बेमेतरा

भगवान के 24 अवतार, इनमें से एक युगल-जगतगुरु शंकराचार्य
21-Apr-2023 7:20 PM
भगवान के 24 अवतार, इनमें से एक युगल-जगतगुरु शंकराचार्य

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 21 अप्रैल। सपाद लक्षेश्वर धाम में आयोजित श्री शिव महापुराण के अंतिम दिवस जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान के पास वह चीज कहां से आती है। वह जो तपस्या करने वाले को देते हैं। उनके पास भी तो कहीं से आता होगा। उनके पास भी कहीं से नहीं आता है उनको भी तपस्या ही करनी पड़ती है।

यह तपस्या ही है जो आप की कामनाओं की पूर्ति कर सकती है। भगवान इसलिए तपस्या करते हैं कि लोक का कल्याण हो। इसीलिए भगवान के जो 24 अवतार हैं इसमें से एक युगल अवतार है, जिसका नाम है नर नारायण दो ऋषि हैं दोनों युगल हैं दोनों साथ ही रहते हैं। एक का नाम है नर और दूसरे का नाम है नारायण। यह जो नर नारायण नाम के ऋषि हैं। यह बद्रिका आश्रम में तपस्या आज भी कर रहे हैं व उन्हीं की तपस्या का परिणाम है कि तपस्या करने वालों को जो चाहते हैं वह प्रदान कर देते हैं। जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा छत्तीसगढ़ में 36 पुराण के वाचन क्रम में एक पुराण देवरबीजा में वाचन करेंगे।

दोपहर 2 बजे जगतगुरु शंकराचार्य शिवगंगा आश्रम से कथा स्थल पहुंचे। जहां क्षेत्रीय विधायक आशीष छाबड़ा सपत्नीक, यजमान व सलधावासियों ने सामूहिक रूप से पादुकापुजन किए। वहीं प्रमोद शास्त्री ने शिव भजन सुनाया तत्पश्चात परंपरा अनुसार आचार्य राजेन्द्र शास्त्री द्वारा बिरुदावली का बखान किया गया। तत्पश्चात शंकराचार्य ने राम संकीर्तन प्रारंभ कर सप्तम दिवस के शिवमहापुराण कथा का श्रवण कराना प्रारंभ किए।

जगतगुरु पूर्णाहुति बाद कवर्धा के लिए हुए रवाना

कथा समापन पश्चात शंकराचार्य श्रीरूद्र महायज्ञ के पूर्णाहुति में शामिल हो सपाद लक्षेश्वर धाम से सडक़ मार्ग होते हुए धर्मनगरी कवर्धा पहुंचे। जहां बिलासपुर बाईपास रोड पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दिव्यदर्शन प्राप्त किए।

कवर्धा से पंडरिया क्षेत्र के ग्राम पाढ़ी पहुंचे जहां आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर बोडला, चिल्फी, मंडला कहानी, घनसोर, धुमा होते हुए श्रीधाम झोतेश्वर प्रस्थान किए। अंतिम दिवस अवधेश चंदेल पूर्व विधायक, शीतल साहू जिलाध्यक्ष साहू कबीरधाम, सीताराम साहू, योगेश तिवारी, सुरेंद्र छाबड़ा, बिन्नू छाबड़ा, डॉ प्रभास श्रीवास्तव, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, ब्रह्मचारी सर्वभूतात्मानन्द, मेघानन्द शास्त्री, धर्मेंद्र शास्त्री, कृष्णा परासर, सनोज, दीपक, राम दीक्षित समेत हजारों श्रद्धालुओ ने कथा श्रवण किया।


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