धमतरी

दीवाली के पहले पटाखा का भंडारण, रिहायसी
08-Oct-2024 4:05 PM
दीवाली के पहले पटाखा का भंडारण, रिहायसी

इलाके में गोदामों में जमा हो रहा विस्फोटक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 8 अक्टूबर। दिवाली त्योहार इसी महीने है। पर्व नजदीक आते ही कई दुकानदारों ने पटाखे जमा करने का काम शुरू कर दिए हैं। दुकानदार सारे आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए रिहायशी इलाके में पटाखे का भंडार जमा कर रहे हैं। खासतौर पर शहर के रिहायशी इलाकों में अवैध गोदामों में पटाखों का भंडारण शुरु हो गया है, जबकि रिहायशी इलाकों में पटाखे स्टोर करने पर सख्त बैन है। यही नहीं, प्रशासन भी हर वर्ष पटाखों के गोदाम आबादी से दूर बनाने की हिदायत जारी करती हैं, लेकिन हिदायतों व खतरों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

दिवाली के आते ही पटाखा व्यवसायी थोक मात्रा में पटाखे का भंडारण करना शुरू कर रहे हैं। शहर में ही जगह-जगह बारूद का ढेर है। ऐसे ठिकानों में पुलिस इसलिए नहीं पहुंच पा रही है, क्योंकि पुलिस को कोई पुख्ता सबूत के साथ मुखबिरी नहीं रहती है। मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस ऐसे ठिकाने में छापामार कार्रवाई करती है। थोक कारोबारियों ने दानीटोला, सोरिद, दर्री, जालमपुर, भगत चौक, पुराना बस स्टैंड, आमापारा, कोष्टापारा, टिकरापारा आदि क्षेत्रों में पटाखों का स्टाक रखा है। अधिकांश बड़े व्यापारी पटाखा शहर के अंदर ही डंप कर रहे हैं। अस्थायी व्यापारियों ने भी खाली मकानों या अपने घरों पर पटाखों का स्टाक रखा है, जहां सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। यदि जिला प्रशासन और पुलिस अफसर संयुक्त रूप से जांच-पड़ताल करें, तो शहर में अवैध पटाखों का जखीरा मिलेगा।

रिहायशी इलाके में बनाए गोदाम

शहर के घनी आबादी व गलियों वाले इलाके में पटाखे का भंडारण किया जा रहा है। यहां लाखों रुपए के पटाखे जमा किए जा रहे हैं। इस कारण कभी भी कोई भयानक हादसा हो सकता है। पटाखा व्यापारियों ने अपने गोदाम शहर के विभिन्न मोहल्लों में इतनी तंग गलियों में बनाए हैं कि अगर वहां पर कोई हादसा होता है तो वहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों का पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

ये है कार्रवाई के प्रावधान

जो कोई व्यक्ति जान-बूझकर या लापरवाही द्वारा किसी विस्फोटक पदार्थ को ऐसे स्थान पर रखेगा, जिससे की मानव जीवन को संकट उत्पन्न होने वाला हो। तब उस व्यक्ति पर मामला दर्ज किया जाता है। इसके तहत लापरवाही के आरोपी को दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 6 माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो 1 हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। उसके बावजूद धड़ल्ले से गोदाम से लेकर दुकानें चल रही है। लाइसेंस जारी होने से नवीनीकरण में खानापूर्ति बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

पटाखे और बारूद के स्टॉक

की नहीं होती जांच

पटाखा के लिए लाइसेंस जारी कर जिला प्रशासन इतिश्री कर लेता है। संबंधित व्यवसायी नियमों के तहत 400 किग्रा बारूद रख सकता है। लाइसेंस जारी करते समय आवेदन में यह स्पष्ट रुप से लिखा रहता है, लेकिन लाइसेंस जारी करने के बाद उच्चाधिकारी कभी भी कड़ाई से जांच नहीं करते। लाइसेंस से कितना पटाखा बन रहा, कितना बारूद स्टोर किया गया है, इसकी भी नियमित जानकारी नहीं ली जा रही है।

इधर रिहाइशी इलाकों और घने बाजारों के बीच पटाखा का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। अब तक अवैध रूप से पटाखा संग्रहण करने वालों पर कार्रवाई या जांच शुरू नहीं हुई है। लाइसेंस शर्तों के अनुसार स्टाक सीमा, भंडारण स्थल, सुरक्षा इंतजाम आदि का उल्लेख पर व्यापारी इनका पालन कर रहे हैं या नहीं, यह जांचने की फुर्सत नहीं है।


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