कोण्डागांव

भंगाराम जात्रा में एकत्र हुए 9 परगना के देवी-देवता, देवी-देवताओं की भी लगी अदालत
20-Aug-2022 9:17 PM
भंगाराम जात्रा में एकत्र हुए 9 परगना के देवी-देवता, देवी-देवताओं की भी लगी अदालत

कलेक्टर, एसपी समेत जनप्रतिनिधि भी हुए शामिल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
केशकाल, 20 अगस्त।
केशकाल नगर में आयोजित होने वाले भंगाराम जात्रा प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी शनिवार को आयोजन हुआ, क्षेत्र के सारे देवी देवताओं ने इस जात्रा में शिरकत की। साथ ही कोंडागांव कलेक्टर दीपक सोनी, एसपी दिव्यांग पटेल , एसडीएम एस.एन. सिन्हा समेत जनपद पंचायत अध्यक्ष महेंद्र नेताम समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।
जात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है, जिसके तहत् ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले क्षेत्र के सारे देवी-देवताओं को साल में एक बार शनिवार के ही दिन अपने अपने कार्यों का ब्यौरा भंगाराम मांई के समक्ष देना होता है. तत्पश्चात् यहां उनके कार्यों के हिसाब से उन्हें दण्ड अथवा सम्मान से नवाजा जाता है।

मुगंबाडी स्थित कुंवर पाठ के मंदिर से अगवानी बाजा-गाजा के साथ करते हैं। सभी देवी देवता केशकाल थाना पहुंच पुलिस वाले पूजा के बाद आमंत्रित देवी देवता बाजे की धुन पर नाचे-कूदे माई गंगाराम मंदिर परिसर पहुंचते हैं, जहां पर पूजा-अर्चना के साथ देवी देवताओं की अदालत लगाई गई है। जिसमें देवी देवताओं पर लगाये जाने पर आरोपी की बड़ी गंभीरता से सुनवाई होती है और फिर फैसला सुनाया गया।

आम अदालतों की भांति यहां पर भी नैसिंर्गक न्याय किया जाता है। अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाता है, आरोप के अनुसार फैसला होता है। यहां प्रतिनिधि के रूप पुजारी ,गायता, सिरहा, ग्राम प्रमुख, मांझी मुखिया, पटेल उपस्थित रहते हैं। पहले दिन फुल पान नारियल व धूप भेंट कर मांईजी की सेवा पूजा की जाती है । क्षेत्र से आये हुए देवों को रात्रि में ठहरना होता है फिर दूसरे दिन देवी-देवताओं को खुश करने के लिये बलि और अन्य भेंट दी जाती है. बिना मान्यता के किसी भी नई देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। जरूरत के मुताबिक अथवा ग्रामीणों की मांग पर उन्हें मान्यता दी जाती है।

मंदिर के पास ही बनाया गया है कारागार, करते हैं खान देवता की पूजा
माई भंगाराम देवी के मंदिर के पास ही एक ऐसा स्थान है, जहां पर गांव-गांव से लाये पूजा पाठ सामाग्रियों को डाला जाता है। जिसे कारागार या जेल के रूप में माना जाता है, देवी देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उन्हें भी आरोपों के खटघरे में खड़ा कर दंडित किया जाता है। वर्ष में एक बार लगने वाले इस मेले में महिलाओं का आना वर्जित है।

जात्रा में आये समाज के कुछ लोगों से इस परंपरा के विषय में जानकारी लेने पर बताया कि यहां खान देवता के नाम से पूजित देव जिसे ग्रामीण देशी अण्डे का भेंट चढ़ाया करते हैं, जिसके पीछे यह मान्यता है कि बहुत समय पूर्व क्षेत्र में हैजे का जबरदस्त प्रकोप फैला, जिससे निजात दिलाने मांई जी की ही प्रेरणा से डॉक्टर पठान जो कि नागपुर महाराष्ट्र के निवासी थे यहां आये और मांईजी के आशीष से उन्होंने हैजे का उपचार करना प्रारंभ किया व उत्कृष्ट कार्य किया, जिससे मांई जी ने उन्हें स-सम्मान अपने पास स्थान दिया तथा आज भी वे पठान देवता के नाम से यहां पूजे जाते हैं। इस जात्रा का धार्मिक महत्व मुख्यत: आदिवासी वर्ग से जुड़ा है एवं पुराने ग्रामीण आदिवासी ही इस बारे में ज्यादा जानकारी रखते है।

कलेक्टर दीपक ने भी भंगाराम माई का  दर्शन कर लिया आशीर्वाद
कोंडागांव कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि पहली बार भंगाराम माई जी का दर्शन करने का सौभाग्य मिला। पूरे देश भर से लोग बस्तर की अनोखी परंपरा देवी देवताओं का इस अदालत को देखने इंतजार करते हैं। हम लोगों ने माई जी से क्षेत्रवासियों को खुशहाल रखने आशीर्वाद लिया।


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