महासमुन्द

पहली बार कादरी लेपाक्षी मूंगफली की खेती
23-Jul-2025 4:53 PM
पहली बार कादरी लेपाक्षी मूंगफली की खेती

कीट विरोधी यह किस्म हल्की सूखी-गीली दोनों ही भूमि पर उगती है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 23 जुलाई। जिले में पहली बार प्रोटीन, मैग्निशियम, विटामिन तथा मिनरल्स से भरपूर कादरी लेपाक्षी किस्म की मूंगफली की खेती की जा रही है। जिले में अब साधारण किस्म की मूंगफली 2 हजार हेक्टेयर में ली जा रही थी। लेकिन तिलहली फसलों को प्रमोट करने के लिए कृषि विभाग इस बार भरपूर उत्पादन देने वाले इस किस्म की मूंगफली का प्रदर्शन कर रहे हैं। अत: इस साल कुल 2350 हेक्टेयर में मूंगफली की फसल ली जा रही है। जिसमें 700 हेक्टेयर में कादरी लेपाक्षी 1812 की बीजों की बोनी हुई है।

इसमें बसना में 250 हेक्टेयर, सरायपाली 250 हेक्टेयर, पिथौरा 50 हेक्टेयर, महासमुंद 50 हेक्टेयर तथा बागबाहरा में 100 हेक्टेयर में इस किस्म की फसल लगाई गई है। वर्तमान में फसल की निंदाई, गुड़ाई का काम प्रगति पर है। यही नहीं किसानों को इसका बाजार दिलाने के उद्देश्य से बसना ब्लॉक के ग्राम गनेकेरा में 10 लाख रुपए लागत से तेलघानी स्पेलर मशीन लगाने की भी योजना है। जिसके लिये शासन से स्वीकृति मिल गई है। प्लांट स्थापित करने वाले को इसके लिये सब्सिडी दी जायेगी।

मिली जानकारी के अनुसार शासन की मंशा है कि अच्छे उत्पादन के लिये किसी भी फसल में 5 साल के भीतर वाली किस्म को ही किसानों को दिया जाये। फलस्वरूप 1700 किसानों को कादरी लेपाक्षी किस्म के बीजों का वितरण किया गया था। वर्तमान में इनके पौधे 7 से 8 इंच के हो चुके हैं। कादरी लेपाक्षी किस्म की खासियत है कि यह गीली भूमि तथा सूखी भूमि पर भी आसानी से हो जाता है तथा इस किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में बीमारियों का खतरा कम रहता है। लिहाजा महासमुंद जिले में इसे खासतौर पर प्रमोट किया जा रहा है।  कादरी लेपाक्षी 1812 मूंगफली की एक उन्नत किस्म हैं जो आंध्र प्रदेश के आचार्य एन.जी रंगा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म सूखे कीटों और रोगों के प्रतिरोधी है, और उच्च उपज देने वाली है। अनुकूल मौसम और उन्नत कृषि पद्धतियों के कारण गुजरात राज्य भी मूंगफली की खेती के लिए एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है। अन्य प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्यों में राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं। अब छत्तीसगढ़ को मूंगफली उत्पादक क्षेत्र बनाने के लिए सरकार काम कर रही है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मूंगफली एंटीऑक्सीडेंट और खनिजों से भरपूर होती है। ये कोलेस्ट्रॉल, वजऩ और रक्त शर्करा को कम करने में मदद कर सकती है। मूंगफली हृदय रोग, डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक है। मूंगफली में मौजूद वसा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। मूंगफली में मौजूद फाइबर और उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है जैसे कि मूंगफली का मक्खन, मूंगफली का तेल, स्नैक्स और मिठाई आदि। कादरी लेपाक्षी 1812 मूंगफली के बारे में कहा जाता है कि यह किस्म किस्म सामान्य में अधिक उपज देती है। कादरी लेपाक्षी 1812 सूखा प्रतिरोधी किस्म है अत: यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है। यह किस्म कीट और रोग प्रतिरोधी है। यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में जल्दी पक जाती है। जिससे किसानों को फसल चक्र छोटा करने में मदद मिलती है।

 कादरी लेपाक्षी 1812 में तेल और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो इसे पोषण के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत बनाती है। यह किस्म गंभीर सूखे की स्थिति में भी अच्छी पैदावार देती है। इसकी प्रत्येक पौधे में 160 से 180 फलियां लग सकती है। इस मूंगफली में 51 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। यह किस्म विशेष रूप से आंध प्रदेश में लोकप्रिय है और अब अन्य राज्यों में भी इसकी खेती की जा रही है।


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