बलरामपुर

जल जीवन मिशन कार्य का निरीक्षण, स्कूल-आंबा में अव्यवस्था पर सभापति सख्त, कार्यों में सुधार के निर्देश
14-Sep-2025 8:16 PM
जल जीवन मिशन कार्य का निरीक्षण, स्कूल-आंबा में अव्यवस्था पर सभापति सख्त, कार्यों में सुधार के निर्देश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रामानुजगंज,14 सितंबर। क्रेडा विभाग के अंतर्गत जल जीवन मिशन योजना के तहत परहीयाडीह ग्राम पंचायत में घर-घर जल आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु चल रहे कार्यों का जिला सदस्य सभापति बद्री यादव द्वारा निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्माणाधीन पानी टंकी सहित अन्य कार्यों की गहन समीक्षा की।

सभापति ने निरीक्षण के दौरान कार्य की गुणवत्ता को अभिहीन बताते हुए गहरी नाराजग़ी जताई। उन्होंने पाया कि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है। इस पर तत्काल प्रभाव से संबंधित कार्यों को स्थगित करने के निर्देश दिए गए और कहा गया कि जब तक कार्यों में आवश्यक सुधार नहीं होता, तब तक कार्य पुन: आरंभ न किया जाए।

स्कूल और आंगनबाड़ी की व्यवस्थाओं पर भी उठाए सवाल

निरीक्षण के दौरान सभापति श्री यादव ने ग्राम पंचायत परहीयाडीह के शासकीय प्राथमिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र का भी निरीक्षण किया। विद्यालय में छात्रों को निर्धारित मीनू के अनुसार भोजन न दिए जाने पर उन्होंने कड़ी नाराजग़ी जताई।

वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को गरम भोजन न मिलने और व्यवस्था के लचर हालात पर भी असंतोष व्यक्त किया गया। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा संचालित योजनाएं ज़मीनी स्तर पर यदि प्रभावी रूप से लागू नहीं हो रहीं, तो यह गंभीर लापरवाही मानी जाएगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से तत्काल जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग की।

स्थानीय ग्रामीणों से की बातचीत, समस्याएं सुनीं

निरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण भी उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने जल आपूर्ति, भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी कई समस्याएं सभापति के समक्ष रखीं।सभापति ने सभी मुद्दों को गंभीरता से सुनते हुए मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को समाधान हेतु आवश्यक निर्देश दिए।

सभापति ने कहा कि जल जीवन मिशन के कार्यों के साथ-साथ शिक्षा और पोषण जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं में भी किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है कि प्राथमिकता के आधार पर सुधार करें।यह निरीक्षण सिर्फ एक योजना की समीक्षा नहीं थी, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही और ग्रामीण हितों की गंभीरता को दर्शाने वाला कदम था। सभापति का यह संदेश स्पष्ट था कि जन योजनाओं में लापरवाही अब नहीं चलेगी।


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