बलौदा बाजार
संघ ने कहा मांगे पूरी नहीं होती तब तक प्रदेश स्तर पर जारी रहेगा आंदोलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 19 नवंबर। सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल खत्म करवाने प्रशासन की ओर से थाने में बैठ कर दबाव बनाने की रणनीति का उल्टा असर सामने आया हैं। जिला अध्यक्ष मनीराम कैवर्त को सिटी कोतवाली में बैठकर दबाव बनाते हुए हड़ताल वापस की सहमति पत्र लिखवाने की बात सामने आई थी। सहकारी समितियों के कर्मचारियों के संगठन ने इसे अनुशासनहीनता और जबरन समझौता मानते हुए जिला अध्यक्ष को ही पद से बर्खास्त कर दिया हैं। इस कदम में प्रशासन की हड़ताल तोडऩे की नीति पूरी तरह विफल कर दी हैं।
दरअसल पूरा मामला सोमवार का हैं। हड़ताल के दौरान कोषाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण वर्मा और सहसचिव रोहित यादव को हिरासत में ले लिया गया। जिला अध्यक्ष मनीराम कैवर्त सहित अन्य पदाधिकारी को थाने बुलवाया गया। आरोप है कि देर रात 12 बजे तक उन पर हड़ताल खत्म करने के लिए पुलिस की ओर से दबाव बनाया जा रहा। सूत्रों की माने तो प्रशासनिक दबाव के चलते जिला अध्यक्ष ने हड़ताल वापस लेने संबंधित एक समझौता पत्र लिखा।
इसी पत्र के आधार पर मंगलवार सुबह हड़ताल समाप्त होने और कर्मचारियों के काम पर लौटने की घोषणा कर दी गई। हालांकि संगठन ने समझौते जैसी किसी भी बात को नकारते हुए अपने ही जिला अध्यक्ष को पद से बर्खास्त करते हुए शासन को पत्र दे दिया है कि इस बार में आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। सरकार उनकी हड़ताल को खत्म करने जितने भी तरीके अपनाए वे मांगे पूरी हुए बिना पीछे नहीं हटने वाल वाले हैं। संघ ने जिला उपाध्यक्ष रामकुमार साहू ने कहा हम प्रशासन के दबाव में नहीं झुकेंगे। हमारे जिला अध्यक्ष ने दबाव में आकर संगठन के हितों से समझौता किया। यही वजह है कि उन्हें पद से हटा दिया गया हैं। हमारी हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।
अध्यक्ष बर्खास्त करने तत्काल बैठक बुलाई और फैसला
आधी रात थाने में हुआ समझौता संगठन के बाकी समझौता सदस्यों को मंजूर नहीं था। कर्मचारियों ने इसे प्रशासन की जबरन समझौता करवाने की रणनीति बताई हैं। जिलाध्यक्ष की एकतरफा सहमति का जमकर विरोध किया। संगठन ने तत्काल प्रभाव से एक बैठक बुलाई यहां कर समिति से मनीराम कैवर्त को जिला अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने का फैसला लिया गया। इस बारे में एक आदेश भी जारी किया गया हैं जिसमें लिखा है अधिकारियों के दबाव में आकर कोरे कागज पर हस्ताक्षर करना संगठन के प्रति गद्दारी के समान हैं।
जिले में सरकारी समितियों के कर्मचारी चार सूत्री मांगों को लेकर तीन नवंबर से हड़ताल पर हैं। हड़ताल के चलते धान खरीदी प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में प्रशासन हड़ताल खत्म करने लगातार दबाव बना रहा हैं। हालांकि थाने में दबाव डालकर जबरन समझौता करने की कोशिश ने स्थिति और विस्फोटक बना दी हैं। अब देखना है यह की नए नेतृत्व के गठन के बाद हड़ताल क्या रूप लेती है और प्रशासन अब किस तरह की रणनीति अपनाते हैं। एक बात साफ है कि कर्मचारी अब किसी तरह के दबाव में आकर झुकने के मूड में नहीं हैं।
रामकुमार बने कार्यवाहक अध्यक्ष चुनाव जल्द होगा
अध्यक्ष की बर्खास्त की संबंधित फैसले को छत्तीसगढ़ सरकारी समिति कर्मचारी महासंध से भी पूर्ण समर्थन हैं। महासंघ ने मनीराम कैवर्त को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की पुष्टि की। और रामकुमार साहू को कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। महासंघ ने स्पष्ट किया की हड़ताल प्रदेश स्तर पर जारी रहेगी। कर्मचारियों के हक की लड़ाई और तेज की जाएगी। संगठन ने बताया कि नए जिला अध्यक्ष का चुनाव जल्द महासमुंद में होगा।


