महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 नवंबर। अंचल भर में धान की खड़ी फसल में इन दिनों भूरा माहो कीट का प्रकोप है। इसे लेकर किसान चिंतित हैं। किसानों द्वारा इससे निबटने के लिये अनेक प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है।
कीटनाशक के बार-बार छिडक़ाव से किसानों को आर्थिक क्षति पहुंच रही है। फसल पककर तैयार हो चुकी है। अब फसल कटाई का समय है। इसके बाद भी भूरा माहो धान की खड़ी फसल को चट कर रहे हैं। मचेवा, लाफिन, चिंगरौद,बम्हनी सहित दर्जनों ग्रामों के किसान इन दिनों भूरा माहो से हलाकान हैं। अर्ली वेरायटी के धान में बालियां आ चुकी हैं।
बारिश के कारण ये पौधे जमीन पर गिर गए हैं। लेट वैरायटी में शीथ ब्लास्ट, फ फूंदी रोग का कहर भी शुरू हो गया है। इसके अलावा ब्राउन स्पॉट, चितरी व तना छेदक की भी शिकायत शुरू हो गई है।
पहले देर से बारिश फिर बेमौसम बरसात और अब कीट.व्याधि से फसल खतरे में पड़ गई है। नमी के साथ उमस भरी गर्मी के चलते मौसम शीत ब्लास्ट के हो गया है। इसमें धान की पत्तियां मुड़ जाती हैं और बालियां नहीं आती। इसका फैलाव बहुत तेजी से होता है। बारिश के चलते लेट वेरायटी के धान में इसके फैलने का खतरा बढ़ गया है। ग्राम नवागांव में धान गभोत व बालियां फूटने की स्थिति में है। लेकिन सप्ताहभर से तनाछेदक का प्रकोप दिख रहा है। पौधे के कंसे तनाछेदक काट रहे हैं। इससे पौधे सूखने लगे हैं। फ ोरेट के छिडक़ाव का भी असर नहीं दिख रहा। फसल में टिड्डे भी दिख रहे हैं। ग्राम चिखलाकसा के किसान कहते हैं कि वहां के खेतों में माहो का जबरदस्त प्रकोप है. इन पर कीटनाशकों का भी असर नहीं हो रहा। कृषि वैज्ञानिक शक्ति वर्मा ने बताया कि शीत ब्लास्ट या गलन एक फफूंदजनित बीमारी है, जो धान के नर्सरी से पकने वाली अवस्था तक पौधों को संक्रमित करती है, जिसका निदान कर सकते हैं। लेकिन यदि भूरा माहो जो एक रस चूसक कीट है, इन दोनों समस्याओं का एक साथ होना एक बड़ी समस्या है। अनुसंधान, प्रयोगों के परिणामों के आधार पर उन्होंने कहा कि शीथ ब्लास्ट राइजोक्टोनिया सोलानाई फफूं द से होता है, जो धान के निचले हिस्से को कमजोर कर देता है तथा भूरा माहो की बढ़वार के लिए अनुकूल परिस्थिति पैदा करता है।
कीट वैज्ञानिक शक्ति वर्मा ने कहा कि शीथ ब्लास्ट नियंत्रण के लिए एजोक्सिस्ट्रोबिन 200 मिली प्रति एकड़ या वेलिडामायसिन 3 एल को 600 मिली प्रति एकड़ए भूरा माहो नियंत्रण के लिए ट्राइफ्लूमेजोपायरिम 10 एससी 95 मिली प्रति एकड़ के साथ मिलाकर छिडक़ाव करने से बेहतर परिणाम मिलेगा।