महासमुन्द

महासमुंद, 24 मार्च। टीबी मरीज के परिवार के किसी सदस्य को टीबी का इन्फेक्शन है या नहीं,यह पता लगाने के लिये जिला क्षय रोग विभाग विश्व क्षय दिवस 24 मार्च से सी-वाई टीबी टेस्ट लांच कर रही है। जिससे टीबी होने के पूर्व ही पता चल जायेगा कि अमुक व्यक्ति को निकट
भविष्य में टीबी हो सकता है। इसका नाम टीबी प्रवेंन्टीव थैरेपी रखा गया है। इसके तहत एक इंजेक्शन मरीज के स्कीन पर लगाया जायेगा। जिससे 48 से 72 घंटे में इंजेक्शन लगाये जाने वाले स्थान पर सूजन आ जायेगा। जिससे पता चल जायेगा कि व्यक्ति के शरीर में टीबी इंफेक्शन हैं।
ऐसे में पॉजिटिव आने वाले पीडि़त के टीबी से बचाव की दवा 3 एचपी सप्ताह में 1 दिन खिलाई जायेगी। वहीं अब टीबी को लेकर
16 प्रकार के टेस्ट मुफ्त में होंगे तथा निकट भविष्य में बीसीजी का टीका प्रत्येक नागरिकों को एक बार फिर लगाया जायेगा।
मिली जानकारी के
मुताबिक इस टेस्ट से स्वास्थ्य विभाग समय से पहले टीबी संक्रमितों की पहचान कर सकेगा। यह त्वचा जांच है और उन लोगों की जांच की जाएगी,
जो टीबी संक्रमितों की संपर्क में रहते हैं। ऐसे लोगों को हाई रिस्क श्रेणी में रखा जाता है। इस जांच से यह पुष्टि हो जाएगी कि शरीर में टीबी का
बैक्टीरिया मौजूद है या नहीं। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो संबंधित रोगी में भविष्य में टीबी होने की आशंका हो सकती है। यह टीबी रोगियों को
बेहतर उपचार देने के साथ उनकी पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम टीबी रोगियों को सामाजिक संस्थाओं, रेडक्रॉस सोसाइटी, औद्योगिक संस्थानों और अपने पास से पोषाहार किट उपलब्ध कराई जा रही है। टीबी रोगियों की जांच एवं उपचार के लिए जिले के अस्पतालों में टीबी यूनिट बनी हुई है। इसके अलावा विभाग द्वारा दो निक्षय मोबाइल वैन गांवए निर्माणाधीन सोसाइटीए ईंट भट्टोंए स्लम बस्तियों में जाकर लोगों की जांच कर रहे हैं।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी मरीज के साथ रह रहे परिजनों और अन्य हाईरिस्क ग्रुपों के लिए ट्यूबरक्लोसिस प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट के अनुशंसा की गई थी। इसके लिए सी.वाई टीबी स्किन टेस्ट की शुरुआत की गई है। यह टेस्ट टीबी बैक्टीरिया को टारगेट कर परिणाम देता है। इस टेस्ट के परिणाम के लिए व्यक्ति को 48 से 72 घंटे के बीच स्वास्थ्य संस्था में बुलाया जाता है। यहां पर स्वास्थ्य कर्मी त्वचा पर सॉल्यूशन लगाकर जांच करता है। टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर ट्यूबरक्लोसिस प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट टीपीटी दिया जाता है। इस इलाज से भविष्य में टीबी होने की संभावना खत्म हो जाती है। सी.वाई को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा रहा है। प्रदेश के कई जिलों में शुरू हो चुकी है। अब में महासमुंद जिले में इसे शुरू किया जा रहा है। इस जांच से नए टीबी के रोगियों की संख्या में कमी लाने में सहायता मिलेगी।
अब कोई भी टीबी उन्मुलन के लिये निक्षय बनकर इस देश को टीबी मुक्त बनाने में अपना सहयोग प्रदान कर सकता है।
फलस्वरूप अब तक भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी ने 156 रोगियों को गोद लेकर उन्हें निक्षय बनाने बीड़ा उठाया। वहीं 188 मरीजों को निक्षय
बनाने आम लोगों ने जिम्मेदारी ली है। कलेक्टर विनय कुमार लंगेह, सीएमएचओ डॉपी कुदेशिया, नोडल अधिकारी डा. विकास चन्द्राकर के मार्गदर्शन में कल 292 ग्रामों के सरपंचों को टीबी मुक्त ग्राम के लिये पुरस्कृत किया जायेगा।
कार्यक्रम समन्वयक उत्तम श्रीवास ने बताया कि टीबी पॉजिटिव आने वाले मरीजों को हर माह पोषण आहार के लिये 500 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती रही है। अब इस राशि को बढ़ाकर 1 हजार रुपए कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक साल के अंत तक हर हाल में टीबी मुक्त जिला बनाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2023 में 292 ग्राम पंचायतों को कास्य पदक मिला था। 2024 में 278 ग्राम पंचायत कर से क्वालीफाय हुये हैं। इनमें से 61 सिल्वर पदक तथा 117 कांस्य के नये मेहनत कर रहे हैं।