कोण्डागांव

निकाय-पंचायत चुनावों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कमी करना अनुचित: तिलक पांडे
27-Dec-2024 9:54 PM
निकाय-पंचायत चुनावों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कमी करना अनुचित: तिलक पांडे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 27 दिसंबर। तिलक पांडे चेयरमैन कंट्रोल कमिशन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य परिषद छत्तीसगढ़ ने नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कमी करने को अनुचित बताया है।

उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बस्तर संभाग सर्व पिछड़ा वर्ग समाज द्वारा नगरीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कमी किए जाने के मुद्दे को लेकर 30 दिसम्बर को बस्तर बंद व चक्काजाम किये जाने के फैसले को सही ठहराया है। कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 30 दिसम्बर के ‘चक्का जाम बस्तर बंद’ का पूरा समर्थन करती है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार से मांग करती है कि अपने लिए गए निर्णय पर पुनर्विचार करें तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी छत्तीसगढ़, राज्य एवं केंद्र की सरकार को यह चेतावनी भी देती है कि वे पिछड़ा वर्ग समाज की भावनाओं के साथ बार-बार खिलवाड़ न करें।

आगे बताया कि सन् 1990 में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व अन्य वामपंथी दलों के सहयोग से चल रही वी.पी.सिंह की संयुक्त मोर्चा की सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया था। तब भारतीय जनता पार्टी द्वारा पिछड़े वर्ग को दिए जा रहे आरक्षण के विरोध में देश भर में आंदोलन चलाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप पिछड़ा वर्ग के लोगों को आज तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा मौजूदा राज्य सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग में आने वाली जातियों के लोगों की संख्या मालूम कराने एक कमेटी बनायी गई थी। इस कमेटी की भ्रामक जानकारियों को आधार मानकर राज्य सरकार द्वारा आनन फानन में पिछड़ा वर्ग के लोगों को नगर पालिका, नगर निगम व नगर पंचायत में मिलने वाले आरक्षण में कटौती की गई है, जिससे पिछड़ा वर्ग समाज के समस्त सामाजिकजन आंदोलित हो चुके हैं, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस रिपोर्ट को लागू कर देने से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कमी कर दिया गया। कमी कर देने से बस्तर में विरोध शुरू हो गया है और यह विरोध स्वाभाविक है, होना चाहिए। बस्तर के कई पालिकाओं व नगर पंचायतों में एक भी वार्ड पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। यह सीधा-सीधा पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय व जुल्म है।


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