‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 3 जुलाई। दुर्ग जिले के विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या बढऩे से अब कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं। बच्चों को सभी विषयों में बेहतर मार्गदर्शन मिल रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है। इस पहल के अंतर्गत बच्चों की दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों की पुन: पदस्थापना की गई, जिससे न केवल शिक्षक विहीन शालाओं को शिक्षक मिले, बल्कि विषय विशेषज्ञों की भी पूर्ति हो पाई है। इस युक्तियुक्तकरण के माध्यम से एकल शिक्षक स्कूलों की समस्या को काफी हद तक दूर किया गया है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों को समुचित मार्गदर्शन और सभी विषयों में शिक्षण सुविधा मिल सकेगी। दुर्ग, पाटन एवं धमधा विकासखण्ड के प्राथमिक विद्यालयों में पहले कुल 56 शिक्षक कार्यरत थे। लेकिन काउंसिलिंग के उपरांत यह संख्या बढक़र 103 हो गई है।
पाटन विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक शाला रीवागहन (दर्ज संख्या 42), शासकीय प्राथमिक शाला बरबसपुर (दर्ज संख्या 32), तथा प्राथमिक शाला डगनिया (दर्ज संख्या 19) में पहले केवल एक-एक शिक्षक पदस्थ थे। युक्तियुक्तकरण के बाद अब इन स्कूलों में बच्चों की संख्या के अनुसार एक-एक शिक्षक की नियमित पदस्थापना की गई है। इसी प्रकार, शासकीय प्राथमिक शाला कौही, डीह, देवादा, पहंडोर, भाठापारा कौही, कुम्हली, बालक प्राथमिक शाला जामगांव एम, विश्वबैंक कॉलोनी, पाहंदा झा, इ.न.चीचा, जामगांव आर, रेंगाकठेरा, शुक्लाडीह, अक्तई, करगा और गातापार जैसी प्राथमिक शालाओं में पूर्व में केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत थे। काउंसिलिंग के पश्चात अब इन स्कूलों में दो-दो शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
दुर्ग विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक शाला खाड़ा, केलाबाड़ी, औद्योगिक क्षेत्र बोरई, भाठपारा उतई, बोरसी, आबादीपारा जंजगिरी, शासकीय प्राथमिक शाला सुभाष बाम्बे आवास उरला, नवीन बजरंगनगर उरला, मचान्दुर, बासिन, अछोटीभाठा, शासकीय प्राथमिक शाला श्रमिक नगर छावनी, मासाभाठ, मालूद, चंदखुरीभाठा, बाडीपारा पीसेगांव के प्राथमिक शालाओं में दो-दो शिक्षकों को काउंसलिंग उपरांत पदस्थ किया गया है।