कोण्डागांव

मसीही समाज ने दिया धरना, सौंपा ज्ञापन
10-Dec-2024 10:24 PM
मसीही समाज ने दिया धरना, सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 10 दिसंबर। जिला मुख्यालय के डीएनके कॉलोनी मैदान में 9 दिसंबर को मसीही समाज ने छत्तीसगढ़ युवा मंच के बैनर तले एक दिवसीय धरना दिया। इस प्रदर्शन में समाज के लोगों ने अपने धार्मिक और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई। धरना समाप्त होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने तहसीलदार को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। 

धरना प्रदर्शन के दौरान मसीही समाज ने ग्रामीण क्षेत्रों में उनके अधिकारों के लगातार हो रहे उल्लंघन पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि मसीही समाज के लोगों को प्रार्थना सभाओं में बाधा पहुंचाई जाती है और धर्मांतरण के झूठे आरोप लगाकर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। 

समाज की मुख्य मांग यह है कि पंचायत और ब्लॉक स्तर पर अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान का आवंटन किया जाए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में उनके मृतकों को गांव के सार्वजनिक कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं दी जाती।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार का अधिकार है, लेकिन मसीही समाज को इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मसीही मानने वालों के प्रार्थना घरों और धार्मिक गतिविधियों में बार-बार बाधा डाली जा रही है। शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता, जिससे समाज के लोगों को अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है। 

धरने के दौरान छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेंद्र भवानी ने कहा कि यह धरना पहले चरण के तहत है। यदि मांगें पूरी नहीं होतीं, तो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रहेगा।

 समाज के प्रमुख पदाधिकारियों में जिलाध्यक्ष ज्ञान प्रकाश कोर्राम, ईसाई समाज जिलाध्यक्ष क्रिस्ट मोहन सोना, एंजेल नेताम, शारदा नेताम समेत अन्य मौजूद रहे।

धरना प्रदर्शन के अंत में तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई कि प्रशासन मसीही समाज के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव और अधिकारों के हनन को तुरंत रोके। कब्रिस्तान का आवंटन जल्द किया जाए, ताकि किसी के अंतिम संस्कार में बाधा न आए और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का सम्मान हो सके। 

 मसीही समाज ने साफ कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे और मांगें पूरी होने तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।


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