बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 जून। साजा थाने में दर्ज फर्जी अंकसूची के सहारे नौकरी हासिल करने के प्रकरण में फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश अंकिता मुदलियार ने आरोपी को 3 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
जानकारी के अनुसार गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के फर्जी अंकसूची एमए संस्कृत के आधार पर व्याख्याता पद प्राप्त करने वाले रविन्द्र कुमार यादव लम्बे समय तक 2009 से सेवा देता रहा। उसके पश्चात फर्जी प्रमाण पत्र का खुलासा तत्कालीन छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के अध्यक्ष नारद सिंह ठाकुर विकास खण्ड साजा को हुई। जिसमें उसने जानकारी प्राप्त होते ही 2011 से शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को उक्त फर्जी प्रमाण पत्र में व्याख्याता पद प्राप्त शिक्षक की जॉंच कर उचित कार्रवाई के लिए शिकायत पत्र संबंधित विभाग के सचिव संचालनालय लोक शिक्षण रायपुर, जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा को भेजा। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ द्वारा फर्जी की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग को जांच अधिकारी बनाया।
जांच अधिकारी ने दस्तावेजों के आधार पर संबंधित आरोपी व्याख्याता को जवाब तलब किया। ज्ञात हो जिस समय प्रमोशन प्राप्त किया उस समय गुरू घासीदास विश्व विद्यालय का दो प्रमाण पत्र (अंकसूची) एम.ए. पूर्व अनुक्रमांक 46137 वर्ष 2005-06 एवं एम.ए. अंतिम अनुक्रमांक 64023 वर्ष 2006-07 का फर्जी अंकसूची जमा कर व्याख्याता पद प्राप्त करने में सफल हो गया।
जब उक्त अनुक्रमांक सी.एम.डी. महाविद्यालय बिलासपुर का बताया गया था जबकि उक्त वर्षों में उपरोक्त अनुक्रमांक का सीरिज गुरू घासीदास विष्वविद्यालय द्वारा उक्त महाविद्यालय को जारी ही नहीं किया गया था। तदोपरांत रविन्द्र यादव ने जांच अधिकारी को पहले अंकसूची में त्रुटि होने की बात कहकर दो नये प्रमाण पत्र सुधार कर जांच अधिकारी के समक्ष जमा किये। जिसमें एमए पूर्व अनुक्रमांक 96248 वर्ष 2005-06 एवं एमए अंतिम अनुक्रमांक 75433 वर्ष 2006-07 का नया जमा किया। यह कि जांच अधिकारी ने रविन्द्र यादव द्वारा जमा किये गये चारो अंकसूचियों को गुरू घासीदास विश्वविद्यालय को सत्यापन के लिए भेजा।
सत्यापन में गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ने अपने अभिलेख के अनुरूप नहीं पाते हुए उक्त व्याख्याता के ऊपर एफआईआर दर्ज कर एक प्रति विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने का पत्र लिखा। तत्पश्चात जांचोपरांत जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में फर्जी होना पाया और लोक शिक्षण संचालनालय को इसकी सूचना दी। जिसमें लोक शिक्षण संचालनालय ने उक्त आरोपी व्याख्याता को आरोप पत्र भी जारी किया। जिसमें उन्होंने अपने पत्र में सिविल सेवा आचरण अधिनियम का गंभीर श्रेणी का अपराध होना व शासन की छवि धूमिल करने का प्रयास मानकर पुलिस में एफआईआर दर्ज करने का आदेश जांच अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग को दिया।
जांच अधिकारी ने तत्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी साजा को संबंधित व्याख्याता के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया। जिस पर बीईओ ने थाना जाकर एफआईआर करने थाना साजा को पत्र लिखा परन्तु उस वक्त थाना साजा ने भी एफआईआर करने से इंकार कर दिया और लिखित का पावती देने से भी इंकार कर दिया। इसकी जानकारी बीईओ साजा द्वारा जॉंच अधिकारी को भेज दी गई। जिसमें जांच अधिकारी ने पुलिस अधीक्षक बेमेतरा को एफआईआर लिखने हेतु थाना साजा को आदेश देने संबंधी पत्र लिखा। जिस पर प्रारंभिक जांच करने के पश्चात् धारा 420, 467, 468, 471 द.प्र.सं. के तहत पुलिस थाना साजा ने संबंधित व्याख्याता पर एफआईआर दर्ज किया।
थाना साजा द्वारा प्रकरण दर्ज कर न्यायालय प्रथम श्रेणी साजा में 16 दिसम्बर 2016 पेश हुआ, जिसमें आरोपी को धारा 420 के तहत दोषी पाया गया।