कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 19 जुलाई। जिला मुख्यालय कोण्डागांव में स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। निजी स्तर पर कुछ वाहन संचालक विशेष रूप से मारुति सुजुकी ईको जैसे मिनी वाहनों का उपयोग कर स्कूल पिक एंड ड्रॉप सेवा चला रहे हैं। यह सुविधा बिना किसी वैध परमिट, पंजीयन अथवा सुरक्षा मानकों के संचालित की जा रही है, जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है और शासन को राजस्व की भी क्षति हो रही है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कौशलेंद्र देव पटेल ने इस पर कहा कि, ऐसे वाहन चालकों के साथ पहले बैठक कर समझाइश की जाएगी, लेकिन यदि वे नहीं माने, तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने भी आश्वस्त किया है कि, जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।इन वाहनों की स्थिति चिंताजनक है जहां सात सीट की क्षमता वाले वाहनों में 15 से अधिक बच्चों को ठूंस-ठूंस कर बैठाया जा रहा है। न तो वाहन पर च्च्स्ष्द्धशशद्य ष्टद्धद्बद्यस्रह्म्द्गठ्ठ शठ्ठ क्चशड्डह्म्स्रज्ज् जैसी चेतावनी पेंट की गई है और न ही कोई प्रशिक्षित परिचालक या सुरक्षा उपाय मौजूद हैं। वाहन निजी नंबर प्लेट (सफेद पट्टी) वाले हैं, लेकिन उनका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, जो मोटरयान अधिनियम की धारा 66 का सीधा उल्लंघन है। सडक़ सुरक्षा से जुड़े नियमों के अनुसार, बिना परमिट स्कूली बच्चों का परिवहन धारा 66/192्र के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। इसी प्रकार, वाहन की अनुमत सीट सीमा से अधिक बच्चों को बैठाना धारा 194्र के तहत सज़ा योग्य है। यही नहीं, जब कोई निजी वाहन व्यावसायिक कार्य में प्रयुक्त होता है, तो इससे शासन को देय टैक्स की भी चोरी होती है, जो अलग से दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करती है।
मौके पर देखे गए दृश्य बताते हैं कि ये वाहन न केवल ओवरलोडेड हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती जा रही है। वाहन संचालक न सीट बेल्ट, न फर्स्ट एड, न इमरजेंसी प्लान और न ही बच्चों को लाने-ले जाने की मॉनिटरिंग प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। इससे साफ ज़ाहिर है कि परिवहन विभाग और जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते एक गंभीर स्थिति निर्मित हो चुकी है।