कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
विश्रामपुरी, 22 मार्च। जिले मे अवैध ईट भट्ठें की बाढ़ सी आ गई है। ईंट भट्ठें में जंगल के हरे भरे वृक्ष एवं निजी भूमि के फलदार वृक्षों को काटकर झोंका जा रहा है। नदी किनारे के महुआ साजा जाम तेंदू के झाड़ से भी ईंट पकाने का काम हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग के द्वारा न कोई गस्त न कोई कार्रवाई की जा रही है। जिसके चलते अवैध ईंट भट्ठें संचालकों के हौसले बुलंद हैं। कई ऐसे लोग हैं जो ईंट पकाकर ठेकेदारों को सप्लाई कर रहे हैं तो कई जगह ठेकेदार स्वयं दलालों को पैसे देकर सस्ते में ईंट प्राप्त करने के लिए ऐसे अवैध ईंट बनवा रहे हैं। राजस्व एवं खनिज विभाग ने ईट भ_ों पर लगाम लगाना बंद कर दिया है। शिकायत होने पर ही कुछ जगहों पर कार्यवाही कर औपचारिकता पूर्ण कर ली जाती है।
कोंडागांव वनमंडल अन्तर्गत मर्दापाल, माकड़ी, गमरी बालोंड , केरावाही के आसपास अवैध ईंट भट्टे सडक़ों के किनारे देखे जा सकते हैं। कई जगहों पर अवैध ईंट का निर्माण जंगल से सटाकर कराया जा रहा है ताकि जंगल के लकडिय़ों को काटकर भ_ों में डाला जा सके।
पर्यावरण को नुकसान
ईंट भ_ों के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमति आवश्यक है किंतु विभाग को कोई पूछता भी नहीं। कई लोग ईट बना रहे हैं किंतु किसी ने भी अब तक पर्यावरण विभाग न ही खनिज विभाग से अनुमति ली है।
सूत्रों के अनुसार कहीं शासकीय बंजर भूमि पर तो कहीं निजी भूमि पर धड़ल्ले से ईंट का निर्माण हो रहा है। ईट भ_ा संचालन के लिए ईट भट्टों के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसका कभी कोई पालन करते नहीं दिखता। ईट भट्टा संचालन के लिए स्वयं की जमीन या जमीन का अनुमति पत्र होना आवश्यक है। ग्राम पंचायत का प्रस्ताव, पर्यावरण विभाग का एनओसी, खनिज विभाग की अनुमति आवश्यक है किंतु कहीं भी इसका पालन होते नहीं दिखाई देता।
गश्त का निर्देश दिया गया है-डीएफओ
वनमंडलाधिकारी कोंडागांव उत्तम कुमार गुप्ता ने कहा कि अब तक किसी ईंट भ_ा संचालक पर कार्रवाई नहीं की है किन्तु ईंट भ_े के मामले में सभी वनपरिक्षेत्राधिकारियों को गश्त का निर्देश दिया गया है।