बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भटगांव, 24 दिसंबर। नगर भटगांव के पूर्व पार्षद रामलाल साहू के यहा संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथा वाचक पंडित प्रेमशंकर चौबे ने शिव पार्वती विवाह एवं शिव चरित्र का वर्णन किया।
कथा वाचक नवागांव बाराद्वार से आये पंडित प्रेमशंकर चौबे ने राम नाम स्मरण का महत्व समझाते हुए शिव पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। सुंदर सुंदर भजन शिव को ब्याहने चले, भोले की बारात चली सहित अन्य पर श्रद्धालुओं ने आनंद लिया व शिव विवाह प्रसंग का वर्णन सुन मंत्रमुग्ध हो गए। कथा वाचक पंडित प्रेमशंकर चौबे ने बताया कि जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए राम नाम ही एक मात्र सहारा है। वर्तमान दौर मे ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम भगवान का स्मरण करना छोड़ दे। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। राम नाम का स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। लेकिन अमूमन सुख हो या दुख हम भगवान को भूल जाते है। दुखो के लिए उन्हें दोष देना उचित नहीं है। हाथ की रेखा देखकर बोला वो नारद जोगी मतवाला जिससे तेरा ब्याह रचेगा वो होगा डमरू वाला भाजन के साथ शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला।
महाराज का कहना था कि नारद मुनि भगवान शिव एवं पार्वती विवाह का रिश्ता लेकर आए थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी उनका मानना था कि शिव का कोई ठोर ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नहीं है। उन्होंने इसका विरोध भी किया, लेकिन माता पार्वती का कहना था कि वे भगवान शिव को पति रूप में स्वीकार कर चुकी है तथा उसके साथ ही जीवन जीना चाहेगी। इसके बाद दोनों का विवाह हो सका। इस दौरान शिव पार्वती की विशेष झांकी भी निकाला गया। इस दौरान भगवान शिव और पार्वती की विवाह की रोचक और प्रासंगिक कथा को श्रोताओं के समक्ष रखा, जिसे सुनकर श्रोता आनंदित हो गए और शिव विवाह के अनेक रोचक प्रसंगों पर कई बार श्रोताओं के चेहरे पर एक अलग सी चमक देखने को मिली।
कथा वाचक ने कहा कि व्यक्ति को समय रहते भजन में लग जाना चाहिए क्योंकि जीवन का कोई पता नहीं, जीवन की क्षणभंगुरता इस बात की पर्याय है कि भजन करने का जो समय मिले वही उचित है, क्योंकि बुढ़ापे में भजन नहीं हो पाते।
वहीं राम कथा सुनने के लिए जिला सहकारी बैंक में आये हुए किसान भाई भी राम कथा का रसपान कर रहे हैं। जहां राम कथा सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ रोज पहुंच रहे है। और कथा समापन होने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण भी किया जा रहा है।


