संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : वक्त बड़ा नाजुक है, ऐसे में तनाव बढ़ाने से बचना जरूरी
सुनील कुमार ने लिखा है
26-Jun-2025 6:47 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  वक्त बड़ा नाजुक है, ऐसे में तनाव बढ़ाने से बचना जरूरी

कल एक जगह एक महिला घर पर नहा रही थी कि उसे अहसास हुआ कि बाथरूम के रौशनदान से कोई उसकी फोटो ले रहा है। फ्लैश की चमक देखकर उसने आवाज लगाई, तो पति और बेटों ने जाकर पकड़ा, तो पता लगा कि पास का एक व्यक्ति जो कि जमानत पर जेल से छूटकर आया था, वही यह काम कर रहा था, और पकड़े जाने पर उसने अपने भाईयों के साथ इस परिवार के लोगों को पीटा भी। बाद में मामला बढऩे पर उसे गिरफ्तार किया गया। दिक्कत की एक बात यह भी थी कि महिला का परिवार हिन्दू था, और फोटो खींचने वाला मुस्लिम था। यह अकेला मामला नहीं है, देश में जगह-जगह कई ऐसे दूसरे मामले भी हो रहे हैं, जिनमें हिन्दू लड़कियों या महिलाओं से मुस्लिम लडक़े या मर्द किसी तरह का गलत काम कर रहे हैं, और वे कहीं भोपाल में सुबूतों सहित पकड़ा रहे हैं, या छत्तीसगढ़ में कोई शादीशुदा अधेड़ मुस्लिम किसी कमउम्र हिन्दू लडक़ी से शादी कर रहा है, और उसे लेकर सामाजिक तनाव हो रहा है।

हिन्दू-मुस्लिम तनाव के देश के इस माहौल में कुछ लोगों को यह लिखना अटपटा लग सकता है कि हम आग में घी या पेट्रोल झोंक रहे हैं। लेकिन हमारा मानना है कि जिंदगी के असल मुद्दों को अनदेखा करने, या उन्हें कालीन के नीचे छुपा देने से, लपेटकर ताक पर धर देने से वे सुलझ नहीं जाते। भारत में हिन्दू-मुस्लिम तनाव चाहे कितना ही नाजायज क्यों न हो, वह एक हकीकत है। ऐसे में दोनों समुदायों के लोगों को इस बात के लिए तो सावधान रहना ही पड़ेगा कि अगर दूसरे समुदाय से कोई शिकायत आती है, तो क्या होगा? कानून तो बाद में अपना काम करेगा, भीड़ तब तक अपना काम कर चुकी रहेगी। इससे परे भी एक दूसरी चीज हमको लगती है कि प्रेमसंबंध हों या देहसंबंध, इन सबमें लोगों को इस सामाजिक हकीकत को याद रखना चाहिए कि ऐसी एक शादी किसी शहर में दंगा करवाने के लिए काफी हो सकती है। हो सकता है कि किसी हिन्दू को मुस्लिम से, या मुस्लिम को हिन्दू से मोहब्बत हो जाए, लेकिन उनका एक होना आज बहुत बड़े सामाजिक तनाव के साथ ही मुमकिन होगा। यह तनाव किस हद तक बढ़ेगा, इसका भी ठिकाना नहीं है, यह देश जगह-जगह भीड़त्या भी देखते आया है।

