महासमुंद,14फरवरी। पूर्व विधायक विनोद चन्द्राकर ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने के बाद से कभी धान जाम होने तो कभी अन्य कारणों के चलते खरीदी प्रभावित हुई। अब धान बेचने के बाद किसानों के खाते में राशि नहीं आने की शिकायतें आ रही है। जिले के सभी समितियों में इस तरह की स्थिति निर्मित है। किसान सोसायटियों का चक्कर काटने विवश हैं। वहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। किसानों के खाते में 72 घंटे के भीतर धान खरीदी की राशि डालने का सरकार ने दावा किया था जो विफल साबित हुई है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का लाभलेने बोनस की राशि दी है। वह भी सभी किसानों को नहीं मिल पाया है। प्रदेश के हजारों किसानों के खाते में बोनस की राशि नहीं आई है। इसके अलावा प्रदेश भर में 17 जनवरी से 31 जनवरी के बीच समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को धान का भुगतान नहीं मिला है। महासमुंद जिले में भी यही स्थिति है। यहां 20 जनवरी के बाद से धान बेचने वाले किसानों को राशि नहीं मिली है।
श्री चंद्राकर का कहना है कि सरकार ने पंचायत चुनाव में लाभ पाने की नीयत से बोनस की राशि देने का दिखावा किया है। लेकिन किसानों को फसल का भुगतान नहीं किया। इससे सरकार की नीति और नियत पर सवाल उठ रहा है। धान का भुगतान नहीं मिलने से किसानों की सबसे बड़ी समस्या धान की कटाई से लेकर बुआई तक कर्ज लेकर जो खर्च किये थे। उसे चुकाने में आ रही है। उन्हें लगातार साहूकारों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। धान की राशि नहीं मिलने से वे कर्ज अदा नहीं कर पा रहे हैं।