बेमेतरा

नेशनल लोक अदालत : 19386 प्रकरणों का निराकरण
22-Sep-2024 3:04 PM
नेशनल लोक अदालत : 19386 प्रकरणों का निराकरण

परिवार न्यायालय के 21 मामले सुलझे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 22 सितंबर।
शनिवार को आयोजित लोक अदालत में विवाह के 40 साल बाद पति के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला ने न्यायालय के समझाइश पर एक साथ रहने के लिए राजी हुई। शनिवार को 21 मामलों का निराकरण परिवार न्यायालय में किया गया। आयोजित लोक अदालत में 19386 प्रकरणों का निराकरण हुआ। जिला न्यायालय परिसर में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। लोक अदालता का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बृजेन्द्र कुमार शास्त्री ने किया।

शास्त्री ने न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण व न्यायिक कर्मचारी को अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। स्वचलित चिकित्सकीय वैन व लोगों को पौधा वितरण किया गया। नि:शुल्क पौधा वितरण डेस्क लगाई गयी।

59 करोड़ 51 लाख रूपये अवार्ड राशि का हुआ वितरण
जिले में 22702 प्री-लिटिगेशन व लंबित प्रकरणों को निराकरण के लिए लोक अदालत में रखा गया था जिसमें से 18489 राजस्व प्रकरण निराकरण कर 57.89 करोड़ राशि का अवार्ड पारित किया गया। 30 विद्युत विवाद, 05 बैंक प्रकरण व 14 बीएसएनएल प्रकरणों का निराकरण कर 7,66,275 राशि की वसूली की गई। न्यायालय में लंबित 80 अपराधिक प्रकरण, 09 सिविल प्रकरण, 21 पारिवारिक प्रकरण, 28 चेक बाउंस 10 मोटर दुर्घटना दावा व अन्य प्रकरण का निराकरण कर 2.89,76,623 राशि का अवार्ड पारित कर जिले में रिकॉर्ड अनुसार 19386 मामलों का निराकरण किया गया। पक्षकारों को बीमा, विद्युत व बैंक विवाद और अन्य प्रकरणों में कुल 59 करोड़ 51 लाख रूपए की मुआवजा राशि वितरित की गई।

भाभी और देवर के बीच न्यायाधीश ने कराया समझौता 
न्यायाधीश उमेश कुमार उपाध्याय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में घटना थाना मारो का मामला है जिसमें आरोपी ने अपनी भाभी के साथ मारपीट करने का प्रकरण दर्ज किया था। किन्तु प्रार्थिया राजीनामा नहीं करने के जिद पर अड़ी रही थी। आपसी रिश्ते के महत्व एवं भाई और भाभी के प्रति सम्मान का भाव रखने की बात पर छोटे भाई ने अपनी गलती मानी और अपने बड़े भाई और भाभी से माफी मांगी।

सौतेली मां और बेटा पीठासीन अधिकारी के समझाईश से हुए एक 
न्यायाधीश अनिता कोशिमा रावटे की न्यायालय में पक्षकार अनुसूईया वर्मा व उसके पुत्र के साथ उसके सौतेले बेटे द्वारा गाली-गलौज व मारपीट का 04 वर्ष से लंबित प्रकरण में आपस में अपने-अपने मनमुटाव के कारण राजीनामा करने के लिए तैयार नहीं थे। परन्तु पीठासीन अधिकारी द्वारा मातृत्व के महत्व एवं बड़प्पन रखते हुये बेटे को माफ किये जाने की समझाईश दिये जाने पर पुत्र ने मां के पैर छुकर मांगी माफी। मां ने हृदय से पुत्र को माफ कर राजीनामा किया।

आरबिट्रेशन निष्पादन प्रकरण में राजीनामा 
पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र कुमार ने श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी लिमिटेड ने एक निष्पादन (आर्बिटल अवार्ड) प्रकरण में न्यायालय नें एवार्ड की राशि 38,11,772 रूपये प्राप्त करने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया था। जिसमें निर्णितऋणि के विरूद्ध चल संपत्ति कुर्की वारंट इस न्यायालय से जारी हुआ था। उक्त प्रकरण में समझाईश देने पर निर्णितऋणि की आर्थिक दशा को देखते हुए फायनेंस कंपनी ने 38,11,772 - रूपये के स्थान पर 1,20,000 रूपये में समझौता किया। उसी प्रकार दूसरे प्रकरण में ?. 40,2023 में इस न्यायालय में एवार्ड की शीश 3,73,426 रूपये के स्थान पर 50,000 रूपये में समझौता कर मामले का निराकरण किया गया।

बुजुर्ग पति-पत्नी का विवाद  समाप्त
परिवार न्यायालय में 06 परिवार हुए एक एवं कुल 21 मामलों को हुआ निराकरण। विवाह के 40 वर्ष पश्चात एक प्रकरण में 58 वर्षीय महिला ने अपने 62 वर्षीय पति के विरूद्ध भरण-पोषण का मामला पेश किया था। कुटुम्ब न्यायाधीश नीलीमा सिंह बघेल ने दोनों बुजुर्गों की काउंसलिंग कर दोनों को साथ रहने के लिए राजी किया। अन्य प्रकरण में 18 वर्षीय वैवाहिक दंपतियों को 01 वर्षीय पुत्री के पहले जन्म दिवस पर न्यायाधीश ने समझा-बुझाकर विवाद को खत्म कराया। अन्य प्रकरण में लम्बे समय से मामूली झगड़े के चलते अलग-अलग रह रहे दंपती को न्यायालय की समझाइश पर एक हुए। अन्य मामला पुलिस चौकी देवकर का है जिसमें शादी के दो वर्ष पश्चात पति-पत्नी के बीच आपसी वाद-विवाद होने के कारण एक-दूसरे से अलग रह रहे थे। न्यायाधीश की समझाईश पर दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाकर माफ किया। नेशनल लोक अदालत धन्यवाद दिया। सभी 06 परिवार हंसी-खुशी न्यायालय परिसर से बिदा हुए।

घरेलू हिंसा के मामलें में पति-पत्नी के मध्य उपजी आपसी रंजिश हुई खत्म 
न्यायाधीश उमेश कुमार उपाध्याय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में लंबित परिवारिक मामलें में दंपत्तियों का विवाह लगभग 10 वर्ष पूर्व हुआ था, जिसकी 8 वर्षीय पुत्री भी है। विवाह के 03 वर्ष बाद किसी अन्य महिला के कारण पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ जिसके कारण पत्नी ने न्यायालय में घरेलू हिंसा का मामला प्रस्तुत किया। 

न्यायालय ने दोनों पक्षों को समझाइश दी गई कि वे अब पति-पत्नी होने के अलावा माता-पिता भी है और उनकी बच्ची को दोनों की आवश्यकता है। आप दोनों को आपसी विवाद को भुलाकर एक साथ रहकर सुखमय जीवन बिताना चाहिए। न्यायालय की समझाईश पर पति-पत्नी के बीच का लगभग 06 वर्ष का पुराना विवाद खत्म हुआ और दोनों न्यायालय से हंसी-खुशी अपने घर लौट गये।

वर्चुअल समझौता 
मो. जहांगीर तिगाला के न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण में पूणे में निवासरत पक्षकार के बीच हुए गाली-गलौच के मामले को वह समझौते के आधार पर समाप्त कराना चाहता था परन्तु उपस्थित नहीं हो सका। खण्डपीठ अधिकारी ने विडियों कॉन्फ्रेसिंग के जरिए राजीनामा करवाया।
 


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