महासमुन्द

खाली पड़ी जमीन स्थल का निरीक्षण कर अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,13 अक्टूूबर। महासमुंद में एयरटेल कंपनी प्रबंधन धोखा और भ्रामक जानकारी देकर टावर लगवा रही थी। इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब मोहल्लेवासियों का विरोध जिला प्रशासन तक पहुंचा। इसके बाद मौके पर पहुंची नगर पालिका टीम ने जब स्थल का मुआयना किया तो गड़बड़ी सामने आई।
बहरहाल नगर पालिका टीम ने कंपनी मैनेजमेंट को तत्काल काम रोकने का आदेश दे दिया है। इमलीभांठा वार्ड नंबर-3 में घनी आबादी के बीचों बीच एयरटेल कंपनी का टावर लगाने के लिए मैनेजमेंट ने नगर पालिका से अन्नापत्ति प्रमाण के लिए आवेदन किया था। इसके अलावा जिला प्रशासन से भी ऑनलाइन आवेदन किया था।
अनापत्ति आदेश जारी करने से पहले ही कंपनी मैनेजमेंट ने नगर पालिका राजस्व विभाग के गुमान सिंह ध्रुव को साथ लेकर एक अन्य व्यक्ति की खाली पड़ी जमीन स्थल का निरीक्षण कराया था। इस तरह नगर पालिका ने स्थल निरीक्षण के बाद कंपनी मैनेजमेंट को अनापत्ति आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद वार्ड नंबर 3 के पार्षद कृष्ण कुमार चंद्राकर सहित स्थानीय लोगों को जब मोबाइल टावर लगने की भनक लगी तो सभी ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। पार्षद सहित नागरिकों ने मोबाइल टावर लगाने के नियम और कानून 2021 का हवाला देते हुए कलेक्टर, एसपी, नगर पालिका को लिखित शिकायत की और नियम खिलाफ टावर लगाने का विरोध करने लगे।
शिकायत से पहले मोबाइल कंपनी टावर लगाने के लिए एक ट्रक में भरकर सामान पहुंचते ही पूरे मोहल्ले वासी जमा होकर वहीं सडक़ पर बैठ गए। जब इसकी सूचना जिला प्रशासन के कानों तक पहुंची तो नगर पालिका के इंजीनियर शर्मा, अमन चंद्राकर,दिलीप कश्यप, गुमान सिंह ध्रुव और पटवारी खेमलाल साहू दस्तावेज सहित मौके पर पहुंचे। टीम ने जब नजरी नक्शा और स्थल का निरीक्षण किया तो जमीन कोई दूसरी ही निकली।
कंपनी ने एक अन्य व्यक्ति की खाली पड़ी जमीन को दिखाया था। नगर पालिका टीम हैरान रह गई। कंपनी मैनेजमेंट ने इमलीभांठा निवासी अनीता विश्वकर्मा के साथ टावर लगाने के लिए एग्रीमेंट किया था। उन्हीं के घर के आंगन टावर लगाने का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसके बाद नगर पालिका टीम ने कंपनी मैनेजमेंट को काम रोकने का आदेश दिया।
इस मामले में मोहल्लेवासियों का कहना है कि ट्राई के नियमों के अनुसार आवासीय क्षेत्र में टावर लगाने के लिए स्थानीय लोगों की सहमति अनिवार्य है। अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में टावर स्थापित नहीं होता। जबकि 25 मीटर की दूरी पर ही स्कूल संचालित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2021 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने राज्य में आवासीय भवनों के ऊपर मोबाइल टावर लगाए जाने पर रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए कहा था मोबाइल टावर लगाने से लोगों की जान को खतरा हो सकता है। इसके बावजूद नगर पालिका गुपचुप तरीके से अनापत्ति दे दिया। इसी का नतीजा है कि कंपनी मैनेजमेंट ने जगह कहीं और दिखाकर टावर कहीं और लगा रहे हैं।