बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 19 अगस्त। शहर के एक मात्र कांजी हाउस में गायों को जेल के कैदियों की तरह ठूंस ठूंस कर रखा गया है। 40 गाय की क्षमता वाले कांजी हाउस में 150 से अधिक गायों को भर दिया गया है। उपचार की कमी व अन्य कारण की वजह से 5 दिन के दौरान कांजी हाउस में 7 गायों की मौत हुई है। गायों की बदहाल स्थिति को लेकर किसानों ने चिंता जाहिर की है।
जानकारी हो कि सडक़ पर बैठी गायों व अन्य स्थानों पर मिले मवेशियों को काऊ कैचर में भरकर शहर के वार्ड 21 के कांजी हाउस में ठूंस-ठूंस कर रखा गया है। बीते 7 दिन के दौरान पकड़े गए 150 से अधिक पशुओं को रखा गया है। हालत ये है कि कांजी हाउस में मवेशियों की संख्या को देखते हुए यहां पर दाना पानी की समस्या होने लगी है। खुराक की कमी की वजह से मवेशी कमजोर होने लगे हैं। किसानों ने बताया कि कांजी हाउस में सुविधाओं की भारी कमी है। मवेशियों की स्थिति ठीक नहीं है। बीते 7 दिन के दौरान उपचार की कमी की वजह से कई गायों की मौत हो चुकी है, जिसमें गर्भवती गाय भी शामिल हैं। इसके साथ ही बारिश के दिनों में खुले आसमान के नीचे ही मवेशियों को रखा गया है। मौके पर जहरीले जीव व जंतुओं का खतरा बना रहता है। आने वाले दिनों में किसान मवेशियों के साथ सडक़ पर आकर प्रदर्शन करेंगे। दूसरी तरफ बीते चार साल से भ्रष्टाचार की भेंट चढऩे की वजह से गौठान चार साल से अधूरा पड़ा हुआ है।
तंग स्थान है, मवेशी पैर भी नहीं रख पाते
वार्ड 21 में संचालित कांजी हाउस में क्षमता से 3 गुणा अधिक मवेशियों को जेल की तरह भरकर रखा गया है। मवेशियों की स्थिति इस तरह है कि तंग स्थान होने की वजह से एक ही स्थान पर खड़े मवेशियों के बैठने के लिए जगह तो दूर, दूसरे स्थान पर पैर रखने के लिए स्थान नहीं है। इस बीच मवेशियों में भगदड़ होने से कई मवेशी घायल हो चुके हैं।
किसान मवेशियों को लेकर कलेक्टोरेट का घेराव कर चुके
मवेशियों की स्थिति को लेकर चिंता करने वाले किसान नेता राम सहाय वर्मा ने बताया कि पूर्व में भी मवेशियों को रखने के लिए सुविधा नहीं होने की वजह से किसानों ने कलेक्टर कार्यालय के सामने मवेशियों को लेकर प्रदर्शन किया था। इस बार भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो किसान मवेशियों को लेकर सडक़ पर उतरेंगे। अन्य किसानों ने बताया कि शहर मे पकड़े गए मवेशियों को अभ्यारण्य में भेजा जाना चाहिए। यहा पर मवेशी मर रहे हैं। हालत को लेकर नगर पालिका सीएमओ भूपेन्द्र उपाध्याय से जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन सम्पर्क नहीं हुआ।


