बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज, 23 अक्टूबर। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर शहर सहित पूरे क्षेत्र में भाई दूज का पर्व पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना की। भाइयों ने भी बहनों के प्रति स्नेह और सुरक्षा का वचन दिया।
भाई दूज के अवसर पर इस क्षेत्र में ऐसी परंपरा है कि घर की माताएं एवं बहनों के द्वारा सुबह-सुबह रंगइनी का कांटा लेकर अपने सभी भाईयों एवं पिता एवं अन्य रिश्तेदारों को खूब श्रापती हैं फिर वही कांटा अपने जीभ में गड़ाती हैं। इस श्राप में भी अपने भाइयों के मंगल कामना से किया जाता है।
फिर उसे लेकर मुहल्ले में एक जगह पर सभी माताएं एवं बहन लोग इक_े होकर पूजा अर्चना करते हुए सारे कांटो को पारंपरिक गीत गाते हुए खूब कूटते हैं। इसके बाद उसमें से चना निकाल कर मिठाई के साथ अपने अपने भाईयों को खिलाते हुए भाईदूज व्रत का समापन करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भाई दूज को ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया था। तभी से यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।


