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नयी दिल्ली, 17 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने कैबिनेट मंत्रियों से नई सरकार के पहले 100 दिनों और अगले पांच साल के लिए एक रूपरेखा तैयार करने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
प्रधानमंत्री ने आज सुबह यहां केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्रियों से अपने-अपने मंत्रालयों के सचिवों और अन्य अधिकारियों से मुलाकात कर इस बारे में चर्चा करने के लिए कहा कि नई सरकार के पहले 100 दिन और अगले पांच साल के एजेंडे को बेहतर ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है।
यह बैठक निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के एक दिन बाद हुई है।
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निर्वाचन आयोग की सिफारिश भेजकर सात चरण के संसदीय चुनावों की तारीखों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया भी शुरू की।
पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को 102 सीट पर मतदान के लिए पहली अधिसूचना 20 मार्च को जारी की जाएगी। अधिसूचना जारी होने के साथ ही किसी विशेष चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। (भाषा)
नागपुर, 17 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि चुनावी बॉण्ड एक ‘‘प्रयोग’’ है और वक्त आने पर पता चलेगा कि यह कितना फायदेमंद और प्रभावी रहा।
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने रविवार को दत्तात्रेय होसबाले को तीन साल के लिए पुन: सरकार्यवाह (महासचिव) निर्वाचित किया।
निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉण्ड के आंकड़े जारी किए। कई अरबपति कारोबारी और कम चर्चा वाली कंपनियां इसके खरीदारों में शामिल हैं।
इस्पात कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉण्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल थे।
चुनावी बॉण्ड मुद्दे पर जतायी जा रही चिंताओं और लाभ पाने के लिए इन्हें खरीदने के दावों के बारे में होसबाले ने कहा कि संघ ने अभी तक इसके बारे में चर्चा नहीं की है क्योंकि चुनावी बॉण्ड एक ‘‘प्रयोग’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह नियंत्रण और संतुलन के साथ किया गया और ऐसा नहीं है कि चुनावी बॉण्ड आज अचानक पेश किए गए, ऐसी योजना पहले भी लायी गयी थी। जब भी कोई बदलाव होता है तो सवाल उठाए जाते हैं। जब ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) लायी गयी थीं तब भी सवाल उठाए गए थे।’’
होसबाले ने कहा, ‘‘जब नयी चीजें आती हैं तो लोगों का सवाल उठाना स्वाभाविक है। लेकिन वक्त आने पर पता चलेगा कि नयी व्यवस्था कितनी फायदेमंद और प्रभावी रही। इसलिए संघ को लगता है कि इसे प्रयोग के लिए छोड़ देना चाहिए।’’
नरेन्द्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि संघ समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने की मांग वाला एक प्रस्ताव कई साल पहले संगठन की ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ में पारित किया गया था।
होसबाले ने कहा, “इसे (भाजपा शासित) उत्तराखंड में लागू किया गया है। हम चाहेंगे कि इसे पूरे देश में लागू किया जाये। लेकिन उत्तराधिकार, गोद लेना, विवाह और अन्य मुद्दे जैसे कुछ विवरण हैं जिन पर चर्चा करने की आवश्यकता है और फिर वे आगे बढ़ सकते हैं।”
उन्होंने कहा, लोगों ने देखा है कि देश ने पिछले 10 वर्षों में कितनी प्रगति की है और यहां तक कि प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और राजनीतिक विचारकों ने भी दोहराया है कि वर्तमान सदी भारत की सदी है।
उन्होंने कहा, “ऐसा कहने से उनके लिए कुछ अच्छा ही हो रहा होगा। वैसे भी, लोग चार जून (लोकसभा चुनाव की मतगणना के दिन) को अपना फैसला सुनाएंगे।” (भाषा)
रायपुर, 17 मार्च। आरएसएस की शुक्रवार से नागपुर में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने छत्तीसगढ़ प्रांत प्रमुखों की नई नियुक्तियां की है।करीब 7-8 वर्षों तक प्रान्त प्रचारक रहे दीपक विस्पुते की जगह अभयराम जी प्रांत प्रचारक होंगे। श्री दीपक को अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाया गया है । विस्पुते ने रामदत्त चक्रधर का स्थान लिया था। इसी तरह श्री प्रेम सह क्षेत्र प्रचारक और स्वप्निल कुलकर्णी क्षेत्र प्रचारक होंगे। इससे पहले छत्तीसगढ़ प्रांत प्रमुख डॉ पुर्णेंदु सक्सेना को मध्यक्षेत्र के क्षेत्र संघचालक होंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भौगोलिक संरचना के अनुसार मध्यक्षेत्र में मालवा, मध्यभारत, महाकोशल व छत्तीसगढ़ ऐसे 4 प्रान्त आते हैं। डॉ.सक्सेना की जगह टोपलाल वर्मा प्रांत प्रमुख बनाए गए हैं ।
नयी दिल्ली, 17 मार्च। निर्वाचन आयोग ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना की तिथि चार जून से बदलकर दो जून कर दी है।
आयोग ने पहले घोषणा की थी कि दोनों विधानसभा चुनावों की मतगणना चार जून को लोकसभा चुनाव की मतगणना के साथ की जाएगी।
आयोग ने कहा कि चूंकि दोनों विधानसभाओं का कार्यकाल दो जून को समाप्त हो रहा है, इसलिए तारीख बदल दी गई है।
आयोग ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए कार्यक्रम के संबंध में कोई बदलाव नहीं होगा।”
आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भी संसदीय चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। (भाषा)
नोएडा, 17 मार्च। नोएडा पुलिस ने यहां एक पार्टी में नशे के लिए सांप के जहर के संदिग्ध इस्तेमाल की जांच के संबंध में यूट्यूबर एल्विश यादव को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यादव पिछले साल तीन नवंबर को यहां सेक्टर-49 थाने में दर्ज प्राथमिकी में नामजद छह आरोपियों में से एक हैं। अधिकारियों ने कहा कि पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं।
उन्होंने बताया कि मामला वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक साजिश से संबंधित धारा 120बी के तहत दर्ज किया गया था। बाद में मामले को जांच के लिए सेक्टर-49 से सेक्टर-20 थाने में स्थानांतरित कर दिया गया।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (नोएडा) मनीष मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मामले की जांच कर रही सेक्टर-20 थाने की एक टीम ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।’’
रियलिटी शो ‘बिग बॉस ओटीटी’ के विजेता यादव ने मामले में संलिप्तता के आरोपों से इनकार किया है। पुलिस ने पूर्व में उनसे पूछताछ की थी।
मामले में सेक्टर-49 थाने के प्रभारी उप निरीक्षक को हटा दिया गया था जहां प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
