कारोबार

हैदराबाद, 1 फरवरी। एनएमडीसी ने बताया कि भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी ने आज हैदराबाद में विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें देश भर के विक्रेताओं के साथ कंपनी के 100 एमटीपीए रोडमैप को साझा किया । एनएमडीसी ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने, निकासी इंफ्रास्ट्रचर ढांचे के निर्माण तथा डिजिटल इकोसिस्टम में बदलाव के लिए अगले पांच वर्षों के लिए रू 70,000 करोड़ रुपये की अपनी कैपेक्स योजना प्रस्तुत की।
एनएमडीसी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने कारोबार सुलभ करने का आश्वासन दिया तथा इसके बदले में भागीदारों से उच्चतम ओदशों की अधिकतम गति एवं गुणवत्ता के लिए अनुरोध किया। एनएमडीसी के शीर्ष अधिकारी अमिताभ मुखर्जी, सीएमडी (अतिरिक्त प्रभार) वी सुरेश, निदेशक (वाणिज्य); निदेशक (तकनीकी) विनय कुमार एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने ठेकेदारों, सलाहकारों तथा वेंडरों के नेटवर्क के साथ बातचीत की। बैठक से संबंधित विषयों पर अपने संबोधन में श्री अमिताभ मुखर्जी ने कहा कि यह सामान्य व्यवसाय नहीं है, 2030 तक 100 मिलियन टन का प्रयास एनएमडीसी की प्राथमिकता है तथा वैश्विक खनन महाशक्ति बनाने की दिशा में यह जीवन में एक बार मिलने वाला सुअवसर है।
एनएमडीसी ने बताया कि हम लगभग 70,000 करोड़ रुपये के कैपेक्स की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे साझेदारों को कार्य की प्रगति में शीघ्रता से आगे आना चाहिए, वित्तीय व्यवस्था सुव्यवस्थित करनी चाहिए, अपने संसाधन आधार का निर्माण करना चाहिए, अपेक्षित समय-सीमा के भीतर कार्य पूरा किया जाना चाहिए, तथा एनएमडीसी के लिए सर्वोत्तम कार्य किया जाना चाहिए। एनएमडीसी टीम ने बैठक के दौरान विस्तार, निकासी, डिजिटल हस्तक्षेप तथा कार्यान्वयन रणनीतियों पर केंद्रित तीन सत्रों में कंपनी की आगामी इंफ्रास्ट्रकचर तथा नवोन्मेष परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी, इसके बाद विक्रेताओं के साथ बातचीत की।
एनएमडीसी के निदेशक (तकनीकी) विनय कुमार ने बताया कि हमारे वेंडरों ने निरंतर विकास सुनिश्चित किया है, जिससे एनएमडीसी एक मजबूत टीम बन गई है! हालाँकि, यह बताया जाना उचित है कि अब हमारी आकांक्षा अगले छह वर्षों में उससे अधिक हासिल करने की है जो हमने छह दशकों में हासिल किया है। निर्बाध निष्पादन के लिए सामूहिक प्रयास ही 2030 तक 100 मिलियन टन के लक्ष्य को साकार करने का एकमात्र उपाय है। एनएमडीसी का 2030 तक 100 मिलियन टन का लक्ष्य भारत के लौह और इस्पात क्षेत्र में कच्चे माल की सुरक्षा तथा आत्मनिर्भरता बनाने के लिए राष्ट्रीय इस्पात नीति के दृष्टिकोण से प्रेरित है।