धमतरी

सपनों को मिली उड़ान, एनु बनीं ‘स्कूटी दीदी’
16-Jul-2025 7:15 PM
सपनों को मिली उड़ान, एनु बनीं ‘स्कूटी दीदी’

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 16 जुलाई। सपनों को उड़ान देने के लिए पंख नहीं साहस और संकल्प की जरूरत होती है। इस बात को एनु ने सत्य साबित किया है। जिसके चलते लोग अब उन्हें स्कूटी दीदी के नाम से जानते हैं। एनु ने दो साल पहले सीमित संसाधनों के साथ महिला दोपहिया प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की थी। अब तक 30 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को स्कूटी चलाने का प्रशिक्षण दे चुकी है। आगे फोर व्हिलर वाहन चलाने का ट्रेनिंग सेंटर खोलने का उनका इरादा है।

कुरूद विकासखण्ड स्थित ग्राम उमरदा की एक जुझारू महिला एनु जो आज ‘स्कूटी दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं। संसाधनों की कमी, सामाजिक दबाव और सीमित अवसरों के बावजूद एनु न केवल आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई।

एनु का जन्म एक सामान्य ग्रामीण परिवार में हुआ, जहाँ आय के सीमित स्रोत थे, और लड़कियों की शिक्षा को लेकर अब भी संकोच और संकीर्ण सोच थी। परन्तु एनु की सोच इससे बिल्कुल अलग थी। वे हमेशा कुछ नया करने और अपने पैरों पर खड़े होने की इच्छा रखती थीं। कठिनाइयों और प्रतिकूलताओं के बावजूद उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए. की उपाधि हासिल की। यह उपलब्धि ही अपने आप में उनके संघर्ष और लगन का प्रतीक थी। लेकिन डिग्री लेना ही मंजि़ल नहीं थी। एनु जानती थीं कि केवल शिक्षा से रोजगार नहीं मिलेगा, जब तक उनके पास कोई कौशल न हो। इसी सोच के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन-बिहान से जुडक़र सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया।

 प्रशिक्षण के बाद उन्होंने एक लाख रूपये का बिहान से ऋण लिया। उनका अगला कदम गतिशीलता की ओर था। वे चाहती थीं कि गांव-गांव जाकर महिलाओं से मिलें, प्रशिक्षण दें और उनके जीवन को बदलने में योगदान दे सकें। उन्होंने पहले खुद स्कूटी चलाने का प्रशिक्षण लिया।

अब उसने तय किया कि वह एक ड्राइविंग स्कूल शुरू करेंगी, ताकि अन्य महिलाओं को भी गाड़ी चलाना सिखा सकें। 2023 में अपने सीमित संसाधनों के साथ महिला दोपहिया प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की। शुरू में केवल 2-3 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया, लेकिन जल्द ही यह संख्या बढ़ती चली गई। अब तक 30 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने का प्रशिक्षण दे चुकीं है। जिनमें से कई महिलाएं अब स्वयं स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र या बैंक जैसी जगहों पर काम करने के लिए आत्मनिर्भर रूप से आने-जाने लगी हैं।

एनु की यह पहल न केवल महिलाओं के जीवन में आत्मविश्वास और स्वतंत्रता लाई है, बल्कि सामाजिक सोच को भी बदला है। अब गांवों में लोग अपनी बेटियों और बहुओं को एनु के पास भेजते हैं, यह सीखने कि कैसे वे भी अपने सपनों की सवारी कर सकती हैं। उनकी इस उपलब्धि के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों ने उन्हें सम्मानित किया है।जिला प्रशासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया। बीते दिनों भारत सरकार ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा और कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने मुलाकात कर उनका उत्साहवर्धन किया था। एनु का सपना है कि वे हजारों महिलाओं को ड्राइविंग सिखाएं। इसके लिए वे जल्द ही चारपहिया ड्राइविंग स्कूल भी शुरू करने की योजना बना रही हैं।

एनु का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो समाज की जंजीरों को तोडक़र आगे बढऩा चाहती है। स्कूटी दीदी ने दिखा दिया कि सच्ची ताकत बाहरी साधनों में नहीं, बल्कि भीतर के आत्मबल और दृढ़ निश्चय में होती है। एनु सिलाई, ड्रायविंग, घर के कामकाज के अलावा मनरेगा, एलईडी लाईट आदि कामों में भी दक्ष हैं।


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