यह मामला पशु अधिकार समूह ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ (पीएफए) के एक अधिकारी की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
गत तीन नवंबर को सेक्टर-51 स्थित एक बैंक्वेट हॉल से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उनके पास से पांच कोबरा सहित नौ सांपों को मुक्त कराया गया था। आरोपियों के पास से सांप का 20 मिलीलीटर जहर भी जब्त किया गया था।
हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि यादव पार्टी हॉल में मौजूद नहीं थे और वे नशे के लिए सांप के जहर के इस्तेमाल के पूरे मामले में उनकी भूमिका की जांच कर रहे हैं।
पीएफए अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने यादव पर सांप का जहर अवैध रूप से बेचने में शामिल होने का आरोप लगाया और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
गत चार नवंबर को, यादव को राजस्थान के कोटा में पुलिस ने पूछताछ के लिए उस समय कुछ देर के लिए रोका था, जब वह अपने दोस्तों के साथ कार में यात्रा कर रहे थे लेकिन जल्द ही उन्हें छोड़ दिया गया। (भाषा)
वाशिंगटन, 17 मार्च। वाशिंगटन डीसी में रविवार तड़के हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
मेट्रोपोलिटन पुलिस विभाग के कार्यकारी सहायक प्रमुख जेफरी कैरोल ने मौके पर पहुंचकर मीडिया को जानकारी दी कि अधिकारियों ने सुबह तीन बजे के आसपास सातवें और पी स्ट्रीट नॉर्थवेस्ट से जुड़े चौराहे के पास गोलीबारी की सूचना दी।
कैरोल ने कहा सात लोगों को एक ही स्थान पर गोली मार दी गई और जीवित बचे पांच घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
कैरोल ने गोलीबारी के बारे में जानकारी जुटाने में जनता से सहायता मांगी। मेट्रोपोलिटन पुलिस के एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया कि विभाग के पास एक संदिग्ध के पैदल चलने की जानकारी थी, लेकिन किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं है। (एपी)
पूर्व मुख्यमंत्री को न्यायिक प्रक्रिया का सामना और सम्मान करना चाहिये
रायपुर, 17 मार्च। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता, विधायक राजेश मूणत ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर मुकदमा दर्ज होने और उस पर अभियुक्त द्वारा प्रेस में दी गयी अपनी प्रतिक्रिया पर कहा है कि उन्हें जो भी कहना है, संबंधित एजेंसी या कोर्ट में कहना कहें। प्रेस में अनाप-शनाप बोलने से कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का दिया गया सार्वजनिक बयान चोर की दाढ़ी में तिनका जैसा ही है।
श्री मूणत ने कहा कि सोश्यल मीडिया पर घूम रही प्राथमिकी के दो पन्ने पर अपनी भड़ास निकालने से बेहतर है कि अभियुक्त उचित माध्यम से मूल कॉपी प्राप्त कर न्यायिक प्रक्रिया का सामना और सम्मान करें। अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि किसी भी सस्पेक्ट या अभियुक्त पर जांच एजेंसियों की कारवाई नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। कानून किसी के कद या पद के आधार पर भेदभाव नहीं करता। न ही इसका कोई राजनीतिक अर्थ है। चुनाव आदि से भी इसका कोई संबंध नहीं है।
श्री मूणत ने कहा कि कानून अपना काम करेगा जांच एजेंसियां अपना काम कर रही है। वे गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेने स्वतंत्र है।
उन्होंने आगे कहा कि जहां तक महादेव ऐप का विषय है, तो कांग्रेस के समय से ही इसकी जांच प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी, ऐसा तब की कांग्रेस सरकार का भी दावा था। अब जब कारवाई आगे बढ़ी हैं, तो कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है।
श्री मूणत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर इसका हिस्सा कहां तक पहुंचता था, यह अभियुक्तों के वीडियो से भी सामने आया ही था। उन्होंने कहा कि अभियुक्तों ने अलग-अलग माध्यमों से जो भी कहा है, उसमें से अनेक तथ्य सार्वजनिक हो चुके हैं। आज भी गूगल पर 508 करोड़ टाइप करने पर बड़े अभियुक्त का काला चिट्ठा सामने आ जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा प्रदेश के युवाओं से की गयी यह ठगी और लूट बर्दाश्त के काबिल नहीं है। जो भी इसके दोषी हों, चाहे वे कितने भी बड़े हों, उन पर कारवाई होनी ही चाहिए। मूणत ने कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी को लूट कर अपने आका का एटीएम बन चुके लोगों को बेनकाब होना ही चाहिये।
रायपुर, 17 मार्च। लॉकडाउन के दौरान क्वींस क्लब में बर्थडे पार्टी के दौरान फायरिंग के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। संचालक हरबक्श सिंह बत्रा का अनुबंध निरस्त कर दिया गया है। क्लब अब छत्तीसगढ़ गृह निर्माण ने एमिनेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध खत्म कर दिया है। अब छग हाउसिंग बोर्ड अपने अधिपत्य में लेगा।
आपको बता दें कि लॉकडाउन में शराब पार्टी कर नियमों का उल्लंघन किया गया था। नियम के विपरीत तीसरी पार्टी को क्लब सोप था। सुनवाई के अवसर दिए जाने के बावजूद जवाब नहीं दिया। अब क्वींस क्लब की बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को हाउसिंग बोर्ड अपने कब्जे में लेगा।
बता दें कि 27 सितंबर 2022 की रात वीआईपी रोड स्थित क्लब में शंकर नगर की एक युवती का जन्मदिन मनाने के लिए कुछ लोग शामिल हुए थे। इसी दौरान पार्टी में शामिल हुए हितेश पटेल ने गोली चला दी थी। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही आरोपी हितेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
रायपुर, 17 मार्च। शासकीय कर्मचारियों के अस्पतालों में इलाज के लिए मान्यता प्राप्त हास्पिटल की लिस्ट राज्य सरकार ने जारी कर दी है। बीमार होने की स्थिति में राज्य सरकार के कर्मचारी प्रदेश के 103 और राज्य के बाहर के 3 अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं। राज्य सरकार ने अस्पतालों की पूरी लिस्ट जारी की है। ये लिस्ट 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी। बाहर के जिन अस्पतालों को मान्यता दी गयी है, उनमें से तीनों अस्पताल नागपुर के है।
रायपुर, 17 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नई कार्यकारिणी में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा 2024-27 के कार्यकाल के लिए छह सहसरकार्यवाह नियुक्त किए गए हैं । इनमे सर्वश्री कृष्ण गोपाल,मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर,अतुल लिमये आलोक कुमार शामिल हैं। सह कार्यवाह का पद सर संघचालक को बाद दूसरे नंबर का होता है । इनमें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने छत्तीसगढ़ को महत्व देते हुए रामदत्त चक्रधर को दोबारा बनाया है। रामदत्त, दुर्ग जिले के पाटन के मूल निवासी है ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल नागपुर से नहीं चलता, छत्तीसगढ़ के एक गांव का एक व्यक्ति भी संघ की सर्वोच्च टोली में महत्पूर्ण पद प्राप्त कर सकता है।
