‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 मार्च। लोकसभा में बुधवार को छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्थल सिरपुर के संरक्षण और इसके वैश्विक महत्व को बढ़ाने को लेकर अहम मुद्दा उठाया गया। सांसद रूपकुमारी चौधरी ने शून्य काल के दौरान सिरपुर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक धरोहर को उजागर करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से इसके उत्खनन और संरक्षण के लिए ठोस योजना बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सिरपुर न केवल 5वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान दक्षिण कोसल की राजधानी रहा। बल्कि यह बौद्ध, जैन और हिंदू संस्कृति के समन्वय का जीवंत उदाहरण भी है। यहां लक्ष्मण मंदिर, राम मंदिर, गंधेश्वर महादेव मंदिर सहित कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला की उत्कृष्ट कृतियां हैं।
सांसद ने केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया कि सिरपुर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंए ताकि इसकी ऐतिहासिक पहचान को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिले। उन्होंने सदन में जोर देकर कहा जिनका इतिहास नहीं होता और जिन्हें अपने इतिहास पर गर्व नहीं होता, उनका वर्तमान भी नहीं होता। यह पंक्ति सिरपुर के ऐतिहासिक महत्व को और गहरा बनाती है। यदि सरकार इसे उचित संरक्षण और प्रचार.प्रसार देए तो यह स्थल न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए गौरव का विषय बन सकता है।
सांसद रूपकुमारी चौधरी मीडिया से बात करते हुए बताया कि सिरपुर का संरक्षण और विकास स्थानीय रोजगार, राज्य की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा। स्थानीय शिल्पकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का मंच मिलेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पर्यटन से होने वाली राजस्व वृद्धि से राज्य सरकार अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश कर सकेगी। सिरपुर हिंदू बौद्ध और जैन धर्म का समागम स्थल है, जिससे इसकी सांस्कृतिक विविधता को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। यदि इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया जाता है, तो यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाएगा। सिरपुर प्राचीन भारत के व्यापारिकए बौद्धिक और धार्मिक केंद्रों में से एक था। इसका प्रचार इसे वैश्विक पर्यटन स्थल बना सकता है। दुनिया भर के पुरातत्वविद, इतिहासकार और बौद्ध धर्म के अनुयायी शोध और पर्यटन के लिए यहां आ सकते हैं। बौद्ध धर्म से जुड़े देशों जैसे जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, चीन के पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख तीर्थस्थल बन सकता है। सिरपुर को अंतरराष्ट्रीय विरासत स्थल के रूप में विकसित करने से भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान.प्रदान बढ़ेगा। सिरपुर का महत्व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनए सांस्कृतिक उत्सव, पुरातात्विक संगोष्ठी आदि के आयोजन को बढ़ावा देगा। जिससे इसकी प्रसिद्धि बढ़ेगी। संयुक्त राष्ट्र यूनेस्को और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इसके संरक्षण के लिए सहयोग और धनराशि प्राप्त की जा सकती है।