बिलासपुर

पीडि़ता के सोशल एकाउंट की मांगी थी जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 मई। रेप के आरोप में फंसे एक खाद्य निरीक्षक की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। आरोपी ने पीडि़ता के सोशल मीडिया अकाउंट्स (फेसबुक और इंस्टाग्राम) की जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, पीडि़ता की निजता (गोपनीयता) के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष ने यह दलील दी थी कि सोशल मीडिया अकाउंट्स से उनकी आपसी सहमति और घनिष्ठता साबित हो सकती है, इसलिए रेप का आरोप गलत है। मगर सिंगल बेंच के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, फेसबुक और इंस्टाग्राम की जांच की इजाजत देना, या ऑडियो रिकॉर्ड चलाना, पीडि़ता की निजता का सीधा उल्लंघन होगा।
यह मामला एक जिला पंचायत सदस्य महिला और खाद्य निरीक्षक के बीच संबंधों से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोनों कामकाज के सिलसिले में मिलते रहे और धीरे-धीरे उनके बीच नजदीकियां बढ़ीं। करीब डेढ़ साल बाद पीडि़ता को पता चला कि आरोपी पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। जब पीडि़ता ने इस धोखे पर सवाल उठाया, तो दोनों में विवाद हुआ और रिश्ता खत्म हो गया।
इसके बाद, अभियोजन पक्ष का आरोप है कि आरोपी ने अपने दोस्त के फोन से संपर्क किया और पीडि़ता को अश्लील वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी। जब दोनों की मुलाकात हुई, तो आरोपी ने पीडि़ता को अपनी गाड़ी में बैठाकर एक लॉज ले गया। वहां पीडि़ता ने आरोपी के मोबाइल से 4-5 अश्लील वीडियो डिलीट कर दिए।
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि आपसी संबंधों की प्रमाणिकता परखने के लिए पीडि़ता के निजी सोशल मीडिया अकाउंट्स में ताकझांक की अनुमति नहीं दी जा सकती।