दूसरी बात यह कि आज जब इस देश में वैसे भी मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार के फतवे चलते ही रहते हैं, तब यह भी देखने की जरूरत है कि एक हिन्दू-मुस्लिम तनाव ऐसे फतवों को और बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। फिर यह भी है कि देश में कहीं लोग मुस्लिमों के लाए हुए खाने को लेने से इंकार कर रहे हैं, कहीं टैक्सी का मैसेज बताता है कि ड्राइवर मुस्लिम है, तो लोग बुकिंग कैंसल कर देते हैं, मुंबई जैसे महानगर में भी किसी मुस्लिम को किसी हिन्दू बहुल इमारत में फ्लैट किराए पर, या खरीदने के लिए नहीं मिलता। जब देश में एक अघोषित और घोषित सामाजिक बहिष्कार बड़े पैमाने पर चल रहा है, तो ऐसे में कम से कम मुस्लिमों को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि किसी हिन्दू लडक़ी से उनकी मोहब्बत, या शादी, किस तरह उनके पूरे परिवार, उनके पूरे पेशे, और उनके पूरे समुदाय के लिए बहिष्कार का फतवा ला सकती है। हम न तो हिन्दू-मुस्लिम मोहब्बत के खिलाफ हैं, न ही हिन्दू-मुस्लिम शादी के, लेकिन आज देश में जो तनाव है उसे देखते हुए ही लोगों को ऐसी मोहब्बत या शादी में पडऩा चाहिए। कानून में तो बहुत सारी चीजों की इजाजत रहती हैं, लेकिन देश की सरकारें ऐसी हर हिफाजत को लागू नहीं कर पातीं, और कई बार तो कई सरकारें ऐसा लागू करना चाहती भी नहीं हैं। देश में कई प्रदेशों में सरकारें ही साम्प्रदायिकता को बढ़ा रही हैं, और देश का कानून भी उन सरकारों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा। सुप्रीम कोर्ट तक हेट-स्पीच के मामले में पूरे देश की सरकारों को नोटिस देकर चुप बैठ गया है। देश भर में हेट-स्पीच का सैलाब चलते ही रहता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के साफ-साफ नोटिस के बावजूद स्थानीय सरकारें, और उनकी मातहत पुलिस कोई जुर्म दर्ज नहीं करतीं। देश में जब माहौल ऐसा है, तो हिन्दू-मुस्लिम के बीच का रिश्ता बहुत सारे खतरे लेकर आता है, और ऐसी एक शादी भी अनगिनत मुस्लिमों की नौकरी की संभावनाएं छीन लेती है, क्योंकि इसके बाद लोग अपने घर-दफ्तर, या कारोबार की किसी और जगह पर किसी मुस्लिम को काम पर रखने से कतराते हैं। हम हिन्दू-मुस्लिम अलगाव की वकालत नहीं कर रहे हैं, लेकिन आज के माहौल में इनका किसी भी तरह का मिलन दोनों समुदायों के बीच की खाई को और गहरा, और चौड़ा करते चल रहा है।

भारत में दस-बीस बरस पहले तक हिन्दू-मुस्लिम रिश्ते थोड़े-बहुत मंजूर भी हो जाते थे, लेकिन अब वे किसी दंगे के लायक काफी सामान बन चुके हैं। जब तक हवा से जहर कम नहीं होता, जब तक समुदायों का एक-दूसरे पर भरोसा नहीं बैठता, तब तक लोगों को अपनी हसरतों और हरकतों दोनों पर काबू रखना चाहिए। एक मुस्लिम जिम-कोच किसी हिन्दू लडक़ी या महिला से रिश्ता बनाकर, बाकी मुस्लिम नौजवानों के लिए रोजगार की संभावना खत्म कर सकता है। एक समुदाय के रूप में भी आज इस देश में मुस्लिमों को सावधान रहने की जरूरत है। हम इसे बहुत खराब नौबत मानते हैं, देश के संविधान की भावना के खिलाफ भी मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह सावधान रहने का वक्त है, कोई ऐसी वजह खड़ी नहीं करनी चाहिए जो कि एक दंगा भडक़ा सके। देश का कानून, देश की सरकारें आज की इस हकीकत को न बदल सकते, और न ही शायद बदलना चाहते हैं। इसलिए लोगों को फिलहाल अपने दायरे में सीमित रहना चाहिए, और तनाव को और अधिक बढऩे नहीं देना चाहिए। लोगों को यह भी याद रखना चाहिए कि ऐसे माहौल में अल्पसंख्यक समुदाय को किसी भी किस्म के जुर्म से, किसी भी किस्म की गुंडागर्दी से बचकर रखने की जरूरत भी है, क्योंकि इसे उनके खिलाफ तुरंत ही इस्तेमाल किया जा सकता है। 

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