धमतरी

खेत में पराली जलाकर छोड़ा, 4 किमी क्षेत्र में फैली, पर्यावरण हो रहा प्रदूषित
28-May-2022 4:14 PM
खेत में पराली जलाकर छोड़ा, 4 किमी क्षेत्र में फैली, पर्यावरण हो रहा प्रदूषित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 28 मई।
रबी सीजन के धान फसल की कटाई-मिंजाई के बाद खेतों में पड़ी पराली अब किसानों व लोगों के लिए खतरा बना हुआ है। पराली में आग लगते ही तेजी के साथ आग फैल जाता है। दो दिनों से अंचल के कानीडबरी, कोलियारी, बंजारी क्षेत्र में आगजनी नहीं थमी है। हवा के कारण आग तेजी से फैल रही थी। करीब 4 किमी क्षेत्र में फैल गई। इस आग के संपर्क में आने से सडक़ किनारे लगे कई पौधे जलकर नष्ट हो गए। एक दिन पहले ही इसी क्षेत्र में करीब 60 एकड़ क्षेत्र में आग लगी थी, इसे बुझाने में 70 हजार लीटर पानी की खपत हुई थी।

उपजाऊ क्षमता हो रही कम
खेतों में पराली जलाने से जहां वायू प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो रही है। इसलिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रशासन ने पटवारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बावजूद भी पराली जलाने पर क्षेत्र में किसी भी किसान पर कार्रवाई नहीं हुई है। लगातार दूसरे दिन खेत में आग जलती रही। खेत में आग ही आग नजर आ रही थी, जबकि सडक़ पर धुंआ ही धुंआ दिखा। रास्ते से गुजरे वाले लोग नाक, मुंह को कपड़े से ढक़कर धुंआ से बचने की कोशिश करते रहे।

जुर्माने का है नियम
पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पराली जलाने पर प्रति घटना के हिसाब से जुर्माने का प्रावधान है। 2 एकड़ से कम पर 2500 रुपए प्रति घटना, 2 एकड़ से 5 एकड़ तक 5 हजार प्रति घटना और 5 एकड़ से अधिक पर 15000 रुपए प्रति घटना जुर्माना का प्रावधान है। कृषि और राजस्व विभाग के मैदानी अमले की उदासीनता से अब तक किसी भी किसान के ऊपर जुर्माना नहीं लगाया गया है। सिर्फ कागजों पर जागरूकता अभियान  चलता है।

परालीजलाने से नुकसान
पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है, जो कि सभी के लिए हानिकारक है। फसल की सुरक्षा के लिए कुछ सहायक कीट जो कि खेत में रहते हैं वह भी मर रहे हैं। इसका खामियाजा कम उत्पादन के रूप में भुगतना पड़ रहा है। खेत में आग लगाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है, जिससे उत्पादन में असर पड़ता है।
-जल्द दूसरी फसल लेने के लिए किसान उठा रहे भारी नुकसान।
 


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