बलौदा बाजार

साल भर से मुआवजा निराकरण के लिए दफ्तरों के चक्कर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 15 मई। ग्राम सुहेला से 6 किलोमीटर की दूरी पर आमाकोनी गांव में किसानों की सिंचाई की सुविधा के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा मार्च 2022 में सिंचाई बांध जीर्णोद्धार एवं नहर निर्माण कराया गया था। नहर निर्माण के दौरान ठेकेदार ने प्रभावित किसान भोजराम पाटिल पिता मनोहर पाटिल के खेतों को समतल करने का आश्वासन देकर खेत खोदकर मुरूम निकाला और बड़े-बड़े बोल्डर वहीं छोड़ दिए जिससे किसान अपने खेत में फसल ही नहीं उपजा पा रहा है। किसान ने मुआवजा के लिए प्रशासन से मांग की थी, परंतु आज भी उसकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मार्च 2022 में अमाकोनी के सिंचाई बांध एवं नहर के जीर्णोद्धार के लिए जल संसाधन विभाग से 1 करोड़ 44 लाख रुपए का टेंडर हुआ था। बिलासपुर के ठेकेदार अंकित अग्रवाल को इसका टेंडर मिला था। जिन्होंने बांध एवं नहर निर्माण का कार्य किया गया।
इस संबंध में पीडि़त किसान भोजराम पाटिल ने बताया कि ठेकेदार के द्वारा किसान से कहा गया था कि कार्य पूर्ण होने पर खेत को समतल कर दिया जाएगा किंतु नहर निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद ठेकेदार गांव आना तो दूर फोन भी नहीं उठा रहा है। खेतों में बड़े-बड़े पत्थर मुरूम रेत व गिट्टी होने के कारण किसान हल भी नहीं चला पा रहा है। जिसके चलते खेत बंजर सा हो गया है।
किसान के 2 एकड़ खेत में लगभग 130 से 135 कट्टा धान लगभग 52 क्विंटल होता है। इसकी शिकायत किसान ने सिंचाई विभाग के पूर्व में इंजीनियर व वर्तमान में प्रभारी एसडीओ अक्षर सिंह से भी की थी। अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से परेशान किसान खेत के मुआवजा के लिए कलेक्टर जनदर्शन में 6 से 8 बार आवेदन दे चुका है, किंतु अभी तक ठेकेदार व सिंचाई विभाग के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पीडि़त किसान ने तहसीलदार सुहेला, कृषि उपज मंडी भाटापारा अध्यक्ष सुशील शर्मा को भी अपने खेत की मुआवजा दिलाने हेतु आवेदन किया गया, परंतु किसान को अब तक केवल आश्वासन ही मिला है। मामले में अमाकोनी हल्का पटवारी मंजू लता के द्वारा भी पंचनामा तैयार कर प्रतिवेदन दिया जा चुका है। जिसमें स्पष्ट तौर पर खेत में बड़े-बड़े पत्थरों रेत मुरूम की वजह से कृषि कार्य नहीं हो पाने की बात का उल्लेख है।
उल्लेखनीय है कि भोजराम पाटिल के घर में 8 सदस्य हैं, जिनकी जिम्मेदारी किसान पर ही है। बुजुर्ग माता-पिता का स्वास्थ्य भी अक्सर खराब रहता है। कृषि कार्य से वंचित हो जाने के चलते किसान के परिवार के सामने जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है। चारों बच्चों की पढ़ाई के खर्चे हेतु उसे कर्ज लेना पड़ रहा है। यही नहीं प्राथमिकी कृषि सहकारी समिति फरहदा से खेती किसानी कार्य के लिए 36575 का कर्ज पटाने उसे सोसायटी द्वारा नोटिस भेजने पर किसी तरह गांव के व्यक्ति से कर्जा लेकर सोसाइटी में जमा किया गया है।
किसान के द्वारा ही आपत्ति -प्रभारी एसडीओ
मामले के संबंध में सिंचाई विभाग के प्रभारी एसडीओ अक्षर सिंह से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि खेत के समतलीकरण के लिए ट्रैक्टर जेसीबी की व्यवस्था की गई थी। किंतु किसान के द्वारा ही आपत्ति कर देने पर खेत अभी भी यथा स्थिति में पड़ा हुआ है। किसान और ठेकेदार आपस में चर्चा कर समस्या का समाधान कर सकते हैं।