कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 25 जुलाई। शहर के हृदयस्थल पर स्थित दो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले सरोवर—राम मंदिर तालाब और बंधा तालाब—आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। कभी धार्मिक आस्था और शहर की सुंदरता के प्रतीक रहे ये जलाशय अब गंदगी, बदबू और प्रशासनिक उदासीनता के कारण पहचान खोते जा रहे हैं।
राम मंदिर के समीप स्थित तालाब में शहर की गंदे नालियों का पानी सीधे गिर रहा है। जहां कभी श्रद्धालु पूजा सामग्री और कलश का विसर्जन करते थे, अब वहां से सड़ांध उठ रही है। यह तालाब जो कभी श्रद्धा का केंद्र था, अब प्रदूषण का स्रोत बन गया है।
वहीं, दूसरा प्रमुख जलाशय बंधा तालाब, जो भगवान शिव की प्रतिमा के नीचे स्थित है, 20 एकड़ क्षेत्र में फैला है। कभी यह स्थल बोटिंग और पर्यटन विकास की संभावनाओं से भरा हुआ था, लेकिन आज यह पूरी तरह जलकुंभी से ढक चुका है। पानी की झलक तक नहीं दिखती।
स्थानीय नागरिकों, समाजसेवियों और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कई बार दोनों तालाबों की सफाई और संरक्षण की मांग की, लेकिन हर बार बात योजना तक सीमित रह गई। नगर पालिका के पास न तो कोई ठोस कार्ययोजना है, न ही गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था। नतीजतन, इन ऐतिहासिक धरोहरों को धीरे-धीरे कचरे के ढेर में तब्दील किया जा रहा है।
नगरवासियों का कहना है कि अगर समय रहते इन जलस्रोतों की सफाई और पुनर्जीवन के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह सिर्फ धार्मिक आस्था का ही नहीं, शहर की सांस्कृतिक पहचान का भी अपमान होगा।