कोण्डागांव

प्रकाश नाग
केशकाल, 3 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। प्रकृति की गोद में बसा हुआ असीमित सुंदरता से भरपूर कोंडागांव जिले का केशकाल विकासखंड अपने विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के लिए पूरे प्रदेश भर में मशहूर है। पुरातात्विक महत्व के साथ इस स्थान का पर्यटन की दृष्टि से समस्त राज्य एवं संभाग में विशेष महत्व बनता जा रहा है। केशकाल विकासखंड से लगे कुएंमारी क्षेत्र में विगत 2-3 वर्षों में चर्चा में आये जलप्रपातों ने विकासखंड को विशेष पहचान दिलाई है। प्रतिवर्ष बरसात के मौसम में इन झरनों में कोंडागांव जिले के साथ साथ अन्य जिलों व राज्यों से सैलानी यहां घूमने आया करते हैं।
केशकाल विकासखंड के इन सभी जलप्रपातों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने हेतु जिला प्रशासन व वन विभाग के द्वारा अनेक योजनाएं भी बनाई गई है। जिला प्रशासन का प्रयास यह भी है कि इन जलप्रपातों के माध्यम से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का साधन भी बनाया जाए।
केशकाल विकासखंड के कुछ प्रमुख जलप्रपात इस प्रकार हैं- कोड़ाकाल जलप्रपात
कुएंमारी जलप्रपात के नाम से प्रसिद्ध यह जलप्रपात कुएंमारी ग्राम पंचायत से लगे ग्राम मिड़दे में स्थानीय नाले के लगभग 70 फिट की ऊंचाई से पंखे के आकार में निचे गिरने से बनता है। इसे कोड़ाकल जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। केशकाल विकासखंड मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 27 किलोमीटर है।
मुत्तेखडक़ा जलप्रपात
जलप्रपात को ‘मुत्तेखडक़ा’ शब्द बस्तर की जनजातीय भाषा से प्राप्त हुआ है, जिसका मूलत: शाब्दिक अर्थ है एक ऐसा स्थान जहां से कोई महिला दूध के समान श्वेत जल निचे गिरा रही हो। ग्राम माडगांव के ग्रामीण बसाहट के बाहर स्थानीय नाला लगभग 30 फिट की ऊंचाई से गिरकर इस जलप्रपात का निर्माण करता है।
लिंगोधरा जलप्रपात (बावनीमारी)
कुएंमारी ग्राम पहुचने से पूर्व आने वाले ग्राम बावनीमारी के पास स्थानीय नाले (आमा नाला) पर बनाने वाला यह जलप्रपात लिंगधरा जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। लगभग 25 फीट ऊँचे और 30-35 चौड़े इस जलप्रपात में वर्षा भर पानी रहता है। इस जलप्रपात के शिलाओं में आदिमानवकाल से शैलचित्र भी मिलते हैं।
उपरबेदी जलप्रपात
बटराली से होते हुए कुएंमारी ग्राम पंचायत से आगे ग्राम उपरबेदी जाने पर स्थानीय नाला लगभग 50 फिट (प्रथम सोपान 20 फिट , द्वितीय सोपान 40 फिट) की ऊंचाई से गिरकर एक मनोरम जलप्रपात का निर्माण करता है। केशकाल से इस जलप्रपात की दुरी लगभग 24 किलोमीटर है।
चेरबेड़ा जलप्रपात (चेरबेड़ा)
बटराली से होते हुए कुएंमारी ग्राम पंचायत पहुंचकर आगे दाहिने दिशा में जाने पर आता है ग्राम चेरबेडा, जिसकी बसाहट के बाहर स्थित स्थानीय नाले पर लगभग 40 फीट की ऊंचाई से जलधारा गिरने से चेरबेड़ा जलप्रपात का निर्माण होता है।
हांखीकुडुम जलप्रपात, (नलाझर)
केशकाल से विश्रामपुरी जाने वाले मार्ग में केशकाल से 7 किमी दूर ग्राम सिदावंड है जहाँ से लगभग 8 किमी दूरी में नेलाझर मार्ग पर पूर्व वन विभाग का संरक्षित वन क्षेत्र आता है, जिसके अन्दर स्थित है एक सुन्दरतम जलप्रपात जिसे स्थानीय ग्रामीण ‘हांखीकुडुम’ के नाम से बुलाते हैं। उक्त जलप्रपात 15-20 फिट की ऊंचाई से दो सोपानो में विभक्त होकर एक मनोरम जलप्रपात का निर्माण करता है। हांखीकुडुम दो शब्दों के अपभ्रंश से बना है: कुडुम का स्थानीय अर्थ होता है ऐसी खाई जिसमे पानी गिरता हो एवं इस स्थान के ग्रेनाइट की चट्टानों को देखकर ऐसा भान होता है जैसे यहाँ हाथियों का विश्राम स्थान हो ।
कटुलकसा जलप्रपात (होनहेड़)
होनहेड़ गांव केशकाल ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 12-14 किलोमीटर दूर है। बटराली ग्राम मोड़ की ओर 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है और फिर पक्की सडक़ सीधे गाँव होनहेड की ओर जाती है जहाँ यह जलप्रपात स्थित है। स्थानीय ग्रामीण इसे ‘कटुलकसा झरना’ कहते हैं। स्थानीय नाला लगभग 60 फीट (ऊंचाई में) नीचे उतरता है और इस अद्भुत झरने को बनाने के लिए 80 फीट की लंबाई को कवर करता है जिसे कटुलकसा झरना के रूप में जाना जाता है।
आदिवासी सभ्यताओं से रूबरू होंगे सैलानी- देवचंद मातलाम
जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम ने बताया कि मेरे जिला पंचायत क्षेत्र अंतर्गत विगत 3 वर्षों से सुर्खियों मे आये जलप्रपातों तक जाने वाले सभी मार्गों को सुगम बना दिया गया है। इसके साथ ही हमारा प्रयास रहेगा कि उक्त जलप्रपातों के अंतर्गत आने वाले ग्रामों में आदिवासी संस्कृति उनके वेशभूषा समेत अन्य सभी क्रियाकलाप से लोगों को अवगत करवाया जाए। जिससे जलप्रपात घूमने आने वाले सैलानी ग्रामीण क्षेत्रों की संस्कृति, वेशभूषा, दिनचर्या और ग्रामीणो के खान पान की भी जानकारी मिले।
दूरस्थ अंचल ने बसे पर्यटन स्थलों को किया जाएगा विकसित- रेंजर
इस विषय पर जानकारी देते हुए केशकाल वन परिक्षेत्र अधिकारी नरेश नाग ने बताया कि केशकाल क्षेत्र में पिछले कुछ समय मे बहुत से सुंदर जलप्रपात सुर्खियों में आये हैं। हमारा प्रयास है कि सभी जलप्रपातों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए, ताकि इन जलप्रपातों के माध्यम से स्थानीय ग्रामीणों व युवाओं के लिए रोजगार का साधन भी बनाया जाए। कोरोनाकाल से पूर्व जब स्थिति सामान्य थी, उस समय इस क्षेत्र के प्रमुख जलप्रपातों में प्रतिदिन 1500-2000 से अधिक सैलानी पहुँचते थे। मानसून की शुरुआत हो चुकी है, झरनों में पानी भी आने लगा है अब जल्द ही जलप्रपात आम जन के लिए पुन: खोल दिये जाएंगे।