कोण्डागांव

सीपीआई ने पट्टा सहित चार मांगों को लेकर किया धरना-प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
16-Jun-2021 8:44 PM
सीपीआई ने पट्टा सहित चार मांगों को लेकर किया धरना-प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

कोण्डागांव, 16 जून। सीपीआई कोण्डागांव द्वारा 16 जून को वास्तविक हकदारों को वनाधिकार पट्टा प्रदान करने, वनाधिकार पट्टा प्रदान नहीं किए जा सके किसानों के खेतों में वन विभाग द्वारा जबरन पौधारोपण न किए जाने, देव सीमा के नाम पर गांव-गांव में हो रहे विवाद का ग्रामीणों की सहमति से निपटारा करने तथा ग्राम व शहरी क्षेत्र में सभी पात्रों को नि:शुल्क आबादी पट्टा देने जैसी चार स्थानीय मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया। प्रदर्शन करने के बाद राज्यपाल व मुख्य मंत्री छ.ग. शासन को सम्बोधित एक ज्ञापन, कलेक्टोरेट परिसर पहुंचकर कलेक्टर कोण्डागांव के माध्यम से प्रेषित किया गया। 

सीपीआई कोण्डागांव के जिला सचिव व राज्य परिशद् सदस्य तिलक पाण्डे के नेतृत्व व मार्गदर्शन में किए गए एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन तथा ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान सीपीआई के शैलेश शुक्ला, जयप्रकाश नेताम, बिसम्बर मरकाम, लक्षमण महाविर, मुकेष मण्डावी, नन्दू नेताम, रमेश सलाम, अनिल कुमार नाइक, सगराम मरकाम, धेनूराम मरकाम, सूखबती नेताम, मंगतीन मरकाम, कुमार मंडावी, रतीराम नेताम, बलराम मंडावी आदि  सहित अनेक गावों के पीडि़त किसान काफी संख्या में उपस्थित रहे। 

सौंपे गए ज्ञापन में लेख किया गया है कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2005 पूरे देश में एक साथ लागु हुआ और जिसे लागु हुए तेरह वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है पर वास्तविक हकदार किसानों को वनाधिकार कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शासन द्वारा गांवों का सीमांकन भी ग्रामीणों से बिना चर्चा किये किया गया है और पुराने राजस्व व वन विभाग द्वारा जारी नक्शे को नजरअंदाज कर गांवों के सीमाओं का सीमाकंन किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में विवाद की स्थिति निर्मित हो गयी है। भूमिहीन किसानों द्वारा वन भूमि पर जब कब्जा कर कृषि कार्य प्रारंभ किया गया, उस दौरान गांव की सीमाएं अलग थी, इसी दौरान वन विभाग द्वारा वनों का सीमांकन कर वन की सीमाएं संबंधित ग्राम पंचायतों से सलाह लिए बिना की गयी, जिससे गांवों की सीमाएं परिवर्तित हो गयी है और जिससे गांवों में वनाधिकार पट्टा व ग्राम सीमाओं को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गयी है, यदि समय रहते शासन-प्रशासन इस मामले में उचित कार्यवाही नहीं करती है, तो भविष्य में अप्रिय घटना घटित होने की पूर्ण संभावना बनी हुई है। शासन-प्रशासन द्वारा भी वनाधिकार प्रपत्र दिए जाने में दोहरी नीति अपनायी जा रही है। वहीं दूसरी ओर छ.ग. राज्य में विधान सभा चुनाव 2017-18 के दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के ऐसे नागरिकों, जो कि शासकीय भूमि पर मकान बनाकर कई वर्षों से निवासरत हैं को उक्त भूमि का नि:शुल्क पट्टा दिए जाने की घोषणा की थी, परन्तु वर्तमान कांग्रेस सरकार शासकीय भूमि का पट्टा ऐसे लोगों को प्रदाय कर रही है, जो आर्थिक रुप से सक्षम हैं और जो शासन द्वारा निर्धारित मूल्य अदा करने में समर्थ है। वास्तविक हकदार व्यक्तियों को कांग्रेस सरकार द्वारा मकान पट्टा प्रदाय नहीं किया जा रहा है, जिससे वास्तविक हकदार लोगों को उनका हक प्राप्त नहीं हो पा रहा है। सीपीआई इसी तरह की समस्याओं को लेकर लगातार आन्दोलनरत है और आगे भी रहेगी। 
सीपीआई कोण्डागांव द्वारा जिले की उक्त चारों समस्याओं का निराकरण करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का आग्रह राज्यपाल व मुख्य मंत्री छ.ग. शासन से करते हुए कहा गया है कि बस्तर संभाग के सभी जाति वर्ग के पात्र लोगों को वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2008 के प्रावधानों के तहत वरियता के आधार पर वनाधिकार प्रपत्र तत्काल प्रदान किया जाए, वे किसान जो 2005 के पूर्व से वन भूमि पर काबिज होकर कृषि कार्य कर रहे है,ं लेकिन वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2008 के तहत वन अधिकार प्रपत्र प्राप्त नहीं हो पाया है व उनके द्वारा काबिज भूमि पर वन विभाग द्वारा किए जा रहे पौधा रोपण पर तत्काल रोक लगायी जाये। वन विभाग द्वारा ग्रामीणों से बिना सलाह मशविरा किये वनों तथा गांवों की सीमायें निर्धारित किए जाने से ग्रामीणों में वन तथा गांवों की सीमा को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, उस पर तत्काल जांच कमेटी बैठाकर ग्रामीणों की सलाह से 1908 व 1924 के राजस्व तथा पुराने वन नक्शों के आधार पर ग्राम व वनों की सीमायें निर्धारित की जाये। राज्य सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र के आधार पर तत्काल ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के ऐसे सभी पात्र नागरिकों, जो शासकीय भुमि पर मकान बनाकर कई वर्षों से निवासरत हैं, उन्हें तत्काल नि:शुल्क पट्टा प्रदाय करे।

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