बिलासपुर
कहा- विभागीय जांच में हस्तक्षेप का अधिकार सीमित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 29 दिसंबर। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने रेलवे के मेल-एक्सप्रेस गार्ड को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विभागीय जांच में न्यायिक हस्तक्षेप का क्षेत्राधिकार सीमित है। अदालत ने कहा कि नियोक्ता ने याचिकाकर्ता को पर्याप्त मौका दिया और उसका पक्ष सुनने के बाद ही निर्णय लिया।
याचिकाकर्ता, जो बिलासपुर निवासी और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर मंडल में मेल-एक्सप्रेस गार्ड के पद पर कार्यरत था, की ड्यूटी 22 अगस्त 2017 को गीतांजलि एक्सप्रेस में थी। नागपुर स्टेशन पर अखबार के बंडल उतारने के लिए एसएलआर की सील नहीं खोली गई। इस पर शिकायत दर्ज होने के बाद रेलवे के मेडिकल अधिकारी ने एल्कोहल जांच के लिए रक्त नमूना मांगा, जिसे देने से कर्मचारी ने इंकार कर दिया।
रेल प्रशासन ने 11 अक्टूबर 2017 को रेल सेवा अनुशासन अपील नियम, 1968 के तहत चार्जशीट जारी की और विभागीय जांच शुरू की। लगभग दो वर्षों बाद, जुलाई 2019 में जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसके आधार पर याचिकाकर्ता को पूरा पेंशन और अन्य लाभ देते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च अधिकारियों के समक्ष अपील की, लेकिन वह खारिज हो गई। इसके बाद उसने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में आवेदन दिया, जहां से भी उसकी अपील खारिज हो गई। अंतत: उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए याचिकाकर्ता को अपना बचाव प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया गया। ऐसे में न्यायालय को विभागीय जांच में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।


