बस्तर

बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी के रथारूढ़ होने नए रथ निर्माण की शुरुआत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 5 सितंबर। बस्तर का विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की दूसरी प्रमुख रस्म ‘डेरी गड़ाई’ धार्मिक उत्साह और पारंपरिक विधि-विधान के साथ संपन्न हो गई। यह रस्म बस्तर दशहरा की तैयारियों में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसके साथ ही बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू करने की अनुमति प्राप्त हुई।
बस्तर दशहरा पर्व के डेरी गड़ाई रस्म के तहत बिरिंगपाल गांव से विशेष रूप से लाई गई साल की पवित्र टहनियों को सिरहासार में खंभों के साथ विधि-विधानपूर्वक गाड़ा गया। यह प्रक्रिया पारंपरिक वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों के बीच मंत्रोच्चार और परम्परागत रीति रिवाजों के साथ संपन्न हुई।
इस रस्म का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह बस्तर दशहरा के रथ निर्माण की शुरुआत का प्रतीक है। रस्म के दौरान सिरहासार में रथ निर्माण की अनुमति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की गई। कारीगर अपनी परंपरागत तकनीकों और औजारों का उपयोग करते हुए रथ को तैयार करेंगे, जो आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की रथारूढ़ होने के साथ परिक्रमा के लिए उपयोग किया जाएगा।
यह रथ उत्सव का एक केंद्रीय प्रतीक है जो मां दंतेश्वरी के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता हैं। साथ ही देश-विदेश के सैलानी भी ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के साक्षी बनते हैं।