कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 20 नवम्बर। भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ कोंडागांव से संबद्ध शासकीय प्राथमिक शाला मुरारीपारा बड़ेबेंदरी की कब-बुलबुल टीम ने कब- मास्टर पवन कुमार साहू के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध बिगुल बजाने वाली प्रथम महिला वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जयंती मनाई गई।
इस अवसर पर कब-मास्टर पवन कुमार साहू ने कब -बुलबुल टीम के छात्र-छात्राओं को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर सन 1828 में बनारस के एक मराठी परिवार में हुआ था। वह 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध बिगुल बजाने वाली वीरों में से एक थी। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था ,और प्यार से उसे मनु कह कर बुलाया जाता था।
बचपन से ही मनु शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेने लगी । नाना साहब और तात्या टोपे ने मनु को घुड़सवारी और तलवारबाजी सिखाएं । महज 12 वर्ष की उम्र में 1842 से मनु का विवाह झांसी नरेश गंगाधर राव नवलकर से हुआ। विवाह के पश्चात उसे रानी लक्ष्मीबाई के नाम से जानने लगे। विवाह के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने राजकुंवर दामोदर राव को जन्म दिया। लेकिन कुछ समय बाद ही उनके बच्चे का निधन हो गया। तब गंगाधर राव ने अपने छोटे भाई के पुत्र को गोद लिया और उसे दामोदर राव नाम दिया। अंग्रेज झांसी पर आक्रमण कर झांसी को हड़पने की कोशिश की। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजो को झांसी ना देने से इंकार कर दिया और अंग्रेजों से डटकर सामना करते हुए महज 29 वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुई।