बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 नवंबर। अरपा नदी के उद्गम स्थल के संरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बिलासपुर नगर निगम गंदे पानी को बिना ट्रीटमेंट नदी में जाने से रोकने की स्पष्ट योजना अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाया। इस पर अदालत ने नाराजगी जताई और निगम को एक सप्ताह का समय देकर 19 नवंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की है।
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने नगर निगम द्वारा पेश किए गए शपथपत्र को अधूरा बताते हुए अस्वीकार कर दिया था और विस्तृत कार्ययोजना के साथ नया शपथपत्र पेश करने का निर्देश दिया था। आज जस्टिस संजय के अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने नदी के उद्गम स्थल पर भू-अर्जन प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी शपथपत्र में दी। लेकिन नगर निगम की ओर से इस विषय में गंभीरता नहीं दिखाए जाने पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया। अदालत ने नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि निगम के पास गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए स्पष्ट योजना नहीं है, तो अफसरों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में बुलाना पड़ेगा।
नगर निगम ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि गंदे पानी की निकासी को रोकने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई है और फंड स्वीकृति का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। सीवरेज प्लानिंग के लिए एक कंसल्टेंट को नियुक्त किया गया है, लेकिन अभी इसे अंतिम रूप देना बाकी है। नगर निगम ने यह भी बताया था कि शहर की सीमा में गंदे पानी को नदी में जाने से रोकने के लिए बनाई गई योजना के तहत फंड की स्वीकृति की प्रतीक्षा की जा रही है।
इस पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि निगम गंदे पानी को बिना ट्रीटमेंट के नदी में प्रवाहित होने से रोकने के लिए किस प्रकार की व्यवस्था करेगा, इसे स्पष्ट करे। कोर्ट ने सुझाव दिया कि जब तक ट्रीटमेंट की स्थायी व्यवस्था नहीं होती, स्टॉप डेम को खोल दिया जाए ताकि पानी निरंतर बहता रहे और नदी का प्रवाह बना रहे। इसके साथ ही अदालत ने नगर निगम से एक नया और विस्तृत शपथपत्र पेश करने का निर्देश दिया।
नगर निगम को इस मामले में अब समय रहते ठोस कार्ययोजना और फंड व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा हाईकोर्ट द्वारा कड़ी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है।


