बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 6 अक्टूबर। राजधानी रायपुर के कारोबारी हेमंत चंद्राकर द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर मारपीट और मानसिक प्रताडऩा के आरोप लगाए जाने के मामले में आज सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बेंच ने पीडि़त पक्ष को निर्देश दिया कि वे अपना बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराएं। साथ ही कोर्ट ने हेमंत को मेडिकल जांच और आरोपी ईडी अधिकारी के खिलाफ आवेदन दाखिल करने की अनुमति भी दी।
कारोबारी हेमंत चंद्राकर ने बीते सप्ताह सिटी कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि 29 सितंबर को ईडी कार्यालय में पूछताछ के दौरान उनके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडऩा की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी अधिकारी ने उनसे कहा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबी लोगों पर कमीशन लेने के आरोप स्वीकार करें। मना करने पर उनके साथ मारपीट की गई और परिवार को जेल भेजने की धमकी दी गई।
घटना के बाद हेमंत चंद्राकर का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे रोते हुए कह रहे हैं कि मैंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया, सिर्फ बिजनेस किया है। मेरे परिवार को जेल में डाल दो, हमें मार दो साहब, अब जीना नहीं है।
मामला हाईकोर्ट पहुंचने पर ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू और सौरभ पांडे ने पक्ष रखा, जबकि हेमंत चंद्राकर की ओर से पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा और गगन तिवारी ने पैरवी की।
हेमंत के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के साथ ईडी ने थर्ड डिग्री टॉर्चर किया, जबकि ईडी की ओर से इन आरोपों से इंकार किया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ईडी वकील का बयान रिकॉर्ड किया।
चंद्राकर ने अपनी शिकायत में कहा कि ईडी अधिकारी ने उनसे कहा कि वे यह स्वीकार करें कि भूपेश बघेल से जुड़े लोगों, विजय भाटिया, रामगोपाल अग्रवाल, आशीष वर्मा, मंदीप चावला, आदित्य अग्रवाल, शाश्वत जैन, किशोर चंद्राकर और सतपाल सिंह छाबड़ा को कमीशन देकर कार्य कराए गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके परिवार को भी झूठा बयान देने के लिए दबाव में रखा गया।
हेमंत चंद्राकर ने पुलिस से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर संबंधित ईडी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष पीडि़त का बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।


