बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 मई। छत्तीसगढ़ की बोहार भाजी के स्वाद सबसे लोकप्रिय है। वैसे किसी भी जगह की खान-पान का तरीका वहाँ की प्राकृतिक तथा भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है, छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहाँ मैदानी और जंगली इलाके ज्यादा है जिसके कारण सब्जियों में भाजी का अधिकतम उपयोग होता है।
भाजियों में पालक, मेंथी, लाल भाजी, चौंलाई साथ ही कई प्रकार की लोकल भाजी जैसे- तिनपनिया, चरौटा, कोईलार, बथुआ, तिवरा भाजी, मुनगा भाजी, चना, प्याज, खोटनी, गोभी, जरी, मूली, करमत्ता, कांदा, बर्रे, कौना केनी, कंदईल, उरला, पटवा, चेंच, अमारी भाजी, घमरा, सरसों, सिलियारी, खट्टा, सिंगारी, गोल, चनौरी, गुमी, भाजियाँ यहाँ लोकप्रिय है, और इन्हीं में से बोहार भाजी (कॉर्डिया डाइकोटोमा) एक लोकप्रिय और महंगी भाजी है। जिसे अंग्रेजी में बर्ड लाईम ट्री, इंडियन बेरी, ग्लूबेरी भी कहा जाता है। भारत के कई राज्यों में इसे अन्य नामों जैसे लसोड़ा, गुंदा, भोकर आदि नामों से जाना जाता है।
छत्तीसगढिय़ा भाजियों में सबसे महंगी बोहार भाजी होती है। यह वर्ष भर में कुछ दिनों तक ही मिल पाती है, परंतु इसके लाजवाब स्वाद के कारण लोग इस भाजी के लिए हर कीमत देने को तैयार रहते हैं। बोहार भाजी पनीर से भी महंगी सब्जी है, यह बाजार में उपलब्धता के आधार पर 250 से 500 रूपये प्रति किलोग्राम में बिकती है। बोहार भाजी के फूल, फल, कली तथा पत्तियों से सब्जी, फल से अचार, इसके पके फल से एक चिपचिपा द्रव्य निकलता है, जिसका उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। बोहार भाजी में पोषक तत्व भरपुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह पाचन तंत्र में सुधार, कफ तथा दर्द को दूर करने वाला तथा शरीर को शीतलता प्रदान करती है। इसके छाल का उपयोग खुजली उपचार के लिए किया जाता है तथा कृमि को खत्म करने में भी यह सहायक है।