‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 मई। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सोमवार दोपहर एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाजपा छोड़ गए नंदकुमार साय से पूछा कि क्या कांग्रेस ने कोई अनुचित दबाव तो नहीं डाला है।
ऐसे में अकस्मात् ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हो गयी, जिसके कारण श्री साय ने यह कदम उठाया, यह संदेह पैदा करता है। कहीं किसी अनुचित दबाव में तो नहीं हैं श्री साय, इसे देखना होगा।
उन्होंने कहा भाजपा का भरोसा साय जी पर हमेशा रहा है। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पहले चुनाव के ऐन मौक़े पर जब उनकी पुत्री ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, तब भी श्री नंद कुमार साय पार्टी के शीर्ष नेता रहे थे, और जऱा भी किसी कार्यकर्ता ने कोई संदेह नहीं किया था। लेकिन वह इतिहास ऐसे खऱाब तरीक़े से दुहराया जाएगा, इसकी रत्ती भर भी उम्मीद नहीं थी।
विष्णु साय ने कहा हमें आज भी अपने वरिष्ठ नेता के मान-सम्मान की अधिक चिंता है। स्व. करुणा शुक्ला जी का उदाहरण हमारे सामने है। वे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थीं, जब कांग्रेस जैसी लगभग स्थानीय पार्टी जितनी हैसियत में रह गयी पार्टी में वे प्रदेश उपाध्यक्ष बनायी गयीं, उसके जिस तरह से कांग्रेस ने उनका इस्तेमाल किया, और एकाकी जीवन जीते हुए, अपने पुराने परिवार के कार्यकर्ताओं की पीड़ा का जि़म्मेदार समझती हुई करुणा जी जैसे पीड़ा में अंत समय तक रही, वह इतिहास है।
अगर वास्तव में श्री साय ने किसी दबाव में आ कर ही ऐसा कदम उठाया होगा तो भाजपा के दरवाजे अभी भी खुले हैं।
जो कल तक अच्छा था, अब बुरा बन गया-साव
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, नन्दकुमार साय को भाजपा ने पूरा मान-सम्मान दिया। कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं, सोचने का विषय है।
उन्होंने कहा, कांग्रेस ने उन्हें कैसे तैयार किया है. कांग्रेस पार्टी ने आदिवासी समाज अपमानित किया. ऐसे समय में वे कैसे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं. जिस कांग्रेस पार्टी के खिलाफ लगातार लड़ते रहे, उस पार्टी में कैसे शामिल हुए. ये सोच का विषय है. उनका पूरा सम्मान है. लगातार वे पार्टी के कार्यक्रमों में आ रहे थे, लेकिन एकाएक कांग्रेस में कैसे चले गए ये समय पर सामने आएगा। जिस पार्टी के खिलाफ नन्दकुमार साय की पूरी राजनीति रही, ऐसे में वे उस पार्टी में कैसे गए ये सोचने का विषय है. कांग्रेस में भी टूट की स्थिति है. आदिवासी समाज को हमने आगे बढ़ाने का काम किया है।
40 साल की मेहनत-तपस्या छोडक़र गए-रमन
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि नंदकुमार साय एक बड़े आदिवासी नेता हैं, 40 साल की मेहनत-तपस्या छोडक़र गए, मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. उन्होंने मीडिया से चर्चा ने कहा कि चुनाव की राजनीति तो बाद में समझ में आएगा कि किसका और क्या प्रभाव पड़ता है. लेकिन आज मुझे लगता है कि मैं इस अवसर पर सिर्फ उन्हें शुभकामनाएं दे सकता हूं. उनके पार्टी छोडऩे के कारण पर कहा कि यह तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन पार्टी ने उनको मनाने की कोशिश की. देर रात तक उनसे संपर्क नहीं हो सका।
डॉ सिंह ने कहा कि मगर भाजपा ने हमेशा उन्हे सम्मान देने का काम किया. कई महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने काम किया. राजनीति में वे (साय) सब कुछ समझते हैं. अब वे एक नए दल जा रहे है, तो मैं उन्हें बधाई शुभकामनाए देता हूं.