छत्तीसगढ़ के पाटन तहसील के छोटे से गांव सोनपुर के रहने वाले रामदत्त चक्रधर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह का दायित्व दिया गया है। उन्हें संघ के प्रथम सात अधिकारिओ में स्थान दिया गया है।
एक छोटे से किसान परिवार में जन्मे रामदत्त ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त की। बारिश के मौसम में वे बहते नाले को पार करके शाला जाते थे । पढ़ाई में वे काफी तेज थे इसलिए शाला शिक्षा के बाद वे राजनांदगाव में उच्च शिक्षा प्राप्त करने आ गए। आप ने गणित विषय में स्नातकोत्तर किया वह भी स्वर्ण पदक के साथ।
बाद में उन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। उन्होंने रायपुर महानगर के प्रचारक के रूप में कार्य किया फिर दुर्ग विभाग के प्रचारक बने। छत्तीसगढ़ के सह प्रान्त प्रचारक बने फिर प्रान्त प्रचारक। उन्हें बाद में मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) के प्रचारक का दायित्व दिया गया।
रामदत्त इन तीनो पदों की जिम्मेदारी संभालने वाले छत्तीसगढ़ मूल के पहले व्यक्ति है। वे बाद में बिहार झारखण्ड के क्षेत्र प्रचारक बनाये गए ।
रायगढ़ में पेंच, बाकी में सहमति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 मार्च। कांग्रेस की बाकी पांच लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा 18 तारीख को हो सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने संकेत दिए कि सोमवार को केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक है। बैठक में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ बाकी राज्यों की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लग सकती है।
श्री बैज कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के मुम्बई में समापन कार्यक्रम में शिरकत करने रविवार को नियमित फ्लाईट से रवाना हुए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत भी मुम्बई गए हैं।
बताया गया कि बैज को बस्तर सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। दीपक बैज मौजूदा सांसद भी हैं, लेकिन पूर्व मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश की भी मजबूत दावेदारी है। कहा जा रहा है कि बैज के नाम पर सहमति बन गई है। इसी तरह सरगुजा सीट से शशि सिंह के नाम पर मुहर लगने के संकेत हैं।
चर्चा है कि बिलासपुर सीट से विष्णु यादव के नाम पर मुहर लग सकती है। यही नहीं, कांकेर से पूर्व प्रत्याशी वीरेश ठाकुर को ही प्रत्याशी बनाने पर सहमति बन गई है। रायगढ़ सीट को लेकर जरूर चर्चा बाकी है। इनमें लालजीत सिंह राठिया और डॉ.मेनका सिंह में से किसी को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
भाजपा ने अपनी सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा काफी पहले कर चुकी है। चुनाव तारीखों की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में कांग्रेस में बाकी पांच सीटों पर जल्द से जल्द प्रत्याशी घोषित करने के लिए दबाव है।
बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। इसके लिए नामांकन दाखिले की प्रक्रिया 26 मार्च से शुरू होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सोमवार को पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लग सकती है।
मोदी की दो सभा होगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 मार्च। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही भाजपा ने प्रचार की रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में प्रदेश भर में कुल 56 सभाएं होंगी। बताया गया कि होली के बाद बस्तर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा की सभा से प्रचार अभियान का आगाज होगा।
पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सभा के लिए प्रदेश महामंत्री रामू रोहरा को प्रभारी नियुक्त किया है। बस्तर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। इसको ध्यान में रखकर प्रचार तेज करने की रणनीति बनाई गई है।
बस्तर में भाजपा ने नए चेहरे महेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। प्रमुख नेता महेश को साथ लेकर विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं। इन सबके बीच होली के बाद एक बड़ी सभा करने की तैयारी चल रही है। यह सभा संभवत: जगदलपुर में हो सकती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा सभा को संबोधित करेंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कम से कम दो सभा आयोजित करने की तैयारी चल रही है। अभी इसको लेकर प्रदेश के नेता, राष्ट्रीय नेताओं से संपर्क बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कोरबा, और राजनांदगांव में सभा ले सकते हैं। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, और अन्य प्रमुख नेताओं का भी कार्यक्रम तैयार हो रहा है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की 11 लोकसभा क्षेत्रों में कुल मिलाकर छोटी-बड़ी 56 सभाएं होंगी। इसके लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है। क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल रायपुर पहुंच रहे हैं, और वो प्रदेश महामंत्री पवन साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण देव व प्रदेश महामंत्रियों रामू रोहरा, और अन्य के साथ प्रचार की रणनीति पर चर्चा करेंगे। कुल मिलाकर पार्टी ने आक्रामक चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई है।
महादेव ऑनलाईन सट्टा केस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 मार्च। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने महादेव ऐप केस में अपने खिलाफ एफआईआर पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध के चलते एफआईआर कराया गया है।
श्री बघेल राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र का दौरा अधूरा छोडक़र रायपुर पहुंचे और यहां राजीव भवन में मीडिया से रूबरू हुए। बघेल के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने महादेव ऑनलाईन सट्टा ऐप केस में एफआईआर दर्ज किया है। इस पर पूर्व सीएम ने कहा कि ईओडब्ल्यू में 4 मार्च को प्रकरण दर्ज हुआ था और 17 मार्च को दिल्ली के एक अखबार में इसकी खबर प्रकाशित हुई।
श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार ने ही महादेव ऐप मामले में सबसे ज्यादा कार्रवाई की थी। 72 एफआईआर हुए और 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि गूगल ने हमारे ही निवेदन पर महादेव ऐप को बंद किया था। मगर आज भी अन्य नामों से ऑनलाईन सट्टा जारी है।
