसर में सुबह से ही सैकड़ों किसान तहसील परिसर में जमा होकर धरने पर बैठ गए।

किसानों का कहना है कि 25 नवंबर को रकबा सुधार का अंतिम दिन है और प्रक्रिया अधूरी रहने से वे समर्थन मूल्य पर धान बेचने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। किसानों के इस आंदोलन में किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मानिक साहू भी पहुंचे थे।

 

श्री साहू ने जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाते बताया कि जिले भर के किसान परेशान हो रहे हैं और पटवारी, आरआई और तहसीलदार को फोन लगा रहे हैं, तहसील ऑफिस और कलेक्टर ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन तहसील ऑफिस और कलेक्टर ऑफिस के अधिकारी मिलते नहीं। सुधार के आखिरी दिन भी रकबे में सुधार नहीं हुआ तो किसानों की फसल समर्थन मूल्य पर बिकेगी नहीं और यही प्रदेश की विष्णु देव सरकार चाहती है कि किसान अपना धान बेच ना सके।

इस मामले में जुगल किशोर पटेल तहसीलदार महासमुंद का कहना है कि इस समस्या को लेकर शासन से पत्राचार किया गया है। यह केवल महासमुंद की ही नहीं बल्कि पूरे राज्य की समस्या है। कुछ ना कुछ विकल्प निकलेगा। एग्रीस्टेक पंजीयन का कल अंतिम दिन था। समस्याओं के चलते कल ही तहसील दफ्तर में सैकड़ों किसान पहुंचे थे। अब यह एक नई समस्या खड़ी हो गई है। आज वन व्यवस्थापन ग्राम रामसागर पारा (भावा) के किसान कलेक्टोरेट पहुंचे थे।  किसानों ने बताया कि सत्र 2025-26 में खरीफ सीजन की धान विक्रय के लिये उनका टोकन अब तक जारी नहीं हो पाया है। वहीं अधिकांश किसानों के रकबा में कटौती किया गया है एवं ऑनलाइन में धान उत्पादन नहीं दिखा रहा। किसानों का कहना है कि वे हर साल 103 से 104 क्विंटल धान विक्रय करते आ रहे हैं।


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