बस्तर

जगदलपुर, 25 अप्रैल। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के मुख्य संयोजक नवनीत चाँद व सह संयोजक समीर खान ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के तीव्र गति से फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन ने जीने की जरूरत के बीच एक संघर्ष पैदा कर दिया है। जिसका उदाहरण आज बस्तर जिले के ग्राम पंचायत आड़ावाल के रेलवे पारा निवासी माँ गीता ने मुक्तिमोर्चा को फोन कर दूधमुंहे बच्चे की भूख की चीख में मदद की गुहार लगाई। उक्त स्थल पर मुक्तिमोर्चा की टीम ने पहुंच मदद मुहैया करवाई, तब यह पता लगा कि गरीब परिवार द्वारा टेंट हाउस में रोज काम कर रोज कमाने वाला परिवार आज लॉकडाउन कड़ी शर्तों के आगे बेबस नजर आया। जिमेदार विभाग की हवा हवाई बातों की पोल इस बात से खुल रही है कि विभागीय रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद भी सहायतार्थ योजनाओं ने जरूरत के वक्त दम तोड़ दिया। सरकार, जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों, प्रशासन संयुक्त तैयारियों की छूट शर्तों में व लॉकडाउन के पक्षधर बुद्धिजीवियों के पास उत्पन्न हो रही इन परिस्थितियों के लिए कोई हल अब तक नहीं है। यह बेहद चिंतनीय विषय है। मुक्तिमोर्चा द्वारा जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों को सूचना दे ऐसी परिस्थितियों को उत्पन्न न होने देने की अपील दूरभाष में बात कर की। इस दौरान मुक्तिमोर्चा के सोशल मीडिया प्रभारी ओम मरकाम व शहर उपाध्यक्ष सनी राजपूत भी मौजूद थे।