बेमेतरा
जनहित के लिए दान की जमीन अब व्यवसायिक बनाने की तैयारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 29 दिसंबर। जनहित के लिए दानदाताओं ने जिस भावना के चलते लाखों-करोड़ों की संपत्ति दान में दी है, उसके विपरीत इसका उपयोग किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में अस्पताल, होम्योपैथी अस्पताल, पुस्तकालय, स्कूल व धर्मशाला के लिए दानदाताओं ने मुक्तहस्त से दान किया था , जिसके संरक्षण को लेकर कदम उठाने की दरकार है।
दानदाताओं के परिवार के सदस्यों ने इस तरह की स्थिति को लेकर ‘छत्तीसगढ़’ को अपनी पीड़ा बताई। बताना होगा कि अंचल के पुरोधाओं ने समय-समय पर जनहित के लिए लाखों करोड़ों की संपत्ति दान की है, जिसका उपयोग प्रशासन व जिमेदारों के द्वारा उद्देश्य के विपरीत किया जा रहा है। पूर्व में स्वास्थ्य व शिक्षा की मूलभूत जरूरतों को देखते हुए पूर्व में किए गए दान व सेवार्थ के लिए किए गए कार्य की दुर्गति होते देख अब लोगों ने पूर्व की तरह सेवार्थ कदम बढ़ाना बंद कर दिया है।
नपा ने कॉपलेक्स बना दिया, डॉक्टर से ले रहे हैं मुंशी का काम
पुराने नगर पालिका कार्यालय से लगे भूखंड में 1992-93 के दौरान दानादाता शिवरतन बोहरा ने होयोपैथी अस्पताल बनाने के साथ ही संचालन के लिए 4 लाख रुपयों का दान किया था। शासन द्वारा अस्पताल के लिए चिकित्सक पदस्थ किया गया था, जिसके बाद से अस्पताल का संचालन 2018-19 तक परिसर में किया गया। नगर पालिका कार्यालय को तोडऩे के बाद कॉम्प्लेक्स बनाये जाने पर नवीन बाजार में अस्पताल का संचालन किया जा रहा था, जिसे अब बंद कर दिया गया है। वहीं पदस्थ चिकित्सक से पालिका वसूली व अन्य कार्य करवा रही है। समिति से जुड़े रहे अधिवक्ता बृजमोहन शर्मा, सुषील शर्मा व सौरभ शर्मा ने बताया कि आज होयोपैथी अस्पताल का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है।
2018 में धर्मशाला बनाकर दिया, आज विभाग ने गोदाम बना दिया
जिला अस्पताल परिसर में बीते 2018 के दौरान समाजसेवी परिवार द्वारा 22 लाख की लागत से स्वयं के व्यय पर अनिरूद्ध प्रसाद अग्रवाल की स्मृति में अस्तपाल में भर्ती होने वाले मरीजों के परिजनों के ठहरने के लिए धर्मशाला बनाकर लोकार्पण किया गया था। इसके कुछ माह बाद जिला प्रशासन द्वारा सखी वन स्टॉप सेंटर का संचालन प्रारंभ किया गया। भवन में तीन साल तक सखी सेंटर का संचालन हुआ था। सखी वन स्टॉप सेंटर को नये भवन में स्थानांतरित किये जाने के बाद से धर्मशाला को वर्तमान में गोदाम के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। जिसके सामने के दो दुकान में एक में कीमोथैरेपी व दूसरे में योग वेलनेस सेंटर चलाया गया है।
दानदाता परिवार के सदस्य रमन व राहुल अग्रवाल ने बताया कि जरूरत मंदों के लिए बनाकर दिया गया था पर जिस तरह का उपयोग विभाग द्वारा किया जा रहा है, उसे देखते हुए कई बार धर्मशाला का उपयोग धर्मशाला के तौर पर करने की मांग कर चुके हैं पर उसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
मंहत ईश्वरी ने 1951 में पुस्तकालय बनाकर स्कूल को दिया, 1983 में भवन व जमीन पर आज...
बाबा मोहतरा के दानदाता महंत ईश्वरी शरण देव द्वारा समय-समय पर नगर व अंचल की जरूरतों को देखते हुए भवन व जमीन का दान किया गया था। इसी तरह 1951 के दौरान तत्कालीन बालक स्कूल में पुस्तकालय बनवाया था। आज 73 साल बाद पुस्तकालय का संधारण करना भी बंद कर दिया गया। इसी तरह मंहत ने 1983 में पुराना बस स्टैंड के करीब अस्पताल के लिए भवन व भूंखड दान में दिया था।
1983 से लेकर 2000 तक अस्पताल का संचालन महंत ईश्वरी शरण देव के नाम किया जा रहा था। अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट किए जाने के बाद परिसर में 2011 से कलेक्टोरेट का संचालन किया गया था। इसके बाद अभी भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
बीते दिनों परिसर के अंदर व्यावसायिक परिसर बनाने की तैयारी प्रारंभ दी गई। पूर्व में दानदाताओं के सबंधितों की ओर स्वास्थ्य सेवा के लिए उपयोग के लिए दान किए गए भूंखड के दीगर कार्यों में उपयोग पर आपत्ति की जा चुकी है।


