धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 22 जुलाई। शासकीय सुखराम नागे महाविद्यालय नगरी के एमएस-सी वनस्पति विज्ञान विभाग नें सीतानदी अभ्यारण्य का शैक्षणिक भ्रमण प्राचार्य डॉ. मनदीप खालसा के मार्गदर्शन में व प्रो. कौशल नायक विभागाध्यक्ष के संयोजन में किया।
सीतानदी अभ्यारण्य एक संरक्षित क्षेत्र है, जो यहां की वनस्पति व वन्य जीवों के संरक्षण में कार्य करती है, यह कार्य पहले यहां रहने वाले मूल मानव (आदिवासी) किया करते थे। जो एक पारिस्थितक रूप से सतत् विकास का अनूपम उदाहरण प्रस्तुत करता था।
विषय विशेषज्ञ प्रो. कौशल नायक (ईथनोबॉटनीस्ट) ने मानव व पौधों के संबंध को बताते हुए यहां पाये जाने वाले फंगस, लाइकेन व औषधिय पौधे जैसे शतावरी जिसे जड़ी-बूटियों की रानी कहते है उसको कैसे बुखार, सिरदर्द व पाचन के लिए आदिवासी उपयोग करते है इस पर प्रकाश डाला।
यहां कई पौधे जैसे जंगली प्याज जिसे ग्रामीण बंद गोंदली के नाम से पुकारते हैं, इसका उपयोग ग्रामीण जब जंगलों में पशुओं को चराने जाते थे, तो उसका उपयोग पशुओं के लिए करते हैं। जो आज भी प्रासंगिक है। इसके अलावा विद्यार्थियों ने महुआ जंगली हल्दी, तीखूर, चार, तेंदू, के ना केवल उपयोग का जाना बल्कि इसके औषधीय गुणों को भी समझा। इस शैक्षणिक भ्रमण में नेहा राजन, सीता नेताम उपस्थित रहे।