गरियाबंद

दू के पहाड़ा ला चार बार पढ़, अमटहा भाटआ ला खा अउ मुनगा ला चूचर, राजिम में नहा के डोंगरगढ़ मा चढ़ तेला कथे बाबू छत्तीसगढ़
16-Feb-2025 3:39 PM
दू के पहाड़ा ला चार बार पढ़, अमटहा भाटआ ला खा अउ मुनगा ला चूचर, राजिम में नहा के डोंगरगढ़ मा चढ़ तेला कथे बाबू छत्तीसगढ़

राजिम कुंभ के मुख्य मंच पर कवियों ने किया लोट-पोट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी।
राजिम कल्प कुंभ 2025 के तीसरे दिन मुख्य मंच पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में हास्य व्यंग्य कवि पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे, शशिभूषण स्नेही, रामानंद त्रिपाठी, किशोर तिवारी, पतांजल मिश्रा, सोमप्रभा नूर की जबरदस्त प्रस्तुति हुई। साहित्यकार साहित्य की विभिन्न विधाओं, गीत, कहानी, गजल, कविता से निरश मन में उत्साह का संचार करते है। ऐसे ही अखिल भारतीय हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन में अपनी कविताओं से साहित्यकार ने मेलार्थियो को हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर दिया।

कवि सुरेन्द्र दुबे ने हास्य व्यंग से कार्यक्रम की शुरुआत की उन्होंने राजिम क्षेत्र के कवियों को याद करते हुए की। अपनी पहली लाइन में उन्होंने राजिम का बखान करते हुए कहा कि दू के पहाड़ ला चार बार पढ़,अमटहा भाटआ ला खा अउ मुनगा ला चूचर,राजिम में नहा के डोंगरगढ़ मा चढ़ तेला कथे बाबू छत्तीसगढ़। इन पंक्तियो को सुनकर दर्शको की ओर से तालियो की गडग़ड़ाहट  होने लगी। उनकी कविताओ को सुनकर इधर-उधर बिखरे मेलार्थी सीधे मंच के सामने आकर बैठ गए। रामानंद त्रिपाठी ने अपनी कविताओं में भगवान राम की स्तुति करते हुए पंक्तियाँ पढ़ी  गैरो को दिल मे बसा कर देखो, कण-कण मे ही बसे है, आयोध्या मे राम।  इन पंक्तियो को दर्शकों की खूब सराहना मिली। किशोर तिवारी ने सांझ के बेरा तुलसी चौरा मा दिया जलाके देख.... भात के आथे सुरता...., नवा सूरज के नवा अंजोर, बदलने की सोचो न तुम गांव को गांव रहने जैसे शानदार गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शको का मन मोह लिया।

कवि के रूप में शशिभूषण स्नेही ने अपनी ओजस्वी स्वर में घर के बने रहेव मै दुलरवा... ऊंचा खानदान है। करेला नही मलाई खाई है, तब जाकर सेहत पाई है। मार्ग में है कई बाधा उन्हे बस लडकियो की स्कूटी से बचाईयें। बडी उलझन में हु देश को जगाने का मुनादी कौन करेगा? जैसी ओजस्वी रचना पढी। कवियत्री सोमप्रभा ने सुमधुर आवाज में राधिका की मै मीरा थी, किसी मोहन की याद में जैसी कविताओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी मंच पर आरती बारले लोक कला मंच की शानदार प्रस्तुति हुई। उन्होने मंगनी मा मां गे ले मया नई मिले रे.., का जादू डाले रे..., सारी रात पहागे तोर अगोरा मा... गीतो से दर्शकों को झूमने में मजबूर कर दिया। कलाकारों को आयोजन समिति द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
 


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