पूर्व सीएम ने कहा कि ईडी की एफआईआर में भी कहीं भी उनका नाम नहीं था। यही नहीं, दुबई में शुभम सोनी के बयान से काउंसलेट ने अलग किया है। शुभम सोनी का वीडियो भाजपा कार्यालय से जारी हुआ था। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव से चुनाव लडऩे की चर्चा पहले से ही थी। अब ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ एफआईआर किया है यह विशुद्ध रूप से राजनीतिक कार्रवाई है। दबाव में की गई प्रतिशोध की कार्रवाई है। पूर्व सीएम ने कहा कि इसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि राजनांदगांव में भाजपा हार मान चुकी है इसलिए बदनाम करने के लिए इस तरीके की चीज लाई है। उन्होंने कहा कि मोदी की गारंटी और विष्णु देव साय के सुशासन में महादेव ऐप सांय-सांय चल रहा है।
रायपुर,17 मार्च । नगर निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा ने अंबेडकर चौक से तेलीबांधा मुख्य मार्ग में हो रहे डामरीकरण कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित इंजीनियर और कार्य एजेंसी से कहा है कि शेष बचे बीटी कार्य भी तेज़ी से पूरे किए जायें ।श्री मिश्रा ने पूरे हो चुके कार्य की गुणवत्ता को भी परखा। नगर निगम द्वारा तेलीबांधा से अंबेडकर चौक तक इस समय डामरीकरण किया जा रहा है । इसमें एक दिशा में बी टी कार्य पूरा भी कर लिया गया और दूसरी दिशा में प्रगतिरत कार्य भी तेज़ी से पूरा करने के निर्देश दिये है।
पाकिस्तान की एक खबर है कि वहां एक भारतीय नागरिक 2013 में गिरफ्तार किया गया, और आज से सात बरस पहले सिंध के हाईकोर्ट ने सरकार को हुक्म दिया कि इस आदमी को हिन्दुस्तान को लौटा दिया जाए, लेकिन सरकार अब तक यह कर नहीं पाई है। हाईकोर्ट ने सरकारी अफसरों पर बड़ी नाराजगी जाहिर की है, और अगली पेशी पर सरकार के किसी बड़े अफसर को जवाब देने को कहा है। हम इस मामले के अधिक खुलासे पर जाना नहीं चाहते, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह के बहुत से तनावों को लेकर चर्चा जरूर करना चाहते हैं। दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के मछुवारे कई बार पकड़ाते हैं, और कभी उस वक्त के अफसरों के मन में हमदर्दी रहती है तो वे छोड़ दिए जाते हैं, या फिर उन्हें दूसरे देश की जेल में रखा जाता है जहां उन पर टोबा टेक सिंह सरीखी कहानी लिखने के लिए आज कोई मंटो भी नहीं बचे हैं।
भारत और पाकिस्तान की सरकारें कई किस्म की ठोस वजहों से, और कई किस्म की काल्पनिक या गढ़ी हुई वजहों से भी एक-दूसरे के खिलाफ दुश्मनी के तेवर अख्तियार किए रहती हैं। इनको अपनी खुद की जमीन पर अपने लोगों को तसल्ली देने के लिए भी पड़ोसी देश को दुश्मन करार देना माकूल बैठता है। न सिर्फ चुनाव के वक्त, बल्कि किसी भी तरह की घरेलू परेशानी की तरफ से ध्यान बंटाने के लिए इन दोनों देशों में एक-दूसरे के खिलाफ फतवे जारी किए जाते हैं, और सच्ची या झूठी घटनाओं का इस्तेमाल करके लोगों का ध्यान जिंदगी की असल दिक्कतों की तरफ से हटाया जाता है। ऐसे तनावों के चलते दोनों देशों के आम लोगों की दर्दभरी कहानियों का कोई समाधान नहीं निकल पाता। दशकों से, या पीढिय़ों से बिछुड़े हुए परिवारों को मिलाना भी नहीं हो पाता, जेलों में बंद लोगों की खबर भी ठीक से नहीं मिल पाती।
1947 में एक से दो हुए इन देशों के बीच जब दीवार उठी, तो जरूरत से काफी अधिक ऊंची उठी। लेकिन दोनों तरफ लोगों के बीच रिश्तेदारियां बहुत थीं, कारोबार और जमीन-जायदाद सरहद के दूसरे तरफ भी थे, और एक सरहद ने देशों को तो बांट दिया, समाज और परिवार को यह सरहद उस तरह से नहीं बांट पाई। आज भी हर हफ्ते या पखवाड़े में भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारा नाम की जगह से ऐसी खबरें आती हैं कि दोनों तरफ से वहां पहुंचे भाई-भाई या भाई-बहन किस तरह आधी या पौन सदी बाद वहां पर मिल रहे हैं। ऐसे जर्जर हो चुके बुजुर्गों के रोते हुए वीडियो दिल हिला देते हैं। लेकिन सरकारों के बीच तल्खी इतनी है कि यह गलियारा भी किस तरह दशकों की मांग के बाद बन पाया है, इसे भी दोनों तरफ के सिक्ख ही जानते हैं। पाकिस्तान की जमीन पर इस प्रमुख गुरुद्वारे तक जाने के लिए हिन्दुस्तानी सिक्खों को भी वीजा की जरूरत नहीं पड़ती, और वहां पर दोनों देशों के लोग मिल भी सकते हैं। ऐसे में ही बिखरे हुए, या बिछुड़े हुए परिवार यहां पर एकजुट होते हैं।
भारत और पाकिस्तान दोनों जगह कुछ संगठन और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता यह काम भी कर रहे हैं कि सरहद के पार गलती से दाखिल हो चुके लोगों को वापिस भेजने का कानूनी इंतजाम किया जाए, या एक-दूसरे की जेलों में बंद लोगों को कानूनी मदद मुहैया कराई जाए। यह काम अलोकप्रिय है क्योंकि अपनी-अपनी जमीन पर लोगों के मन में पड़ोसियों के खिलाफ नफरत बड़ी कोशिश करके ठूंसी गई है, और वैसे पड़ोसी देश के लोगों की कोई भी मदद अपने देश के खिलाफ एक भावना की तरह कही जाती है। भारत और पाकिस्तान को इस बात से उबरना चाहिए। सरकार और फौज चाहे जिन मोर्चों पर दूसरे देश की सरकार और फौज से लड़ती रहें, दोनों देशों के नागरिकों को अधिक आजादी से मिलने-जुलने देना चाहिए, दोनों तरफ खेल, कला, और फिल्म का लेन-देन अधिक होना चाहिए। राजधानियों में बैठे हुए बड़े-बड़े नेता और फौजी आला अफसर जिन बातों को नहीं सुलझा पा रहे हैं, या नहीं सुलझाना चाहते हैं, उन बातों को समाज के दूसरे तबके बेहतर तरीके से सुलझा सकते हैं, क्योंकि उन्हें हथियारों की खरीदी में दलाली नहीं लेनी है। राजधानियां दुश्मनी को फायदे का पाती हैं, क्योंकि दुश्मनी निभाने के लिए हथियारों की बड़ी खरीदी होती है, जो कि सत्ता के फायदे की रहती है।
भारत और पाकिस्तान को कैदियों और नागरिकों की अदला-बदली का एक ऐसा आयोग बनाना चाहिए जिसमें दोनों देशों के अधिकारसंपन्न लोग रहें, और वे बैठकर बरसों से कैद या फंसे हुए लोगों के मामले सुलझाएं। हिन्दुस्तान ने अभी-अभी नागरिकता संशोधन कानून लागू किया है जिसमें पड़ोस के तीन देशों के गैरमुस्लिमों को उनके चाहने पर भारत की नागरिकता देने की बात कही है। तब तक जब तक कि भारत का सुप्रीम कोर्ट इस कानून को गैरकानूनी करार नहीं देता, तब तक यह लागू तो है ही, और चाहे यह कानून मुस्लिमों के मामलों में भेदभाव करता है, इसके तहत बाकी धर्मों के जो लोग आते हैं, उनका भला तो शुरू होना चाहिए। चाहे धार्मिक भेदभाव और प्रताडऩा की वजह से, या किसी और वजह से, जिस वजह से भी लोग दूसरे देशों में फंसे हुए हैं, उन्हें अपने देश, या मनचाहे देश जाने की आजादी मिलनी चाहिए। और जब तक कोई बिना चूक का कानून नहीं बन जाता, तब तक भी जो भी संभावनाएं जिस देश के कानून में हैं, उनके तहत आम लोगों को राहत मिलनी चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सरकारों के बीच ही खराब हैं, आम जनता के बीच नहीं। इसलिए आम जनता को राहत देने का जो-जो काम हो सकता है, वह करना चाहिए, और इसकी शुरूआत जेलों में बंद कैदियों से करनी चाहिए।
अंग्रेजी का शब्द यहीं से निकला है!
रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों एक गाड़ी पर लदा हुआ एक पहिया लोगों की दिलचस्पी का केन्द्र बना हुआ है। टाईम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार रश्मि ड्रोलिया ने अपने फेसबुक पेज पर इसकी तस्वीर के साथ लिखा है कि यह ओडिशा के जगन्नाथपुरी के रथ का एक पहिया है जो कि कुछ समय भक्तों के दर्शन के लिए रायपुर के जगन्नाथ मंदिर को दिया गया है, और यह पुरी वापिस चला जाएगा। उन्होंने लिखा है कि यह पुरी के रथ के 24 चक्कों में से एक है, और इसे बनाने में सिर्फ लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है, किसी भी तरह लोहे की कोई कीलें इसमें नहीं लगाई गई हैं। उनके मुताबिक इस पहिए के लकड़ी के हिस्से एक-दूसरे में इस तरह फंसाए गए हैं कि वे आपस में मजबूती से जुड़ जाते हैं, जिस तरह कि किसी पहेली के हिस्से। यह चक्का जगन्नाथपुरी लौटकर वहां इसकी लकड़ी मंदिर में प्रसाद पकाने के चूल्हे में काम आएगी। वहां हर बरस एक नया रथ बनता है, और पुराने रथ के हिस्से इसी तरह इस्तेमाल कर लिए जाते हैं।
रश्मि ने एक दिलचस्प जानकारी लिखी है कि अंग्रेजी भाषा में बहुत बड़ी-बड़ी गाडिय़ों या वाहनों के लिए जगरनॉट शब्द का इस्तेमाल होता है। अंग्रेजी के इस शब्द की बुनियाद जगन्नाथ के रथ से है, जो कि दुनिया में किसी भी धर्म का सबसे बड़ा रथ रहता है। इसके विशालकाय आकार के मुताबिक विशाल वाहनों के लिए जगरनॉट शब्द प्रचलन में बहुत समय से आ चुका है।
बृहस्पत ने क्या बिगाड़ा था...
विधानसभा चुनाव के तीन माह बाद लोकसभा चुनाव आ जाने के चलते कांग्रेस के कई निलंबित पदाधिकारियों का निलंबन ज्यादा टिका नहीं। पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल, बिलासपुर महापौर रामशरण यादव और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रेमचंद जायसी को पार्टी में वापस ले लिया गया है। यादव और जायसी निलंबित थे, जायसवाल निष्कासित। मगर एक और पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का निष्कासन समाप्त नहीं किया गया है।डॉ. जायसवाल ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी सचिव चंदन यादव पर सात लाख रुपये टिकट के लिए लेने का आरोप लगाया था। महापौर यादव का एक ऑडियो जारी हुआ था, जिसमें वे कथित रूप से पूर्व विधायक अरुण तिवारी को फोन पर बता रहे हैं कि उनकी टिकट इसलिये कट गई क्योंकि वे करोड़ों रुपये प्रदेश प्रभारी कु. सैलजा को नहीं दे सके। जिन्होंने दी उनको मिल गई। जायसी मस्तूरी सीट से टिकट चाहते थे। वहां से कांग्रेस ने पूर्व विधायक दिलीप लहरिया को फिर से मैदान में उतारा। सन् 2018 में वे हार गए थे, इस बार फिर जीत गए। आरोप है कि जायसी ने कांग्रेस के खिलाफ काम किया था। इन तीनों की बहाली के बीच एक महत्वपूर्ण नाम पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का रह गया। टिकट कटने की खबर मिलने पर उन्होंने टीएस सिंहदेव और कुमारी सैलजा के खिलाफ बयान दिए थे। प्रदेश में हार के लिए दोनों को जिम्मेदार बताया था। सिंहदेव के खिलाफ उनका पहले भी कई विवादित बयान थे। शायद संगठन को लगा होगा कि बृहस्पत सिंह का मामला ज्यादा गंभीर है। अब यह देखना है कि चुनाव प्रचार के दौरान उन पर कोई नरमी बरती जाती है या नहीं। यदि इस दौरान वापसी नहीं हुई तो उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
भारी पड़ गई सिफारिश
पिछली सरकार को हमेशा हमेशा के लिए स्थाई मानकर तत्समय के विपक्ष के बड़े बड़े नेताओं को परेशान करने वाले पुलिस अफसर तीन महीनों से परेशान हैं। एक ने तत्समय के पूर्व विधायक को तो हिरासत में लेकर पूरी शाम पेट्रोलिंग वैन में गश्त कराया था। सरकार आने के बाद ऐसे अफसरों को नक्सल मोर्चे पर भेजा गया । पर एक एएसपी का ऐसा उदयन हुआ कि साहब आचार संहिता के फेर में आनन फानन में तर गए। कैसे नहीं तरते, सिफारिश भी कमल विहार से आई थी। इस बात की भनक जब विधायक जी को लगी तो उन्होंने पड़ताल की। तो यह सच्चाई सामने आए। सबसे दुखद यह हो गया कि सिफारिश कर्ता ही मध्य क्षेत्र खेत दिए गए ।
दीवाली भी गई अब होली भी
इसलिए मांग और प्रक्रिया चल रही है एक देश एक चुनाव की। हर छमाह में आचार संहिता लगने पर त्यौहारी बेनिफिट का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब अपने यहां ही देख ले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता में धनतेरस,दीवाली गई। और अब आम चुनाव के चलते होली पर खरमास लग गया। साथ ही साथ ईदी भी जाती रही। उसी दौरान अपने यहां चुनाव चरम पर होगा। इफ्तारी की दावत के सार्वजनिक आयोजन भी आचार संहिता में फंस जाएंगे।सारे त्यौहार तो चल जाते हैं लेकिन होली पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। अध्दी पौव्वा बोतल देने और लेने वाले अभी से सोचने लगे हैं। कैसे होगा। 19-19 एजेंसियां फ्रीबीज़ पर गिध्द नजर बिठा चुकीं हैं।डिस्टलरीज़ से लेकर दुकान तक सीसीटीवी, जीपीएस के साथ साथ,हर गाड़ी के पीछे एक गुप्तचर अलग दौड़ रहा है।इसे देखते हुए कहने लगे हैं कि यदि शौकीनों के बीच जनमत संग्रह या वोटिंग करा ले तो वन नेश न वन इलेक्शन बहुमत से जीत जाएगा।
बिना उम्मीदवार प्रचार
