बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजपुर, 26 अक्टूबर। छठ पर्व की शुरुआत हो गई है। छठ व्रतियों द्वारा नगर गेयुर नदी के तट पर घाट बंधान के साथ डूबते सूरज को अघ्र्य देकर पूजा उपासना शुरू की है।
दीपावली पश्चात लोक आस्था का प्रतीक सबसे बड़ा महापर्व छठ पूजा की उपासना प्रारंभ हो गई है। खरना पूजा के साथ छठ व्रतियों द्वारा रविवार को नगर के गेयुर नदी के तट पर डूबते सूरज को अघ्र्य देकर घट बंधान कर पूजा की शुरुआत की गई है। छठ व्रती इस पूजा के प्रथम दिन घट बंधन पश्चात गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करेंगीं, जिसके पश्चात वे निर्जला व्रत रहकर छठी मैया की उपासना करेंगी। सोमवार को नदी के तट पर शाम के वक्त डूबते सूर्य को अघ्र्य देकर पूरी रात छठ घाट पर रुककर सुबह की पहली किरण के साथ उगते सूर्य को अघ्र्य देकर अपनी उपासना पूरी करेंगीं।
मान्यता है कि जो व्रती इस पूजा को करती हैं, उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है, क्योंकि यह पूजा वास्तविक रूप से भगवान सूर्य की पूजा होती है जो हमारे जीवन में साक्षात रूप से विद्यमान है। छठ पूजा बहुत ही कठिन मानी जाती है पर व्रतियों द्वारा यह कठिन से कठिन पूजा अपने परिवार के खुशहाली के लिए करते हैं।


