कोण्डागांव
डॉक्टरों ने परिजनों से 3 दिन तक छुपाए रखा-आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 25 जून। जिला अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगे हंै। वहीं यह भी आरोप है कि मामले को परिजनों से 3 दिनों तक छुपाए रखा गया।
इस संबंध में डिलीवरी करने वाली डॉ. रीता गेडाम का कहना है कि, कई बार जटिल प्रसव प्रक्रिया के दौरान इस तरह की घटना होने की संभावनाएं रहती है, लेकिन बच्चे के हाथ टूटने के मामले में 3 दिन बाद भी परिजनों को जानकारी नहीं दिए जाने के सवाल पर डॉ. गेडाम गोल मोल जवाब देती हुई नजर आर्इं।
वहीं इस मामले पर कोण्डागांव जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरसी ठाकुर ने शुरुआत में मामले की जानकारी उन्हें स्वयं को होने से इंकार कर दिया। बाद में उन्होंने कहा कि, बच्चे की हाथ टूटने की जानकारी परिजनों को तत्काल दे दिया गया था। फर्क सिर्फ इतना है कि, उन्हें मौखिक रूप से बताया गया था। लिखित रूप से जानकारी नहीं दी गई थी।
दरअसल, मंगलवार को जिला अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी करवाया गया। इस डिलीवरी के दौरान नवजात बच्ची का हाथ टूट गया। लेकिन घटना को शुक्रवार की शाम तक परिजनों से छुपाए रखा गया।
कोण्डागांव जिला अंतर्गत विकासखंड फरसगांव के बड़ेडोंगर थाना अंतर्गत कोरई गांव निवासी करण कोर्राम की पत्नी सुमित्रा कोर्राम का 20 जून को कोण्डागांव के जिला अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन करके डिलीवरी करवाया गया है। आरोप है कि इस डिलीवरी के दौरान सुमित्रा और करण की बेटी का हाथ डॉक्टरों की लापरवाही के चलते टूट गया है।
इस संबंध में करण और सुमित्रा ने जानकारी दी कि, सोमवार को सुमित्रा को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद उसे फरसगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। गंभीरता को देखते हुए सुमित्रा को कोण्डागांव के जिला अस्पताल रेफर किया गया।
जिला अस्पताल में सुमित्रा का सिजेरियन डिलीवरी करवाया गया। अब सुमित्रा और करण का आरोप है कि, डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनकी नवजात बच्ची का हाथ टूट गया। लेकिन इस बात को अस्पताल ने उनसे छुपाए रखा। बच्ची को तत्काल शिशु आईसीयू वार्ड में दाखिल करवा दिया गया था।
3 दिनों तक मां का दूध तो दूर बच्ची को देखने भी नहीं दिया गया
परिजनों ने आरोप लगाया है कि सुमित्रा को जब डिलीवरी हुआ तो वह ऑपरेशन के चलते बेहोश थी। बेहोशी के कारण सुमित्रा ने अपनी नवजात बच्ची का चेहरा भी नहीं देखा। परिजनों को बिना कुछ बताए नवजात बच्ची को जिला अस्पताल के शिशु एवं मातृत्व अस्पताल अंतर्गत संचालित शिशु आईसीयू वार्ड में दाखिल करवा दिया गया। जहां शुक्रवार की शाम तक उसे परिजनों से दूर रखा गया। यह 3 दिनों तक सुमित्रा और करण की नवजात बच्ची को परिजनों से दूर रखा गया और मां का दूध भी पिलाने नहीं दिया गया।
3 दिन के बाद दादी ने बच्चे को शिशु आईसीयू से निकाला, तब खुलासा
करण की मां फूलदाई ने बताया कि, 3 दिनों तक जब बच्चे को देखने या दूध पिलाने के लिए नहीं दिया गया तो वह शिशु आईसीयू वार्ड पहुंची। यहां उनकी नवजात बच्ची रो रही थी। फूलदाई ने नवजात बच्ची को अपने बेटा बहू से मिलवाया। जब नवजात बच्ची को सुमित्रा और करण से मिलाया गया तो उसके हाथ में पट्टी बंधा हुआ था।
परिजनों ने जब जिला अस्पताल में ही बच्ची का एक्स-रे करवाया, तब जाकर उन्हें उनकी बच्ची के हाथ के टूटने का जानकारी पता चला। बच्ची का एक्स - रे फिल्म, जिसमें उल्लेखित डेट से माता-पिता के दावों की पुष्टि होती है।