दस दिन पहले लोकसभा के 6 प्रत्याशियों की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ की बची 5 सीटों पर कांग्रेस नामों का ऐलान नहीं कर पाई है। कुछ राज्यों की दूसरी सूची भी जारी हुई, मगर उसमें छत्तीसगढ़ के नाम नहीं थे। अब कहा जा रहा है कि बाकी ऐलान 18-19 मार्च को होगा। भाजपा कटाक्ष कर रही है कि उसे उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। यह स्थिति भाजपा के साथ होती तो अलग बात थी। वहां तो मोदी के चेहरे और गारंटी पर लड़ा जाना है, पर कांग्रेस में उम्मीदवार का नाम भी तय करेगा कि जीत-हार का फासला कितना होगा। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बची हुई सीटों पर भी चुनाव प्रचार शुरू करने का निर्देश दिया है। पदाधिकारी-कार्यकर्ता बाहर निकल रहे हैं तो लोग एक ही सवाल कर रहे हैं, किसे खड़ा किया है? कार्यकर्ता कह रहे हैं, यह जल्दी बता देंगे।
साहबों की खातिरदारी
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के भेलवाडीह में स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारी शौचालयों के निरीक्षण दौरे पर पहुंचे। पंचायत ने उनकी खूब खातिरदारी की। बिल बना 34 हजार 500 रुपये का। यह भी साफ-साफ लिखा कि बकरा और मुर्गा खिलाया गया। पंचायत की रकम कैसे फूंकी जाती है, यह उसका एक नमूना है। बिल कुछ पुराना है, पर कलेक्टर से शिकायत हाल ही में की गई है।
पंजाब में 2022 में वहां के एक लोकप्रिय गायक सिद्धू मुसेवाला का एक गिरोह ने साजिश के साथ बड़ी तैयारी से कत्ल कर दिया था। सिद्धू अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। अब उसके बूढ़े मां-बाप ने उसकी याद में, और अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से एक बेटे को जन्म दिया है। सिद्धू के 60 बरस के पिता बलकौर सिंह ने सोशल मीडिया पर बेटे के साथ अपनी फोटो पोस्ट की है, और कहा है कि सब स्वस्थ हैं। पंजाब में बड़े-बड़े गिरोह काम करते हैं, और उनके सरगना तिहाड़ जैसी जेल में रहकर भी अपना गिरोह चलाते हैं, या विदेश में रहकर भी। लेकिन पंजाब के ऐसे संगठित अपराध पर चर्चा उतनी अहमियत नहीं रखती जितनी अहमियत यह बात रखती है कि बुजुर्ग हो चुकी एक महिला किस तरह 58 बरस की उम्र में अपने बेटे की याद में एक और बेटे को जन्म देती है। भारत में शायद कुछ कानूनी अड़चन के चलते ऐसा गर्भधारण करना मुमकिन नहीं था तो सिद्धू मुसेवाला की मां चरणकौर ने दूसरे देश में यह मेडिकल मदद ली। यह अपने किस्म का पहला मामला नहीं है जिसमें एक महिला इस उम्र में मां बने, लेकिन यह कुछ अनोखा मामला तो है ही क्योंकि दुनिया की साधारण समझबूझ यह सुझाती है कि इस उम्र में मां-बाप बनना उतनी समझदारी की बात नहीं है।
अपने बेटे की याद में कुछ करना अच्छी बात है, लेकिन यह भी समझने की जरूरत है कि इंसान के शरीर और उसकी जिंदगी की कुछ सीमाएं रहती हैं, और लोगों को उनका ख्याल इसलिए रखना चाहिए कि जिन बच्चों को मां-बाप अपनी भावनात्मक जरूरतों से पैदा करते हैं, उन्हें बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े होने में खासा समय लगता है, और तब तक उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए मां-बाप की उम्र तो बची होनी चाहिए। वैसे तो बच्चों को जन्म देना हर किसी का मौलिक अधिकार होना चाहिए, लेकिन जब कोई देश एक जनकल्याणकारी राज्य की तरह काम करता है, तो वहां पर अजन्मे बच्चों के अधिकारों की भी फिक्र करनी चाहिए।
आज 60 बरस की उम्र में अगर कोई पिता बना है, और 58 बरस की उम्र में कोई मां बनी है, तो उनकी अपनी जिंदगी का कितना लंबा ठिकाना रहेगा? यह जरूर हो सकता है कि परिवार संपन्न होने पर बच्चे की देखरेख के लिए पैसों का इंतजाम तो पुख्ता हो सकता है, लेकिन मां-बाप दोनों की उम्र अगर बुढ़ापे में दाखिल हो चुकी है, तो उनके अभी हुए बच्चे की जिंदगी के पहले 20-25 बरस मां-बाप के साथ की कोई गारंटी नहीं दिखती है। यहां पर आकर अगर कोई देश कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के इस्तेमाल के लिए कोई उम्र सीमा तय करते हैं, तो वह निजी मामलों में दखल नहीं मानी जानी चाहिए।
हिन्दुस्तान में हमने सरोगेसी का कानून आने के ठीक पहले तक कई फिल्मी सितारों को इस तकनीक से बच्चे पैदा करते देखा है, और कुछ तो ऐसे भी रहे जिनके पहले से पर्याप्त बच्चे थे, लेकिन उन्होंने इस तकनीक से और बच्चे हासिल किए। सरोगेसी जैसी तकनीक को लेकर पूरी दुनिया में कई तरह की सोच है, और कई तरह के कानून हैं। यह सिर्फ हिन्दुस्तान में नहीं हैं, बल्कि बहुत सी जगहों पर लोगों को दूसरे देशों में जाना पड़ता है, क्योंकि अपनी खुद की जमीन पर उन्हें इसकी इजाजत नहीं रहती है।
लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए एक सवाल यह सूझता है कि क्या अपनी गर्भ किराए पर देकर अगर कोई बहुत गरीब महिला नौ महीनों बाद अपने परिवार का बेहतर ख्याल रख सकती है, तो क्या उसकी इजाजत दी जानी चाहिए? यह एक समय बिकने वाली किडनी से कुछ अलग मामला है। बदन में किडनी सीमित रहती हैं, और एक किडनी जरूरतमंद मरीज को दे देने पर अपने खुद के बदन पर कई तरह के खतरे आ जाते हैं, और कई तरह की सीमाएं बाकी जिंदगी पर लागू हो जाती हैं। दूसरी तरफ किसी महिला का गर्भाधान उसके लिए उतना बड़ा खतरा नहीं रहता, और उसकी बाकी जिंदगी पर इसकी वजह से कोई बहुत बुरा असर नहीं पड़ता। फिर अपनी कोख किराए पर देना किसी तरहसे अंगदान जैसा नहीं है कि जिससे शरीर के किसी हिस्से को बेचने का काम हो जाए। आज जब देश में भुगतान की क्षमता वाले लोग हैं, और सबसे गरीब लोग पैसों की कमी से एक सामान्य जिंदगी नहीं जी पाते हैं, उनके बच्चे अभाव में बड़े होते हैं, किन्हीं अवसरों तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में भारत के मौजूदा सरोगेसी कानून के तहत क्या ऐसी कोई ढील नहीं देनी चाहिए जिससे गरीब परिवारों की महिलाएं किसी बच्चे को जन्म देकर अपने खुद के बच्चों के लिए एक अच्छी रकम जुटा सकें? यह बात सुनने में अमानवीय लग सकती है कि हम कोख किराए पर देने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन यह बात किसी महिला की अपनी और उसके परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने की बात भी है, साथ-साथ बिना बच्चों वाले लोगों के लिए एक मौका मुहैया कराने की बात भी है।
