बिलासपुर

26 साल पुराना जमीन घोटाला उजागर: दस्तावेज़ लेखक गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार
06-Sep-2025 2:21 PM
 26 साल पुराना जमीन घोटाला उजागर: दस्तावेज़ लेखक गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार

'छत्तीसगढ़' संवाददाता

बिलासपुर, 6 सितंबर। सरकंडा पुलिस ने 1999 की एक पुराने जमीन सौदे में कूटरचित दस्तावेज़ बनाकर ठगी करने के मामले का पर्दाफाश किया है। आरोपी दस्तावेज़ लेखक महेन्द्र सिंह ठाकुर (50) को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। मुख्य आरोपी सुरेश कुमार मिश्रा सहित अन्य साथी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। केस में धारा 420, 467, 468, 471, 120B, 34 भादवि के तहत अपराध दर्ज है।

शिकायतकर्ता अरुण कुमार दुबे ने बताया कि वे वर्ष 1999 में एसईसीएल, जमुना-कोतमा एरिया में सुरक्षा अधिकारी थे। 22 मार्च 1999 को ग्राम मोपका स्थित खसरा नंबर 404 में से 3000 वर्गफुट जमीन, भू-स्वामी रामफल कैवर्त (पिता हगरू कैवर्त) की ओर से उनके मुख्तियार आम सुरेश कुमार मिश्रा ने बेच दी। रजिस्ट्री, नामांतरण और डायवर्जन भी उसी समय हो गया। बाउंड्री वॉल बनवाकर कब्जा भी दे दिया गया। बाद में इस जमीन का नया खसरा 404/4 दर्ज हुआ और भूमि अरुण दुबे के नाम पर थी। इस फर्जीवाड़े से अनभिज्ञ जमीन के मालिक अरुण दुबे ने आगे चलकर यह जमीन श्रीमती सावित्री देवी राठौर को बेच दी। जब वे नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय पहुँचीं तो पता चला कि उप-पंजीयक कार्यालय से विक्रय विलेख की द्वितीय (कार्बन) प्रति निकलवाकर उसमें छेड़छाड़ कर दी गई है।

आरोप है कि सुरेश मिश्रा ने साथियों के साथ मिलकर मूल प्रति में खसरा 404 और कार्बन प्रति में 429/2 दर्ज करा दिया और इसी बदली हुई प्रति के आधार पर तहसील में आपत्ति लगा दी। इस कूटरचना के आधार पर एसडीओ (राजस्व), बिलासपुर ने खसरा 404/4, रकबा 3000 वर्गफुट से आवेदक का नाम विलोपित करने का आदेश दे दिया, जिससे खरीदार अपने अधिकार से वंचित हो गए।
एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने खोजबीन की तो मुख्य आरोपी अपने ठिकाने से फरार मिला। दस्तावेज़ लेखक महेन्द्र सिंह ठाकुर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, जिसमें उसने स्वीकार किया कि उसने सुरेश मिश्रा के साथ मिलकर मूल और कार्बन प्रति में अलग-अलग खसरा नंबर दर्ज किए। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर वैधानिक कार्रवाई करते हुए न्यायिक रिमांड कराया गया।


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