कारोबार
यूरोपीय कंपनियां चीन पर इतनी ज्यादा निर्भर हैं कि अगर उसका सहयोग ना मिले तो उनके लिए पू्र्वी एशिया के देशों तक अपना माल पहुंचा पाना भी संभव नहीं होगा. चीन के नियंत्रण वाले बंदरगाह इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
दुनिया की जानी मानी ऑडिट कंपनी प्राइस वॉटर हाउस कूपर की जर्मन शाखा पीडब्ल्यूसी के ऑडिटर ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है. "ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स बैरोमीटर" नाम की यह रिपोर्ट समाचार एजेंसी डीपीए को मंगलवार को मिली.
इस रिपोर्ट ने चीन का सहयोग जरूरी होने के पीछे बंदरगाहों पर उसके नियंत्रण को ही जिम्मेदार माना है. पीडब्ल्यूसी जर्मनी ने वैश्विक परिवहन के क्षेत्र में अलग अलग देशों में हुए कारोबारी अधिग्रहण और कंपनियों के विलय की छानबीन की है.
पीडब्ल्यूसी जर्मनी में मैरीटाइम कॉम्पीटेंस सेंटर, हैंबर्ग के प्रमुख ऑन्द्रे वोर्टमान ने कहा कि मध्यम से लेकर दीर्घकालीन समय में यह अनुमान शायद भ्रम में डालने वाला है कि दक्षिण पूर्वी एशिया में निवेश चीन से बड़ा छुटकारा दिला सकता है.
बंदरगाहों पर चीन का नियंत्रण
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक चीन दक्षिण पूर्वी एशिया में सीधे निवेश, कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के जरिए रणनीतिक प्रभाव हासिल कर रहा है. इसका एक उदाहरण है म्यांमार में गहरे पानी का बंदरगाह बनाने की योजना जो प्राथमिक रूप से चीन के नियंत्रण में रहेगा. क्याउकफ्यू में प्रस्तावित बंदरगाह चीन के भारी भरकम बेल्ट एंड रोड एनिशिटिव और निवेश की रणनीतिक का हिस्सा है. इसकी मदद से हिंद महासागर में चीन की पहुंच बढ़ेगी. इसी तरह ब्रुनेई के मुआरा का बंदरगाह भी चीन के नियंत्रण में है.
इसके साथ ही चीन सिंगापुर, मलेशिया और थाइलैंड के बंदरगाहों में छोटा हिस्सेदार है. इतना ही नहीं चीन वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया और फिलिपींस के बंदरगाहों में भी निवेश कर रहा है. पीडब्ल्यूसी जर्मनी की इस रिसर्च में सिर्फ दक्षिण पूर्वी-एशिया में हुए विकास पर ही ध्यान नहीं है. वैश्विक परिवहन और माल ढुलाई के क्षेत्र में रिसर्चरों ने 199 विलय और अधिग्रहणों को भी देखा है. इनकी घोषणा पिछले साल की गई. इनमें से हरेक की कीमत कम से कम 5 करोड़ अमेरिकी डॉलर है.
एक साल पहले की तुलना में कम से कम छह सौदे ज्यादा हुए हैं. हालांकि इस बढ़ोतरी के बावजूद ऐसे सौदों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम ही है. 2018 से 2022 के बीच कभी भी रिसर्चरों ने 223 से कम सौदे नहीं देखे थे. कंपनियों के विलय और अधिग्रहण इस क्षेत्र में हो रही गतिविधियों और रुझानों को साफ तौर पर दिखा सकते हैं.
पीडब्ल्यूसी के ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स विभाग की प्रमुख इंगो बाउअर को उम्मीद है कि इस साल कंपनियों के विलय और अधिग्रहण बढ़ेंगे. निवेशकों का लक्ष्य उद्योग में इन समझौतों के जरिए ट्रक ड्राइवरों की कमी जैसी मुश्किलों से छुटकारा पाना है.
दुनिया के कोने कोने में निवेश कर रहा है चीन
चीन की सरकार ने हाल के वर्षों में दुनिया के कोने कोने में निवेश बढ़ाया है और खासतौर से बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में काफी दिलचस्पी ली है. विशेषज्ञ बहुत पहले से ही इसके परिणामों को लेकर आगाह करते रहे हैं. पिछले साल ही जर्मनी के हैंबर्ग के एक प्रमुख बंदरगाह पर चीनी कंपनी का अधिकार होने वाले समझौते को सरकार ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. चीनी कंपनियों ने यूरोप की कई बंदरगाहों में निवेश किया है.
यूरोपीय देश चीन पर निर्भरता घटाना चाहते हैं लेकिन यह इतना आसान नहीं. बीते सालों में चीनी कंपनियां यूरोप और दूसरे देशों में इतने अंदर तक घुस गई हैं कि उन्हें निकालना आसान नहीं है. कुछ देशों ने अब नई परियोजनाओं को मंजूरी देने में थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई है लेकिन इतने भर से यह कारोबारी असंतुलन ठीक नहीं होने वाला है.
एनआर/वीके (डीपीए)