‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 20 मार्च। प्राचीन श्रीराम मंदिर में इस बार भी रंगपंचमी के अवसर पर बसन्तोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें फाग के रसिक श्रोताओं ने नगाड़ों की थाप पर नाच गाकर देर रात तक फूलों की होली खेली। इसमें शामिल होकर अन्य प्रदेश से आए कलाकारों ने भी क्षेत्रीय लोगो के साथ होली और फाग का लुत्फ़ उठाया। बुधवार को अ_ारवीं शताब्दी में बनीं श्रीराम मंदिर के रंग बिरंगी फूलों एवं हरियाली से सजे प्रांगण में बसंत उत्सव का आयोजन किया गया। कृत्रिम रोशनी और अतरिक्त साज सज्जा से तैयार माहौल ने रंगपंचमी का मजा दुगना कर दिया। ऐसे खुशनुमा माहौल में फाग मंडली ने नगाड़ा, तबला-ढोलक, झांझ-मंजीरा, बांसुरी के साथ फागुन के गीत गाकर श्रोताओं को अवध की होली का मंजर दिखाया। होली खेले रघुवीरा अवध में .... जैसे फाग गीतों के ऐसे तराने छोड़े की श्रोता होली की मस्ती में झूम उठे । इस बारे में मंहत अखिलेश वैष्णव ने बताया कि 1753 से यह स्थान धार्मिक, लोक उत्सव एवं सांस्कृति का केंद्र रहा है, लोक उत्सवों में में पहले जैसी मिठास घोलने के लिए राम मंदिर परिवार तन मन धन से जुटा है। क्योंकि फागुन में बजने वाले पारम्परिक नगाड़े की जगह अब डीजे ने और फाग गीत की जगह फिल्मी गानों ने ले ली है। ऐसे में हमने मंदिर परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया है, ताकि लोग अपनी अपनी संस्कृति और लोक उत्सव से जुड़े रहे। रंग पंचमी में यहाँ सिंथेटिक सूखे या गीले रंगों के बजाय, गैंदा और गुलाब फूल की पंखुडिय़ों के साथ पारम्परिक होली का नजारा पेश किया जाता है। लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना के बाद शुरू बसंतोत्सव में पधारे अतिथि एवं फाग के रसिक श्रोताओं का स्वागत मंदिर परिवार ने फूल बरसाकर किया। इस बार भी यहां सभी ने उत्साह और उमंग के साथ बसंत महोत्सव का आनंद उठाया। जिसमें नपं अध्यक्ष ज्योति भानु चंद्राकर, जनपद सदस्य सिन्धु बैस, नीरज चन्द्राकर, मनोज त्रिपाठी, कैलाश शुक्ला, धीरज चन्द्राकर, राघवेन्द्र सोनी,जमाल रिजवी, निलेश कुमार, टिकेश्वर चन्द्राकर, देवराज साहू, सुनिल, जितेन्द्र चन्द्राकर, हरिश देवांगन, योगेन्द्र सिन्हा, तामेश्वर, कार्तिक राम,भारत साहू, सचिन पुरी, हिरेश सिन्हा, कल्पना देवी, अभिषेक, पाखी, वेदांत वैष्णव, किशोर, होरी यादव, धनेश्वर निर्मलकर, डुगेश साहू सहित बड़ी संख्या में फाग प्रेमी शामिल थे ।