हिन्दुस्तान जैसे मुल्क की इस हकीकत को नहीं भूलना चाहिए कि इस देश में महिलाएं अपने बच्चों को कुपोषण से मरते देखती हैं, बिना इलाज बच्चे बड़े सब मर जाते हैं, छोटे-छोटे बच्चे सडक़ों पर कचरा बीनने और भीख मांगने जैसे रोजगार में लगने को मजबूर रहते हैं। और इससे भी अधिक कड़वी हकीकत यह भी है कि ह्यूमन राईट्स वॉच नामक संस्थान के एक अंदाज के मुताबिक हिन्दुस्तान में करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं देह बेचने के धंधे में लगी हुई हैं। एशिया का सबसे बड़ा सेक्स बाजार मुम्बई है जहां पर एक लाख से अधिक वेश्याएं काम करती हैं। सरकारें इन आंकड़ों को न जानना चाहती हैं, न मानना चाहती हैं, लेकिन जब अपनी जिंदगी और परिवार को चलाने के लिए इस देश में डेढ़ करोड़ महिलाएं दुनिया में सबसे अधिक बीमारियों के खतरे वाला यह धंधा करती हैं, तो क्या इसके मुकाबले किसी के बच्चे की मां बन जाना अधिक बुरा काम होगा?
चूंकि वेश्यावृत्ति को कानूनी हक देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार और संसद को इस बारे में कुछ नहीं करना पड़ा, इसलिए वे असुविधा से बचे हुए हैं। लेकिन चूंकि सरोगेसी को लेकर संसद को कानून बनाना पड़ा है इसलिए सरकार और संसद उस मामले में ऐसे दिखना नहीं चाहते कि वे बदन को किराए पर देने का समर्थन कर रहे हैं। जबकि शरीर को कुछ मिनटों या घंटों के सेक्स के लिए किराए पर देने का कारोबार सबकी जानकारी में है, और उसे मानते कोई भी नहीं हैं।
हमने बात तो सिद्धू मुसेवाला के मां-बाप के बच्चे के फैसले को लेकर शुरू की थी, लेकिन वह आगे बढक़र इस तकनीक पर आ गई है, और किस तरह इस तकनीक से कुछ कमाने की इजाजत लोगों को मिलनी चाहिए, क्योंकि वे अपने बदन के कई और अधिक बुरे इस्तेमाल कर ही रहे हैं। आज भी हिन्दुस्तान में किडनी ट्रांसप्लांट जैसे कारोबार में कानून को चकमा देकर किडनी की खरीद-बिक्री चलती ही है। संसद में पिछले बहुत समय से किसी कानून को लेकर सार्थक चर्चा और बहस का सिलसिला खत्म हो गया है, इसका नतीजा यह हुआ है कि कई ऐसे कानून भी बन जाते हैं जो कि जायज नहीं होते। सरोगेसी कानून का गरीबों के जिंदा रहने के लिए किस तरह इस्तेमाल हो सकता है इस पर बात होनी चाहिए।
ईडी ने ईओडब्ल्यू को कार्रवाई के लिए लिखा था
नई दिल्ली, 17 मार्च। छत्तीसगढ़ पुलिस ने महादेव ऑनलाइन बुक ऐप घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी आरोपी बनाया है। करीब 6 हजार करोड़ के इस घोटाले में ईडी ने कई और के खिलाफ कार्रवाई की है। खास बात यह है कि बघेल इस समय राजनांदगांव सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ईडी के पत्र के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी ने भूपेश बघेल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
हिन्दुस्तान टाईम्स की खबर के अनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में बघेल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 11 के तहत आरोप लगाए गए हैं। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) 4 मार्च को रायपुर में प्रकरण दर्ज किया है।
एफआईआर में बघेल के साथ जिन लोगों के नाम हैं, उनमें महादेव के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल, 16 अन्य नामित आरोपी व्यक्ति, और सीएम के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान अनाम नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और विशेष कर्तव्य पर अधिकारी (ओएसडी) शामिल हैं। एचटी ने एफआईआर की एक प्रति की समीक्षा की है।
घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा इस साल 8 और 30 जनवरी को राज्य पुलिस को दो संदर्भ भेजे जाने के बाद बघेल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जो उसके निष्कर्षों के आधार पर राज्य सरकार के पदाधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा करता है। शीर्ष स्तर पर कथित संरक्षण धन के बदले महादेव की अवैध गतिविधियों को अनुमति के लिए दिया गया।
बताया गया कि वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने नवंबर 2023 में आरोप लगाया था कि चंद्राकर और उप्पल ने बघेल को 508 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। दोनों वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात की एक सुविधा में हिरासत में हैं और प्रत्यर्पण अनुरोध पहले ही विदेश मंत्रालय (एमईए) के माध्यम से भेजा जा चुका है।
महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों ने पुलिस को उनकी अवैध गतिविधियों पर कोई कार्रवाई करने से रोकने के लिए विभिन्न पुलिस अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को भारी मात्रा में संरक्षण राशि का भुगतान किया। यह पैसा हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचता था और फिर आगे अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों तक पहुंचता था। इस तरह, कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षा धन के रूप में खुद को लाभ पहुंचाने और अवैध संपत्ति बनाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि एफआईआर में किसी भी वरिष्ठ पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी का नाम नहीं है। ऊपर बताए गए लोगों में से एक ने कहा, ईडी इस एफआईआर के आधार पर बघेल के नाम पर एक नया मनी लॉन्ड्रिंग मामला दर्ज कर सकता है।
दिसंबर में विधानसभा चुनाव हारने के बाद, बघेल राजनांदगांव सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। एचटी ने पूर्व सीएम की टिप्पणी के लिए बघेल के राजनीतिक सलाहकार से संपर्क किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
ईडी के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, एफआईआर में दावा किया गया है कि महादेव बुक ऐप और उसकी सहयोगी कंपनियों ने मिलकर अवैध रूप से हर महीने 450 करोड़ रुपये की अपराध आय एकत्र की।
ईडी ने 8 जनवरी को छत्तीसगढ़ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए कहते हुए अपने पत्र में कहा, चंद्रभूषण वर्मा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया, जिसमें खुलासा किया गया कि छत्तीसगढ़ में पुलिस अधिकारी-नौकरशाह गैरकानूनी सट्टेबाजी गतिविधियों को नजरअंदाज करने के लिए अवैध रूप से रिश्वत ले रहे थे। वर्मा ने खुलासा किया कि वह सट्टेबाजी वेबसाइटों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और सुरक्षा धन के रूप में हवाला भुगतान एकत्र कर रहा था और उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सीएम के ओएसडी को वितरित कर रहा था।
अब तक, ईडी ने मामले में दो आरोप पत्र दायर किए हैं, जिनमें एक चंद्राकर और उप्पल के खिलाफ है। ईडी ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि चंद्राकर ने फरवरी 2023 में संयुक्त अरब अमीरात के रास अल खैमा में शादी की थी और इस कार्यक्रम के लिए लगभग 200 करोड़ नकद खर्च किए गए थे और उनके रिश्तेदारों को भारत से संयुक्त अरब अमीरात और मशहूर हस्तियों को लाने-ले जाने के लिए निजी जेट किराए पर लिए गए थे। शादी में प्रदर्शन करने के लिए भुगतान किया गया था। मामले में अपराध से अनुमानित आय लगभग 6,000 करोड़ रुपये है। इस मामले में अब तक ईडी द्वारा 572.41 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त या फ्रीज की जा चुकी है।
वित्तीय वर्ष समाप्ति के 16 दिन पहले ही लक्ष्य हासिल कर बनाया रिकॉर्ड
बिलासपुर, 17 मार्च। एसईसीएल का ओवरबर्डन रिमूवल 310 मिलियन क्यूबिक मीटर के आंकड़े को पार कर गया है और इसी के साथ कंपनी ने इस वर्ष के ओबीआर लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
एसईसीएल वित्तीय वर्ष 23-24 की समाप्ति के 16 दिन पहले ही लक्ष्य हासिल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। अब इस वित्त वर्ष में कंपनी अपने इतिहास का सर्वाधिक ओबीआर का नया कीर्तिमान बनाने जा रहा है। एसईसीएल गत वर्ष के उत्पादन एवं डिस्पैच के आंकड़े को पहले ही पार कर चुकी है।
तुलना की जाए तो पिछले वर्ष 15 मार्च तक कंपनी ने लगभग 248 मिलियन क्यूबिक मीटर ओबीआर किया था और इस प्रकार इस वर्ष कंपनी ने 24.64% (61.32 मिलियन क्यूबिक मीटर) की वृद्धि दर्ज की है। कंपनी इस उपलब्धि में तीनों मेगापरियोजनाओं गेवर, दीपका एवं कुसमुंडा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एसईसीएल की इस उपलब्धि पर सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि कंपनी के कर्मचारी में बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करने का सामर्थ्य है। एसईसीएल में ओबीआर के लिए दुनिया की सबसे बड़ी एवं अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है जिसमें वर्टिकल रिपर जोकि बिना ब्लास्टिंग के मिट्टी हटाने में सक्षम है, 42 क्यूबिक मीटर शोवेल एवं 240 टन डंपर, 381 एमएम ड्रिल मशीन आदि शामिल हैं।
बिलासपुर, 17 मार्च। अवैध प्लाटिंग करने वाले भू माफियाओं के खिलाफ नगर निगम ने छह लोगों के खिलाफ सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराया है। मोपका,चिल्हाटी,बिजौर,खमतराई,बहतराई क्षेत्रों में कच्चे प्लाट को टुकड़ों में बेचा जा रहा था, जिस पर कार्रवाई करते हुए कुछ दिन पहले निगम ने इन अवैध प्लाटों पर बुलडोजर चलाया था और अब इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
नगर निगम ने सरकंडा थाने में शैलेन्द्र सिंह, प्रवीण कुमार देवांगन, मिथिलेश जायसवाल, ललित देवांगन, भुवनेश्वर प्रसाद सिंगरौल व धीरज कुमार देवांगन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है। आने वाले दिनों में और भी कई भू माफियाओं के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी, जिसकी सूची तैयार की जा रही है और उनके खिलाफ दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। भवन अधिकारी सुरेश शर्मा ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ न्यायालय में परिवाद भी दायर किया जाएगा।